दृष्टिपात
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आलोक गोस्वामी
पाकिस्तान ने अन्तरराष्ट्रीय मीडिया के सामने मीनार पर चढ़कर भारत को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (सबसे पसंदीदा देश) का दर्जा क्या दिया, उसके नेता हाथ घुमाकर अपनी पीठ खुद ही थपथपाने लगे। लेकिन चंद मिनटों के भीतर ही उसने यह भी जता दिया कि 'हम फितरत नहीं बदलेंगे, जैसे हैं वैसे रहेंगे।' पाकिस्तान की सूचना व प्रसारण मंत्री फिरदौस ने मीडिया के सामने दर्जे का बखान करते हुए यह जोड़ने में देर नहीं की कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर अपनी सोच जैसी थी वैसी ही रखेगा। यानी कश्मीर में वह अपनी करतूतें जारी रखेगा, उसकी आई.एस.आई. जम्मू-कश्मीर में जिहादियों की खेप भेजती रहेगी, उन्हें बम-गोले चलाने में माहिर करती रहेगी, कश्मीरी अवाम को अपनी मिट्टी से नफरत करने का पाठ पढ़ाती रहेगी!… और पाकिस्तान का सत्ता अधिष्ठान? वह जख्मों पर नमक छिड़कता रहेगा, दिन के उजाले से साफ चमकते सबूतों के बावजूद भारत में हर आतंकी घटना से कन्नी काटता रहेगा। फिरदौस ने कहा, 'पाकिस्तान कश्मीरियों के अभियान को सियासी, नैतिक और कूटनीतिक समर्थन देता रहेगा।'
2 नवम्बर को पाकिस्तान ने भारत को (कारोबारी रिश्तों को तरजीह देने के लिए) 'सबसे पसंदीदा देश' का दर्जा दिया और इसके ठीक एक दिन पहले वाशिंगटन से खबर आई थी कि ओबामा प्रशासन ने आने वाले वक्त में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया है। अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी ने अमरीका-भारत संबंधों को और गहराने की तरफ इशारा किया था। लगभग उसी दिन यह खबर भी आई कि अमरीका भारत को अपने अत्याधुनिक एफ-35 लड़ाकू विमान बेचने को उतावला है। भारत को पाकिस्तान से उलझाए रखकर वह अपने जंगी साजो-सामान के लिए यहां बाजार ही तो खोज रहा है, ऐसा कई रक्षा विशेषज्ञों ने बार-बार कहा है।
अमरीका और पाकिस्तान से आईं भू राजनीतिक नजरिए से महत्वपूर्ण इन दो खबरों में कहीं कोई सामंजस्य दिखता है क्या? पाकिस्तान के रवैए में अचानक पलटी कैसे आ गई? अमरीका के पिछले दिनों इस्लामाबाद को घुड़काने के पीछे क्या था? भारत के साथ पींगें बढ़ाने में वाशिंगटन इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनकी साउथ ब्लाक को गहराई से पड़ताल करनी होगी और यह भी सोचना होगा कि 1996 में जिसको उसने 'सबसे पसंदीदा देश' का दर्जा दिया था वह पाकिस्तान 15 साल बाद अब भारत की 'दरियादिली' का हिसाब बराबर कर रहा है तो इसके क्या मायने हैं। और ऐसा करते हुए उसे प्रधानमंत्री गिलानी की वह बात भी याद रखनी होगी कि 'कश्मीर पर हमारा रुख नहीं बदलेगा, दर्जा-वर्जा बाद की बात है।'
ब्रिटेन पर साइबर हमला
ब्रिटेन के सरकारी कम्प्यूटरों, रक्षा तकनीकों और इंजीनियरिंग फर्मों के डिजाइनों पर अंतरिक्ष के जरिए हमले हो रहे हैं। देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी जी.सी.एच.क्यू. के मुखिया लेन लोब्बान की मानें तो, इन साइबर हमलों की तादाद दिनोंदिन बढ़ते हुए आज खतरनाक स्तर पर जा पहुंची है। ब्रिटिश विचारों और डिजाइनों की साइबर-ताकाझांकी के निशाने पर ब्रिटेन के रक्षा, तकनीकी, आई.टी., इंजीनियरिंग और ऊर्जा क्षेत्र हैं। कुछ उद्योगों के तकनीकी डिजाइन पर भी साइबर हमले हुए हैं। लेकिन वहां के मंत्रियों को बार-बार इस बारे में बताने के बावजूद उनका अनमना रवैया देखकर आखिरकार सरकार ने 1 और 2 नवम्बर को लंदन में इस मुद्दे पर पूरी कांफ्रेंस ही कर डाली। ब्रिटेन के विदेशमंत्री विलयम हेग के अनुसार, मकसद बस इतना था कि राजनीतिक नेताओं, जैसे अमरीकी विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन और यूरोपीय संघ की डिजिटल प्रमुख नीली क्रोएस, साइबर सुरक्षा के माहिरों और तकनीकी के दिग्गजों को साथ बैठाकर इस मुद्दे पर गहराई से सोचा जा सके। हेग ने तो इसमें पूरी दुनिया के समन्वित प्रयास की वकालत कर दी। वैसे यह सही भी है, क्योंकि भारत के भी कई प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठानों की वेबसाइटों को 'हेक' किए जाने की खबरें आई थीं।
ब्रिटेन के जानकार चीन और रूस को सबसे बड़े साइबर ताक-झांक कर्त्ता मानते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की विशेष प्रतिनिधि पोलिन नेवेली जोन्स ने इन दोनों देशों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह बेहद नुकसानदेह हरकत है। पिछले साल ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने उन एक हजार से ज्यादा साइबर हमलों को नाकाम किया था जो अपराधियों और विदेशी गुप्तचर एजेंसियों की तरफ से किए गए थे। 'हेक' करने को सरकारी कम्प्यूटरों में 'जीयस' कम्प्यूटर वायरस रोप दिया गया था।
तुर्कमेनिस्तान में नया फरमान
शादी की सालगिरह पर पेड़ लगाओ
तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुखमेदोव ने नया फरमान जारी करके शादी की हर सालगिरह के दिन जोड़ों को किसी बगीचे में एक पेड़ लगाने और फिर उसकी देखभाल करने को कहा है। यह नियम वहां कड़ाई से लागू किया जा रहा है। इस मध्य एशियाई देश को हरा-भरा बनाने की गरज से जारी हुआ यह फरमान राष्ट्रपति के नित नए फरमानों की ही अगली कड़ी है। इसी के साथ शादी की सालगिरह के दिन जोड़ों को शहर के प्रमुख स्मारकों का दौरा भी करना जरूरी है। ऐसा यहां की संस्कृति, परिवारिक मूल्यों और लोक-परम्पराओं के प्रति बच्चों में आदर-भाव रोपने की गरज से किया गया है। कम से कम राष्ट्रपति तो यही कहते हैं।
तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अशगाबत के जोड़े अब अपने जीवन के यादगार दिन को यहां के स्मारकों, जैसे भूकंप स्मारक, संविधान स्मारक, स्वतंत्रता स्मारक और द्वितीय विश्व युद्ध स्मारक को देखने में बिताएंगे। फरमान यह भी सुझाता है कि 'विवाह महल' में अपनी शादी रजिस्टर कराने आने वाले जोड़े बगल के पार्क में पेड़ लगाकर उसकी देखभाल किया करें। इतना ही नहीं, शादीशुदा जोड़े अपने जीवन के हर यादगार लम्हे/आयोजन पर कोई न कोई पेड़ लगाएं।
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