संवाद
|
संवाद
बल्देव भाई शर्मा
'जय जय गरवी गुजरात' का उद्घोष मानो विश्वभर में बसे हर गुजराती के लिए अंत:प्रेरणा जगाने वाला मंत्र बन गया है। यह बोलते ही उनकी आंखों के सामने गुजरात का गौरव, वहां की आध्यात्मिक चेतना, वीरत्व भाव और उद्यमशीलता साकार हो उठती है। पिछले एक दशक में गुजरात ने हर क्षेत्र में विकास के जो नूतन आयाम गढ़े हैं, उसने इस गौरव को और बढ़ाया है। मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ, जनसेवी व विकासमान प्रशासन ने देश के सामने गुजरात को एक 'विकास मॉडल' के रूप में खड़ा कर अंतरराष्ट्रीय फलक पर भी प्रतिष्ठा दिलाई है। कृषि, ऊर्जा, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण, पर्यटन आदि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां गुजरात ने नए प्रतिमान न गढ़े हों। 'बीआरटी' प्रणाली जहां दिल्लीवासियों के लिए जी का जंजाल बन गई है, वहीं गुजरात में अमदाबाद के निवासी अपने यहां परिवहन की इस सुचारू व्यवस्था की भूरि–भूरि प्रशंसा करते हैं। बिजली, सड़क और पानी आज हर सरकार के लिए चुनौती बन गए हैं और जनता की एक दुखती रग, लेकिन गुजरात सरकार ने इन क्षेत्रों में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वे राज्य की प्रगति के नए सोपान हैं। वनबंधु कल्याण योजना, सुजलां सुफलां योजना, स्प्रैडिंग नहर परियोजना, कन्या केलवणी योजना आदि सामाजिक समरसता और बहुआयामी सामाजिक उन्नयन की राह दिखाती हैं।
दूसरी ओर, इन सच्चाइयों से मुंह चुराती केन्द्र की संप्रग सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस और उसके पिछलग्गू सेकुलर दल व नेता गुजरात व नरेन्द्र मोदी को लेकर अपने साम्प्रदायिक दुराग्रहों से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। अपने दूसरे कार्यकाल के तीन साल पूरे करने पर उपलब्धियों का ढोल पीटने वाली संप्रग सरकार अपनी जनविरोधी व गलत नीतियों के कारण सहयोगी घटक दलों के ही अपने विरोध में खड़े हो जाने पर आज उन लोगों का साथ लेने पर मजबूर है जो कल तक उसे पानी पी–पीकर कोसते थे और अब अपने भावी सत्ता स्वार्थों के लिए कांग्रेस के साथ नए राजनीतिक समीकरण गढ़ने में लगे हैं। संप्रग के 8 वर्षों के शासन में देश में जिहादी आतंकवाद व माओवादी नक्सलवाद ने कितना विकराल रूप धर लिया है, तीन साल का जश्न मनाने में न सोनिया गांधी को यह याद रहा और न मनमोहन सिंह व पी. चिदम्बरम को। जनता के प्रति इस सरकार की संवेदनहीनता का आलम यह है कि जश्न के अगले दिन ही पेट्रोल की कीमतें 7.50 रु. प्रति लीटर बढ़ा दी गईं जो अब तक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है। इसी क्रम में निरंतर बढ़ती महंगाई ने जनता का दम निकाल रखा है। खाद्य तेल, सब्जियां, गेहूं, चावल व अन्य अनाज, दालों तथा चीनी की लगभग दोगुनी तक बढ़ी कीमतों ने गृहणियों का घर–गृहस्थी चलाना दूभर कर दिया है। उधर, सरकार में बैठे मंत्रियों का यह कहना कि हमारे पास जादू की छड़ी नहीं है कि उसे घुमाकर महंगाई कम कर दें, जले पर नमक छिड़कने जैसा है। इस शासन में गरीबी और बेरोजगारी दर का बढ़ना बेहद चिंता का विषय है, लेकिन योजना आयोग के उपाध्यक्ष का गरीबी निर्धारण का पैमाना देश की 40 प्रतिशत से ज्यादा गरीब जनसंख्या का मजाक उड़ाने वाला है। यह कैसी विडम्बना है कि एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चल रही सरकार मुगालते में है कि भारत विश्व में आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है, उसे इस बात की कोई फिक्र नहीं कि देश की मुद्रा यानी रुपया डालर के नीचे दम तोड़ रहा है और रिकार्ड गिरावट का शिकार है। यह है भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत? प्रधानमंत्री की सारी 'कुशलता' इस सरकार के आंखें मूंदे रहने से हुए महाघोटालों पर पर्दा डाले रहने में ही खर्च हो रही है। इस सरकार के रहते जितने बड़े–बड़े घोटाले हुए हैं, उसके चलते इसे घोटालों की सरकार कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी है यह सरकार, ऐसी स्थिति में तीन साला जश्न मनाना तो एक तरह से बेशर्मी की हद है। इस अवसर पर सरकार यह भी भूल गई कि वोट के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा तक जाकर इस सरकार ने हिन्दू द्रोह दिखाते हुए किसी भी सीमा तक जाने का आचरण प्रस्तुत कर राजनीतिक दुराग्रह की सारी हदें तोड़ दी हैं। साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक का प्रारूप इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जो पहली ही नजर में देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं को हिंसक और अपराधी मानता है जबकि अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिमों को पीड़ित। संप्रग सरकार ने सत्तारूढ़ होने के साथ ही 100 दिनों में महंगाई कम करने का वादा किया था। सरकार यह भी भूल गई कि उसने आतंकवाद को समाप्त करने व प्रशासन में पारदर्शिता लाने तथा भ्रष्टाचार के प्रति 'जीरो टालरेंस' की घोषणा की थी। ऐसे में यह जश्न बेमानी हो जाता है।
भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में सुशासन, सामाजिक सौहार्द, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था, जनता के प्रति संवेदनशीलता और विकास की अवधारणा के जो नए आयाम गढ़े हैं, संप्रग सरकार अपने राजनीतिक दुराग्रहों को छोड़कर उससे कुछ सीख ले तो देश के हालात कुछ और होंगे। भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मुम्बई बैठक में अंधेरा छंटेगा, कार्यकर्त्ता जुटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा' नारा देकर देश की तस्वीर बदलने का जो संकल्प व्यक्त किया है, कांग्रेस के लिए यह खतरे की घंटी है। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कांग्रेस इज प्राब्लम, बीजेपी इज सोल्यूशन' कहकर इसकी पुष्टि कर दी है। उत्साह से भरे गडकरी का यह कहना कि अगले आम चुनावों में हमें जीत का परचम लहराना है, महंगाई व भ्रष्टाचार के कारण संप्रग सरकार की विदाई खुद ब खुद होगी। ऐसे में देश को एक सशक्त सरकार देने का काम हमें करना है, भाजपा कार्यकर्त्ताओं में नया जोश भर गया है। कार्यकारिणी में कृषि, राजनीति व जम्मू-कश्मीर से संबंधित प्रस्तावों में भाजपा ने अपनी रणनीति और दिशा स्पष्ट कर दी है कि भारत के भविष्य को लेकर उसका सपना क्या है। गुजरात तो एक प्रयोग भूमि है, देश की नयी तस्वीर गढ़ना अभी शेष है।
टिप्पणियाँ