पाठकीय
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अंक-सन्दर्भ थ्11 सितम्बर,2011
चालाक चीन से सावधान!
आवरण कथा के अन्तर्गत श्री आलोक गोस्वामी की रपट “सीमा पर खतरा चीनी मिसाइलें” भारत के उस सत्ता अधिष्ठान के लिए, जिसकी सामरिक तैयारियां अपर्याप्त हैं, एक चेतावनी भी है और चुनौती भी। परन्तु दुर्भाग्य तो यह है कि सेकुलर सरकार अपनी आंखें बंद किए रखने में ही भलाई समझती है। जबकि सच्चाई यह है कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन इंच-इंच करके भारत की भूमि पर कब्जा जमाने में लगा है। जिस चीन ने तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान को अवैध रूप से कब्जा रखा है और जिस चीन ने 1950 में कोरिया पर और 1962 में भारत पर तथा 1979 में वियतनाम पर हमला किया था, वही चीन अब कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का भाग नहीं मानता।
-आर.सी. गुप्ता
द्वितीय-ए, 201, नेहरू नगर, गाजियाबाद (उ.प्र.)
द चीन की चालाकी जगजाहिर है। वह भारत को चारों तरफ से घेरने का प्रयास कर रहा है। किन्तु हमारे शासक आपस में ही कुर्सी की लड़ाई में उलझे हुए हैं। वर्तमान संप्रग सरकार तो देश की सुरक्षा के प्रति तनिक भी गंभीर नहीं है। उधर चीन लेह से लेकर सिक्किम तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। भारत की सीमा तक रेलमार्ग तैयार कर चुका है।
-दयाशंकर मिश्र
सेवाधाम विद्या मन्दिर, मण्डोली (दिल्ली)
संकुचित मानसिकता
श्री देवेन्द्र स्वरूप का आलेख “अण्णा आन्दोलन के दर्पण में राष्ट्रवाद” हर सच्चे भारतीय को पढ़ना चाहिए। पूरी तरह तथ्यों पर आधारित यह लेख मन को मथ कर रख देता है। जो काम सच्चे मन से किया जाता है उसमें सफलता मिलती ही है। कुछ क्षण के लिए बाधाएं आती हैं, किन्तु पक्का इरादा रास्ता अवश्य निकाल देता है।
-लक्ष्मी चन्द
गांव-बांध, डाक-भावगड़ी, तहसील-कसौली
जिला-सोलन-173233 (हि.प्र.)
द सत्ता के सर्वोच्च पदों पर आसीन राजनेताओं के हजारों करोड़ के घोटालों से व्यथित जनता की आवाज को अण्णा हजारे ने मंच दिया। भाजपा या रा.स्व.संघ किसी आन्दोलन को समर्थन दें तो उसे गलत कहना संकुचित मानसिकता है। मान लीजिए किसी देश ने भारत पर हमला किया और हमारी सेना दुश्मन के सैनिकों को मारने लगे। उस समय संघ स्वाभाविक रूप से अपनी सेना का समर्थन करेगा। तब क्या इस आधार पर हमारी सरकार सेना को वापस होने का हुक्म देगी?
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग,
पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)
इफ्तार और वोट बैंक
श्री मुजफ्फर हुसैन का आलेख “इफ्तार की तेज होती रफ्तार” बताता है कि वोट बैंक के लिए पवित्र रमजान महीने को अपवित्र किया जा रहा है। हिन्दू, सिख और जैन मुनि तो चातुर्मास में महीनों तक उपवास रखते हैं। उनके उपवास तोड़ने के समय नेता, अभिनेता, अधिकारी क्यों नहीं इकट्ठे होते हैं?
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
द देश का बहुसंख्यक समाज मुस्लिमों के त्योहारों पर उन्हें बधाई देता है और त्योहार में सहयोग करके अपने को धन्य मानता है। हिन्दू इफ्तार पार्टी में भाग लेते हैं। सरकारी सहयोग भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में मिलता है। किन्तु मुस्लिम समाज त्योहारों के अवसर पर हिन्दू समाज का उतना सहयोग नहीं करता है। मुस्लिम समाज का प्रबुद्ध वर्ग इस ओर ध्यान दे।
-चन्द्रमोहन चौहान
165-सी, तलवंडी, कोटा (राजस्थान)
अग्निवेश का कच्चा चिट्ठा
बात बेलाग स्तम्भ में तथाकथित समाजसेवी अग्निवेश का कच्चा चिट्ठा खोला गया है। अग्निवेश की गतिविधियां हिन्दुओं के विरुद्ध और आतंकवादियों तथा माओवादियों के पक्ष में चलती रहती हैं। फिर भी आश्चर्य होता है कि किसी मुद्दे पर सेकुलर मीडिया तुरन्त उनका बयान लेता है।
-बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
द अग्निवेश ने सरकारी शह पर आर्य समाज को तोड़ने का प्रयास किया। इन्होंने समलैंगिकता का समर्थन किया। जम्मू-कश्मीर में सेना के मनोबल को तोड़ा। जिहादियों के पक्ष में धरना दिया। माओवादियों को देशभक्त घोषित किया। नई दिल्ली में असाफ अली रोड स्थित सार्वदेशिक सभा पर जबर्दस्ती कब्जा किया। वह तो सचमुच में छद्मवेशी हैं।
-कृष्णा सेठी
एस-882, ग्रेटर कैलाश, भाग-एक,न.दिल्ली-110048
अहलूवालिया की फिजूलखर्ची
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया की शाहखर्ची पर आधारित श्री अरुण कुमार सिंह की रपट “हवा में उड़ाई दो करोड़ से ज्यादा की रकम” पढ़ी। सरकार में बैठे लोग जनता के पैसे को बर्बाद कर रहे हैं। जिसको जहां मौका मिल रहा है वही सरकारी खजाने को लूट रहा है। क्या योजना आयोग की बैठकें विदेशों में ही ज्यादा होती हैं?
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर दिल्ली-110051
द भारत जैसे गरीब देश के नेता विदेश यात्रा में करोड़ों रु. खर्च करें, यह ठीक नहीं है। किसी नेता के विदेश दौरे से भारत का कितना हित हो रहा है, यह लोगों को पता चलना चाहिए। ऐसा करने से विदेश के नाम हो रही फिजूलखर्ची रुक सकती है।
-देशबन्धु
आर.जेङ-127 प्रथम तल, सन्तोष पार्क उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
राष्ट्रधर्म का पालन करे सरकार
यह कैसी विडम्बना है कि अहिंसात्मक आन्दोलन करने वाले स्वामी रामदेव व अण्णा हजारे जैसे वर्तमान जननायकों व उनके सहयोगियों को प्रताड़ित करने के रास्ते ढूढ़े जा रहे हैं। जबकि पूर्वोत्तर में उल्फा व बोडो उग्रवादियों और कश्मीर के अलगाववादियों तथा देश में जगह-जगह जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने वाले देशद्रोहियों तथा बंगलादेशी घुसपैठियों के प्रति सरकार कृपालु बनी रहती है।
-विनोद कुमार सर्वोदय
नयागंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
लूट की छूट
सीएजी की रपट ने खेल के नाम पर हुई लूट के लिए कांग्रेसनीत केन्द्र सरकार को दोषी ठहराया है। परंतु सरकार कुतर्कों का सहारा लेकर स्वयं को दोषी मानने से इंकार कर रही है। संप्रग सरकार जब पहली बार सत्ता में आई तो उसने खेलों की तैयारियों की ओर शायद यह सोचकर ध्यान नहीं दिया कि 2009 में सत्ता परिवर्तन तो होगा ही। जो सरकार बनेगी वही आयोजन की सफलता-असफलता के लिए उत्तरदायी होगी। दुर्भाग्यवश सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ। तब समय की कमी का बहाना बनाकर सरकार ने अपने समर्थकों को सरकारी धन लूटने की खुली छूट दे दी।
-विक्रम सिंह
15/92, मोहल्ला जोगियों वाला, घरौंडा, करनाल-132114(हरियाणा)
अभिन्न अंग है पाञ्चजन्य
मैं ढाई दशक से पाञ्चजन्य का पाठक हूं। इसे पढ़ने से किसी मुद्दे की विस्तृत जानकारी मिलती है। चाहे कितने भी दैनिक पत्र पढ़ लूं, पर वह सन्तुष्टि नहीं मिलती है, जो पाञ्चजन्य पढ़ने से मिलती है। पाञ्चजन्य जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। 1987 में श्री बाला साहब देवरस बिहार प्रवास पर थे। एक बैठक में एक कार्यकर्ता ने उनसे एक प्रश्न किया। इस पर देवरस जी ने कहा लगता है आप पाञ्चजन्य नहीं पढ़ते हैं। उस कार्यकर्ता के प्रति उनका यह कहना हम लोगों के लिए पाथेय बन गया। इसके बाद हम लोगों ने पाञ्चजन्य के प्रसार पर ध्यान दिया। अभी हमारे यहां सभी 12 प्रखण्डों में पाञ्चजन्य के सैकड़ों ग्राहक हैं। इस कारण संघ-कार्य भी बढ़ रहा है।
-कालीमोहन सिंह
आरा, भोजपुर (बिहार)
सक्षम देश के अक्षम नेता
दुनिया की चौथी महाशक्ति है भारत। अमरीका, चीन और रूस के बाद सबसे अधिक बड़ी है भारत की सेना। परन्तु इस महाशक्ति की विडम्बना यह है कि हम अपनी आन्तरिक सुरक्षा नहीं कर सकते हैं। देश में लगातार बम विस्फोट हो रहे हैं। हजारों बेकसूर लोग मारे जा रहे हैं। लेकिन देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिनके मजबूत कंधों पर है वे हर बार कुछ कठोर निर्णय लेने की बजाय आतंकवादियों के कायराना कृत्य की निन्दा कर अपने दायित्व का निर्वहन कर लेते हैं। ठोस कार्रवाई के नाम पर गृहमंत्री को बदल दिया जाता है और कुछ नहीं किया जाता है। यदि सरकार सचमुच में आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे तो निश्चित रूप से आतंकवाद खत्म होगा। सरकार अफजल को फांसी पर क्यों नहीं लटका रही है? कसाब के मामले की सुनवाई जल्दी-जल्दी क्यों नहीं करवा रही है? यदि ऐसा किया जाए तो आतंकवादियों को एक सन्देश जाएगा कि पकड़े जाने पर खैर नहीं है। सरकार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई इसलिए नहीं करती है कि उसे लगता है कि देश का मुसलमान नाराज हो जाएगा। ऐसे में उसे मुसलमानों का वोट नहीं मिलेगा। तो क्या सरकार आतंकवादियों को मुसलमानों का नेता मानती है? 7 सितम्बर को दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर हुए बम विस्फोट में मुसलमान नागरिक भी मारे गये हैं और उनके परिवार के लोग इस हादसे से दुखी हैं और आम नागरिकों की तरह आतंकवादियों से नफरत करते हैं और कठोर कार्रवाई चाहते हैं।
सरकार को चाहिए कि देश एवं समाज की सुरक्षा कैसे की जाती है, यह अमरीका से सीखे। जिस तरह अमरीका ने आतंकवाद के खिलाफ अपने राष्ट्रहित में लड़ायी लड़ी उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करनी होगी। वे दलगत एवं वोट की राजनीति से ऊपर उठकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हैं। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश, जो रिपब्लिकन पार्टी के हैं एवं वर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा, जो डोमोक्रेट हैं, परन्तु दोनों की आतंकवाद के खिलाफ सोच समान है कि अमरीका के दुश्मन को खत्म करना है, आपस में एक-दूसरे की आलोचना नहीं करनी है। अमरीका में हुये हमले के आरोपी एक-एक आतंकवादी को मार गिराया गया। यही कारण है कि आतंकवादी अमरीका की साहसिक कार्रवाई से भयभीत हो गये और दूसरा हमला 10 साल में करने की हिम्मत नहीं कर पाये। हमारे यहां दृढ़ इच्छा-शक्ति वाले नेताओं की कमी है। जो हैं वे दलगत हित से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। यही कारण है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए हमारे यहां एक कठोर कानून तक नहीं है।
-नीरज पाण्डेय
भोपाल
पञ्चांग
वि.सं.2068 तिथि वार ई. सन् 2011
आश्विन शुक्ल 13 रवि 9 अक्तूबर, 2011
“” “” 14 सोम 10 “” “”
आश्विन व्रत पूर्णिमा मंगल 11 “” “”
आश्विन पूर्णिमा बुध 12 “” “”
(कार्तिक स्नानारम्भ)
कार्तिक कृष्ण 1 गुरु 13 “” “”
“” “” 2 शुक्र 14 “” “”
“” “” 3 शनि 15 “” “”
जनता को सच बतलाओ
किसका नंबर आ गया, किसको होगी जेल
अंदर होगा कौन अब, किसे मिलेगी बेल?
किसे मिलेगी बेल, यही चर्चा है घर-घर
सभी बड़ों की छाया थी राजा के सिर पर।
कह “प्रशांत” श्री मनमोहन अब तो जग जाओ
त्यागपत्र दे जनता को सब सच बतलाओ।।
-प्रशांत
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