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फिर उजागर हुई चर्च की काली करतूत
छात्रावास में बच्चों का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न
उड़ीसा/समन्वय नंद
वंचित वर्ग की सेवा का दावा करने वाली ईसाई संस्थाओं का असली चेहरा उड़ीसा में फिर एक बार उजागर हुआ है। राज्य के रायगड़ा जिले में चर्च द्वारा संचालित एक छात्रावास में छात्र-छात्राओं का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा था। इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद प्रशासन ने वहां रह रहे 80 बच्चों को छुड़ाया तथा उनको वापस उनके घर भेज दिया है। प्रशासन ने चर्च द्वारा संचालित इस संस्था के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। मामले का मुख्य आरोपी, पादरी पीटर किंडो फरार है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रायगड़ा शहर में सेंट जोसेफ कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित इस छात्रावास में रायगड़ा व कंधमाल जिले के गरीब परिवारों के बच्चे रह रहे थे। यहां रहने वाली बच्चियों से चर्च का पादरी अपने बर्तन तक मंजवाता था। सिर्फ इतना ही नहीं, यहां रहने वाले बच्चों को ठीक से भोजन तक नहीं दिया जाता था। यहां रहने वाले एक छात्र चंदन को जब यह उत्पीड़न सहन नहीं हुआ तो वह वहां से किसी तरह भागकर रेलवे स्टेशन पहुंचा और उस पर हो रहे अत्याचार की कहानी रेलवे पुलिस (आरपीएफ) के जवानों को बतायी। इसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। प्रशासन भी हरकत में आया तथा जिलाधिकारी नितिन भानुदास जावले ने मामले की जांच के लिए स्थानीय तहसीलदार व अन्य अधिकारियों की जांच कमेटी बनायी। इस कमेटी ने बच्चों से बात की तो बच्चों ने बताया कि उन्हें खराब भोजन दिया जा रहा था। बच्चों ने मारपीट व उत्पीड़न किये जाने की बात भी बताई। कुछ बालिकाओं को इस संस्था का प्रमुख पीटर किंडो अपने घरेलू काम में लगाए हुए था। कुछ बच्चों ने अपनी पीठ पर पिटाई के कारण पड़े निशानों को भी दिखाया। जांच अधिकारियों द्वारा संस्था के कागजात मांगने पर संस्था के पदाधिकारी उन्हें नहीं दिखा पाये। इसके बाद जिला प्रशासन ने संस्था के खिलाफ थाने में मामला दर्ज किया। द
अब साईं मंदिर के खजाने पर नजर
महाराष्ट्र/द.वा.आंबुलकर
शिर्डी स्थित साईं मंदिर के धन का शिर्डी में प्रस्तावित हवाई अड्डे हेतु प्रयोग करने के लिए राज्य विधानसभा का सत्र शुरू होने के कुछ दिन पहले ही एक अध्यादेश द्वारा अधिग्रहण कर राज्य सरकार ने साईं बाबा के देश-विदेश में रहने वाले करोड़ों भक्तों एवं श्रद्धालुओं को ठेस पहुंचाई है। मंदिर की सम्पत्ति पर कब्जा जमाने की इस नीति एवं सरकार की नीयत पर सदन से लेकर सड़क तक प्रश्नचिन्ह लगाये जा रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के अनुसार इसके पहले भी राज्य सरकार ने शिर्डी के साईं संस्थान में श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित चढ़ावा राशि का प्रयोग कुछ सार्वजनिक कामों के लिए किया था, वे निर्णय भी प्रशासनिक तौर पर ही लिए गये थे। पर सचाई यह है कि उन फैसलों की आड़ में अब राज्य सरकार ने मंदिर संस्थान के पूरे खजाने को ही हड़पने की योजना बनायी है। मुख्यमंत्री के प्रस्ताव के अनुसार शिर्डी में प्रतिदिन देश-विदेश से साईं बाबा के दर्शन हेतु आने वाले भक्तों की सुविधा हेतु हवाई अड्डा बनाने की आवश्यकता विगत कई वर्षों से महसूस की जा रही थी। इस योजना की पूर्ति हेतु अब मंदिर संस्थान की अनुमानित 50 करोड़ रुपयों की राशि महाराष्ट्र विमान विकास प्राधिकरण को दी जा रही है।
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के मंदिर के धन का इस प्रकार सरकारीकरण करने के प्रस्ताव का महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में सम्पूर्ण विपक्ष द्वारा जमकर विरोध किया गया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एकनाथ खडसे ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार का इन दिनों विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की बजाय अध्यादेशों पर अधिक जोर है, यह जनतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा का सत्र शुरू होने से ठीक पहले राज्य सरकार ने साईं मंदिर के चढ़ावे का अधिग्रहण करने का अध्यादेश निकाल कर लाखों साईं भक्तों की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ किया है, जो सर्वथा निंदनीय है। इसी प्रकार की राय सदन में भाजपा, शिवसेना तथा महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के सदस्यों-देवेन्द्र फडणवीस, विनोद घोसालकर, विजय शिवतारे, शिशिर शिंदे, गोपाल शेट्टी, सरदार तारासिंह, आशीष जायसवाल, जयकुमार रावत, शरद पाटिल, धैर्यशील पाटिल, राम शिंदे, शिरीष कोतवाल आदि विधायकों ने भी व्यक्त की। विपक्ष के नेता एकनाथ खडसे ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि आगामी कुछ वर्षों में शिर्डी के साईं मंदिर के सौ साल पूरे होने के अवसर पर राज्य सरकार को सम्पूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए अपनी ओर से विशेष अनुदान का प्रावधान करना चाहिए, न कि इस प्रकार के अध्यादेश से मंदिर के चढ़ावे का अधिग्रहण करना चाहिए।
सच्चाई यह है कि शिर्डी में साईंबाबा मंदिर में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा स्वेच्छा से प्रतिवर्ष औसतन 30 करोड़ रुपए की राशि समर्पित की जाती है। इस धन का उपयोग साईं मंदिर संस्थान द्वारा भक्तों एवं श्रद्धालुओं के लिए भक्त निवास, भोजन, चिकित्सा, परिवहन सेवा आदि के अलावा स्थानीय लोगों की शिक्षा आदि विकास कार्यों के लिए किया जाता रहा है। पर अब इसी धन के लालच में आकर राज्य सरकार ने चढ़ावा राशि को अधिग्रहीत (कब्जा) करने की जो चाल चली है, उसकी सर्वत्र निंदा हो रही है। केन्द्र व राज्यों में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकारें ऐसा कर हिन्दू भावनाओं को ठेस पहुंचाती रही हैं। पूरे देश में कभी भी, किसी भी मस्जिद या चर्च की सम्पत्ति पर कोई भी सरकार कब्जा करने का प्रयास नहीं करती। अधिग्रहण या मंदिर की सम्पत्ति पर सरकारी नियंत्रण ही क्यों रखा जाता है-यह हिन्दुओं के लिए चिंता और आक्रोश का विषय होना चाहिए।
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