पाठकीय
|
पाठकीय
अंक-सन्दर्भ 23 अक्तूबर,2011
आजकल शराब का चलन तेजी से बढ़ रहा है। देश के तीव्र आर्थिक विकास और वैश्वीकरण ने सामाजिक मान्यताओं को काफी हद तक परिवर्तित कर दिया है और इस परिवर्तन की पराकाष्ठा यह है कि शराब पीना समाज में आधुनिक रहन-सहन का प्रतीक बन गया है। इसे कामकाजी वर्ग संस्कृति का नाम दिया जाता है। शराब पीने तथा जिन्दगी में तमाम तरह के मजे लूटने को प्रगति की निशानी, जिन्दादिली और आधुनिकता माना जाता है। बदलाव की इस बयार ने महिलाओं को भी इस लत का शिकार बना दिया है। शराब की खपत में निरन्तर वृद्धि इसी सोच का परिणाम है। युवाओं में एक और सोच तेजी से उभरी है जिन्दगी अपने ढंग से जीने की आजादी। जब महराष्ट्र सरकार ने शराब पीने की कानूनी इजाजत देने की उम्र बढ़ा कर 25 वर्ष कर दी तो अभिनेता इमरान खान को यह बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने इसके विरुद्ध न्यायालय में याचिका दायर कर दी। इमरान को यह बंदिश युवाओं का अपमान, उनकी निजी जिन्दगी में हस्तक्षेप, मूर्खतापूर्ण तथा समाज को एक कदम पीछे ले जाने वाला कदम लगी। इमरान खान जैसे लोग जिस तरह की जिन्दगी जीते हैं उसमें इस तरह की वर्जनाओं के लिए जगह नहीं है। परन्तु क्या उसे अच्छा मानकर स्वीकार भी किया जाता है? इमरान खान जैसे लोग, जिन्हें शराब पीने के मनमाने अधिकार से आजादी का बोध होता है, उन्हें न तो आजादी का मतलब मालूम है और न ही आजादी का आनन्द। वैयक्तिक आजादी का अपना महत्व है, परन्तु कोई भी आजादी सामाजिक जिम्मेदारियों से अलग होकर नहीं चल सकती और न ही उसे चलने देना चाहिए।
दूसरे शराब पीने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे इसका आदी हो जाता है। यदि स्पष्ट कहा जाए तो नशे का गुलाम हो जाता है, फिर शराब पीना आजादी का प्रतीक कैसे हो सकता है? पश्चिम के जिन देशों का हम प्रगतिशीलता और आधुनिकता के लिए अंधानुकरण कर रहे हैं, वहां भी भले ही युवा छोटी उम्र में शराब, सिगरेट और नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं, किन्तु वहां भी उन्हें अच्छा मानकर स्वीकार नहीं किया जाता। वहां भी माता-पिता बच्चों को शराब आदि से जब तक संभव है दूर ही रखना चाहते हैं। हमारे यहां युवाओं के सामने गलत प्राथमिकताएं रखी जा रही हैं। चकाचौंध से भरी जीवनशैली और मदिरापान को आम स्वीकृति मिलने के बाद युवाओं और किशोरों द्वारा नियमित रूप से शराब का प्रयोग किया जा रहा है। कम समय में अधिक पा लेने की चाह ने अथाह तनाव, अवसाद, बेचैनी, चिन्ता जैसी रुग्णताओं को जन्म दिया है और इससे मुक्ति पाने का आसान रास्ता युवा पीढ़ी को शराब के सेवन में दिखाई देता है। फिल्मों की तर्ज पर कुछ लोग तनाव कम करने के लिए शराब का सहारा लेते हैं। किन्तु शराब तनाव से छुटकारा नहीं देती, बल्कि तनाव के कारणों से कुछ वक्त के लिए हमें बेगाना बना देती है। कुछ पल के लिए शराब के नशे में व्यक्ति स्वयं को विस्मृत कर देता है। यदि शराब का सेवन कम उम्र से ही करना प्रगति और समृद्धि की निशानी है तो क्या उस समाज को भी आधुनिक और प्रगतिशील कहा जाएगा, जिसमें मां-बाप अपने नन्हे-मुन्नो को शराब की दो-एक घूंट इसलिए पिला देते हैं ताकि वे भूखे पेट सो सकें?
सच्चाई यह है कि शराब का सेवन समाज की प्रगतिशीलता का नहीं, बल्कि रुग्णता का प्रतीक है। यह न सिर्फ व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य के लिए घातक है, बल्कि अपने साथ वह परिवार को भी आर्थिक तथा मानसिक आघात पहुंचाता है। शराब आदमी को नशे का गुलाम बनाती है, मनुष्यता को गिराती है, आदमी को क्षुद्र बनाती है। संयुक्त राष्ट्र की रपट के अनुसार घरेलू हिंसा के लिए जिम्मेदार पुरुषों में से लगभग 50 प्रतिशत नशे के आदी पाये गये। शराब या अन्य मादक पदार्थों के दुष्चक्र से व्यक्ति मुक्त हो सके इसके लिए सामाजिक और वैधानिक दोनों ही स्तर पर कठोर कदम उठाये जाने चाहिए।
-राजी सिंह
बी-152, सेक्टर-44, नोएडा (उ.प्र.)-201301
कश्मीर हमारा है
सम्पादकीय “कश्मीर पर बेसुरा राग” में कश्मीर के संबंध में जो समस्याएं लिखी गई हैं, उनकी जड़ें धारा-370 में विद्यमान हैं। यह धारा जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से अलग करती है। इसी धारा की आड़ में वहां के अलगाववादी “आजादी” की मांग कर रहे हैं। भारत सरकार की कमजोर इच्छा-शक्ति ने भी अलगाववादियों का मनोबल बढ़ाया है। देश के तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवी विदेशी मान-सम्मान प्राप्त करने के लिए भारत-विरोधी बयान देते हैं।
-मनोहर “मंजुल”
पिपल्या-बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
द जो लोग कश्मीर में जनमत-संग्रह की बात करते हैं, उन्हें तुरन्त गिरफ्तार कर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। भारत में कश्मीर का विलय वैधानिक रूप से हुआ है। उसकी रक्षा के लिए हर दिन करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। कुछ अलगाववादियों के आगे झुकना ठीक नहीं है। अलगाववादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए।
-मनीष कुमार
तिलकामांझी, भागलपुर (बिहार)
द आज यदि कश्मीर में जनमत-संग्रह हो गया तो कल निश्चित रूप से ईसाई-बहुल नागालैण्ड, मिजोरम आदि राज्यों में भी ऐसी मांगें उठेंगी। प्रशान्त भूषण जैसे लोगों को यह खतरा क्यों नहीं दिखता है? ऐसा भारत में ही होता है कि कोई व्यक्ति राष्ट्र-विरोधी बयान देकर भी खुलेआम घूमता है।
-दयाशंकर मिश्र
सेवाधाम विद्या मन्दिर, मण्डोली, दिल्ली
द इन दिनों यह बात उछाली जा रही है कि कश्मीर घाटी में तेजी से शान्ति लौट रही है। इसकी आड़ में वहां के मुख्यमंत्री सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने की बात कर रहे हैं। इसके पीछे उनका मंतव्य केवल और केवल अलगाववादियों को तुष्ट करना है। वास्तव में वहां सेना के कारण ही थोड़ी-बहुत शान्ति दिख रही है। यदि वहां से सेना हट गई तो घाटी को संभालना मुश्किल हो जाएगा। सरकार भूलवश भी कश्मीर से सेना की वापसी का निर्णय न ले।
-राजेन्द्र गोयल
बल्लभगढ़, फरीदाबाद (हरियाणा)
पाकिस्तान की भलाई
चर्चा सत्र में श्री मा.गो. वैद्य का लेख “भारत से निकटता ही समाधान” पढ़ा। सही लिखा गया है कि पाकिस्तान का अस्तित्व संकट में है। अब वहां की जनता को विचार करना है कि वह चीन के पीछे जाए अथवा भारत के साथ सौहार्द बनाए। चीन स्वार्थी है। स्वार्थ सिद्ध होने के बाद वह पाकिस्तान का भी हितैषी नहीं रहेगा। पाकिस्तान भारत के साथ सौहार्दपूर्वक रहे, इसी में उसकी भलाई है। यदि वह चीन के बहकावे में आ गया तो फिर संकट का सामना करने के लिए तैयार रहे।
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर,दिल्ली-110051
द चर्चा सत्र में पाकिस्तान को सही सुझाव दिया गया है। यदि पाकिस्तान भारत से निकटता बनाकर चलेगा तो विश्व में उसकी एक नई पहचान बनेगी। आज पाकिस्तान के लोग उतने खुशहाल नहीं हैं, जितने कि भारत के लोग। पाकिस्तान को सोचना चाहिए कि उसकी खराब स्थिति क्यों है?
-उदय कमल मिश्र
सीधी-486661 (म.प्र.)
उपयोगी जानकारी
स्वास्थ्य स्तम्भ में डा. हर्षबर्धन ने अपने लेख “योग द्वारा हृदय रोग से बचाव” में बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है। भौतिकवाद के पथ पर चलने के कारण हृदय रोग एक आम रोग बन गया है, जिसका समाधान इस लेख में विस्तार से दिया गया है। योग और प्राणायाम से सभी बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है। यही कारण है कि आज बाबा रामदेव योग के माध्यम से करोड़ों लोगों को निरोग बना रहे हैं।
-लक्ष्मी चन्द
गांव-बांध, डाक-भावगड़ी तहसील-कसौली जिला-सोलन-173233 (हि.प्र.)
सुखद समाचार
इस अंक में अनेक सुखद समाचार हैं। राष्ट्रपुरुष श्री गोलवलकर के नाम पर भी कोई काव्य पुरस्कार है, यह जानकर हर्ष हुआ। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में होने वाले कवि सम्मेलनों की तुलना में सूरघाट पर शरद पूर्णिमा पर हुए सम्मेलन अधिक सार्थक हैं। विजयादशमी पर नागपुर में श्री नरेन्द्र कोहली जैसे साहित्यकार को मुख्य अतिथि बनाकर संघ ने अपनी समरसता का परिचय दिया है।
-प्रो. परेश
1251/8 सी, चण्डीगढ़
कांग्रेस की उल्टी गिनती शुरू
पिछले दिनों हिसार संसदीय क्षेत्र और कई राज्यों में विधानसभा के कुछ क्षेत्रों में उपचुनाव हुए। कहीं भी कांग्रेस नहीं जीत पाई। हिसार में तो उसके उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई, जबकि वहां के मुख्यमंत्री सहित कुछ बड़े नेता हिसार में कई दिन तक डेरा डाले रहे। इन चुनाव परिणामों से यह सन्देश जा रहा है कि पूरे देश में कांग्रेस लोगों की नजरों से गिर चुकी है। यदि विपक्षी दल एकजुट होकर कांग्रेस के खिलाफ ताल ठोंकें तो कांग्रेस का नाम लेने वाला भी कोई नहीं बचेगा।
-ठाकुर सूर्यप्रताप सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
आर्थिक आधार पर जनगणना हो
आखिर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने जाति आधारित जनगणना करने का निर्णय कर ही लिया। जाति आधारित जनगणना से देश का भला नहीं होगा, बल्कि जाति की राजनीति करने वाले नेताओं का भला होगा। जाति पर राजनीति करने वाले नेताओं की फौज भी खड़ी हो जाएगी। कोई जाति ऐसी नहीं है, जिसमें अमीर-गरीब न हों। इसलिए जनगणना आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। इससे हर जाति के गरीब लोगों का भला होगा। जाति गणना व्यावहारिक नहीं है। जाति पर आधारित आरक्षण से वे लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं, जिनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जबकि तथाकथित ऊंची जातियों के गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं।
-राकेशचन्द्र वर्मा
मातृछाया, लाल दरवाजा, मुंगेर-811201 (बिहार)
दिग्विजय की दशा और दिशा
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा, बाबा रामदेव, अण्णा हजारे, श्री श्री रविशंकर आदि के बारे में बहुत ही निचले स्तर का बयान दे रहे हैं। वे सोचते हैं कि ऐसा करने से कांग्रेस को लाभ होगा। वे यह क्यों भूल जाते हैं कि जनता सब कुछ जानती है। दिग्विजय तथाकथित “हिन्दू आतंकवाद” पर भी बेलगाम हैं। यदि उनमें थोड़ी भी नैतिकता हो तो पहले अफजल को फांसी दिलाएं। जिस जिहादी आतंकवाद से भारत ही नहीं, लगभग पूरी दुनिया त्रस्त है, उस पर दिग्विजय क्यों नहीं कुछ बोलते हैं? कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को “ओसामा जी” कहने वाले दिग्विजय तब से अधिक परेशान हैं, जब से उन्हें म.प्र. की जनता ने सत्ता से हटा दिया है।
-मनमल मंदावत
118, मंदावत स्ट्रीट, सदर बाजार
प्रतापगढ़ (राज.)
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2011
मार्गशीर्ष कृष्ण 10 रवि 20 नवम्बर, 2011
“” “” 11 सोम 21 “” “”
“” “” 12 मंगल 22 “” “”
“” “” 13 बुध 23 “” “”
“” “” 14 गुरु 24 “” “”
मार्गशीर्ष अमावस्या शुक्र 25 “” “”
मार्गशीर्ष शुक्ल 1 शनि 26 “” “”
यादें बनीं अतीत
सूना सचमुच हो गया, गीत और संगीत
चले गये भूपेन दा, यादें बनीं अतीत।
यादें बनीं अतीत, शारदा के आराधक
सभी कलाओं को पूजा, थे सच्चे साधक।
कह “प्रशांत” गंगा तो बहती ही जाएगी
मगर तुम्हारी याद नहीं दिल से जाएगी।।
-प्रशांत
टिप्पणियाँ