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अब सिक्के पर क्रास-देश के साथ छलभाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा- गांधी-नेहरु राज में देश की सवा लाख वर्ग कि.मी. भूमि दुश्मनों ने हथियाईबंगाल से छत्तीसगढ़ तक कम्युनिस्ट हिंसाचारकम्युनिस्ट हिंसाचार पर दो महत्वपूर्ण पुस्तकेंअशोक सिंहल गरजे- अयोध्या से रामसेतु तक कांग्रेस कम्युनिस्ट की नीतियों द्वाराहिन्दुओं पर आक्रमण का प्रतिरोध करोश्रीराम सेतु में खनन पर डा. मुरली मनोहर जोशी का प्रधानमंत्री को पत्र श्रीराम सेतु बचाएं, परियोजना मार्ग बदलें – प्रतिनिधिसरकार को सद्बुद्धि आए, रामसेतु की रक्षा हो -कुपुराम, अध्यक्ष, तमिलनाडु मछुआरा संघसावधान रामसेतु तोड़ा जा रहा है! -वी. सुन्दरम (आई.ए.एस.), एसोसिएट सम्पादक,दैनिक न्यूज टुडे (चेन्नै)डा. सुब्रामणियम स्वामी की पुस्तक “हिन्दू निशाने पर” पूज्य सत्यमित्रानन्द गिरि जी द्वारा लोकार्पित यदि सद्गुण क्षय का कारण बने, तो उसको त्याग दो -स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी, संस्थापक, भारत माता मंदिर, हरिद्वार – प्रतिनिधिऐसी भाषा-कैसी भाषा वीक कम्युनिकेशन स्किल है असफलता का कारणगहरे पानी पैठ देशाभिमानी पर पड़ा असरमंथन संघ विरोध ही जिनका धर्म है किताब नहीं, झूठ का पुलंदा – देवेन्द्र स्वरूपचर्चा सत्र राष्ट्रीय सुरक्षा और बढ़ती नक्सली हिंसा-1 जहर बुझे नक्सली इरादों को परास्त करना है -जगमोहन, पूर्व केन्द्रीय मंत्रीउत्तर प्रदेश चौतरफा घिरे मुलायम -शशी सिंहपूर्वी उत्तर प्रदेश में सांसत में सपा – हरि मंगलमुस्लिमों को रिझाने के लिए सेकुलर संप्रग सरकार का नया फरमान- सरकारी विभागों में मुस्लिमों की भर्ती करो -फिरदौस खानसाहित्य में राष्ट्रीयता का उद्भव-2 हिन्दुत्व राष्ट्रीयत्व से अलग नहीं है! -मुजफ्फर हुसैनचित्रा मुद्गल को कल्पना चावला सम्मान – प्रतिनिधिभाजपा ने सेतु समुद्रम रक्षार्थ डा. जोशी के नेतृत्व में 6 सदस्यीय समिति गठित की – प्रतिनिधिमलेशिया इस्लामी राज में तोड़े जा रहे हैं हिन्दू मंदिर -आलोक गोस्वामीफासीवाद तो कम्युनिज्म में गहरे समाया हुआ है -डा.के.एस. राधाकृष्णन, कुलपति, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालडी (केरल) – प्रदीप कुमारकेरल में दो हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता माक्र्सवादी हिंसा के शिकार -प्रदीप कुमारपूर्वोत्तर जनजातीय समाज भारत माता की रक्षा का अक्षुण्ण कवच है -ब्राह्मदेव शर्मा “भाई जी” राष्ट्रीय संगठन मंत्री, विद्या भारती अ.भा. शिक्षा संस्थान – प्रतिनिधिछत्तीसगढ़ जनजाति सुरक्षा मंच का प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ के राज्यपाल से मिला जनजातियों की जमीन वापस दिलाओ – प्रतिनिधिकेरल भारतीय विचार केन्द्रम् में अब होंगे शोध भी – प्रदीप कुमारभीलवाड़ा सुबह किए तिलक, शाम को जली ज्योति – गोविंद प्रसाद सोडानीराजस्थान साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय लेखक सम्मेलन व साहित्यकार सम्मान समारोह में वरिष्ठ साहित्यकारों ने कहा- साहित्य में झलके विरोध के स्वर, -डा. महीप सिंह – प्रतिनिधिमध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ने आयोजित किया ग्वालियर में साहित्य महाकुंभ – दिलीप मिश्रागेशे जम्पा-10 न जाने किस हाल में होंगे मां-पिताजी? – नीरजा माधवचीनस्य बुद्ध:, बुद्धस्य भारतम् – तरुण विजय2अंक-सन्दर्भ ,4 मार्च, 2007पञ्चांगसंवत् 2064 वि. – वार ई. सन् 2007चैत्र शुक्ल 14 रवि 1 अप्रैल, 07चैत्र पूर्णिमा — सोम 2 “”(श्री हनुमान जयन्ती, वैशाख स्नानारम्भ)वैशाख कृष्ण 1 मंगल 3 “””” 2 बुध 4 “””” 3 गुरु 5 “””” 4 शुक्र 6 “”(श्रीगणेश चतुर्थी व्रत)”” 5 शनि 7 “”सच मानो या झूठयह चुनाव का वक्त है, टूट-फूट और लूटसभी दलों में हो रही, सच मानो या झूठ।सच मानो या झूठ, आग थी अब तक अंदरखुलेआम अब निकल रही है घर से बाहर।कह “प्रशांत” है लोकतंत्र का यही तकाजापहले इनसे निबटो, फिर बनना तुम राजा।।-प्रशांतशुभ संकल्प ले बढ़ें हम!नई दिल्ली में सम्पन्न श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष पूर्णहुति समारोह सांस्कृतिक भारतवर्ष की शक्ति को उभारने में सफल रहा। इसके साथ ही विरोधी शक्तियों की बौखलाहट भी बढ़ गई है। कम्युनिस्टों ने भी देशभक्ति का स्वांग करना प्रारंभ कर दिया है। जन्मशताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों से यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि शुभ संकल्पों को सहयोग निश्चित मिलता है। समाज नेतृत्व की तलाश कर रहा है। हम वास्तव में विजय की ओर बढ़ रहे हैं। महर्षि अरविंद व स्वामी रामकृष्ण परमहंस द्वारा बताया गया युग संधिकाल निकट है। शेष सब हमारे सामूहिक प्रयत्नों की कठोरता व सातत्य पर निर्भर करता है।-केशव कुमारग्राम-पचम्बा, पो. सुह्मदनगर,जिला-बेगूसराय (बिहार)श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष पूर्णाहुति समारोह में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गण्यमान्य अतिथियों के ओजस्वी एवं ज्ञानवद्र्धक भाषणों को सुनकर लगा कि वास्तव में हमारे देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की अति-आवश्यकता है। राष्ट्रीय चेतना, संस्कृति, संस्कार, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन की प्रेरणा संघ जैसे संगठन से ही प्राप्त होती है।-मीनाक्षी कौशल123, रुड़की रोड, मेरठ छावनी (उ.प्र.)पूर्णाहुति समारोह में उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, स्वामी सत्यमित्रानन्द सहित अनेक पूज्य सन्त एवं वरिष्ठ नेता, कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री और 2 लाख से अधिक आमजन उपस्थित थे। किन्तु इस समाचार को मीडिया ने उतना महत्व नहीं दिया जितना कि उसे मिलना चाहिए। जबकि यही मीडिया प्रियंका वढेरा के मां बनने या राहुल के अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे से जुड़ी खबरों को इस तरह छापता या दिखाता है मानो उनके अतिरिक्त कोई और समाचार उस दिन है ही नहीं। तथाकथित सेकुलर मानवाधिकारकर्मी तीस्ता सीतलवाड़ एवं सरकारी चंदे से विकास कार्य करने का दंभ भरने वाले स्वामी अग्निवेश जैसे लोगों को भी यह मीडिया खूब प्रचारित करता है।-अभिजीत प्रिंसइंद्रप्रस्थ मझौलिया, मुजफ्फरपुर (बिहार)डरावना सचचर्चा सत्र में श्री गोपाल सच्चर ने अपने लेख “सरकार की नजर में सैनिक दोषी, हत्यारा बरी” में एक डरावने सच से अवगत कराया है। देश की रक्षा में दिन-रात जुटे सेनाधिकारियों एवं जवानों को जब कथित मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर सजा दी जाएगी तो कोई अधिकारी या जवान आतंकवादियों के विरुद्ध कदम उठाकर क्यों खुद को दांव पर लगाएगा? सरकार को आम नागरिक एवं आतंकवादियों के बीच स्पष्ट अन्तर रखना पड़ेगा अन्यथा सुरक्षाबलों का मनोबल टूटने पर देश का क्या होगा, यह सहज समझ में आना चाहिए।-डा. नारायण भास्कर50, अरुणा नगर, एटा (उ.प्र.)दु:साहस की पराकाष्ठा”अशान्त पूर्वाञ्चल” के अन्तर्गत गोरखपुर में हुई जिहादी हिंसा का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। वहां जिहादियों द्वारा मांगलिक गीतों का विरोध करना, होलिका दहन के स्थान पर थूकना, महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करना-ये घटनाएं एक खतरनाक प्रवृत्ति की ओर इशारा करती हैं। पुलिस की गाड़ी से खींचकर राजकुमार अग्रहरि नामक एक हिन्दू युवक की हत्या तो जिहादियों के दु:साहस की पराकाष्ठा है। उन्मादी तत्वों के विरुद्ध पुलिस-प्रशासन की निष्क्रियता निश्चय ही आश्चर्यजनक है।-क्षत्रिय देवलालउज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला,झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखण्ड)अंक-सन्दर्भ, 25 फरवरी, 2007चीन का घेराश्रीगुरुजी और राष्ट्रीय सुरक्षा अंक में प्रकाशित सभी लेख राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण व राष्ट्र निर्माण में सहायक हैं। आज भारत आंतरिक एवं बाह्र शत्रुओं से घिरा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका व चीन, कोई भी तो वास्तविक मित्र नहीं है। पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देकर हमें कमजोर कर रहा है। साठ हजार निरीह-निर्दोष नगारिक आतंकवाद की बलि चढ़ चुके हैं जिनमें अधिकांश हिन्दू हैं। चीन की विस्तारवादी सोच एवं उसकी गतिविधियों से भारत चारों ओर से घिर रहा है। पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह, तिब्बत में रेल पटरी बिछाना, अरुणाचल में घुसपैठ, श्रीलंका में शस्त्रों के गोदाम आदि चीन के खतरनाक इरादों की ओर संकेत करते हैं। इन परिस्थितियों में श्रीगुरुजी के विचार भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता एवं अखंडता बनाये रखने में मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं।-डा. सुभाष शर्माहरी भवन, रूड़की रोड, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)श्री देवेन्द्र स्वरूप ने अपने लेख “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संस्कृति साधना” में सवाल किया है कि “संघ इस स्थिति को रोक क्यों नहीं पा रहा?” संघ का उद्घोष सेकुलरों को किसी के पक्ष में किया गया प्रचार लगता है। संघ पूरे राष्ट्र की अस्मिता और गौरव की रक्षार्थ अहर्निश कार्य में जुटा है।-श्रीराम शर्माखाचरियावास, सीकर (राजस्थान)बंगलादेश को लेकर मेजर जनरल (से.नि.) शेरू थपलियाल का विश्लेषण “हमारी कमजोरी से बढ़ी उसकी गुस्ताखी” वास्तव में चिंता का विषय है। यह केन्द्र सरकार की ढुलमुल नीति का ही दुष्परिणाम है कि दिल्ली में 15 लाख और पूरे देश में दो करोड़ से अधिक बंगलादेशी न केवल अवैध रूप से रह रहे हैं, बल्कि उन सभी सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं जो यहां के निवासियों के लिए भी दुर्लभ हैं। यह विडम्बना ही है कि देश का सेकुलर खेमा देशहित की परवाह किए बिना वोटों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है।-रमेश चन्द्र गुप्तानेहरू नगर,गाजियाबाद (उ.प्र.)इस विभाजनकारी युग में विभिन्न शासकीय प्रणालियां भ्रष्ट हो चुकी हैं और स्वार्थ में लिप्त लोग केवल अपना हित देख रहे हैं। किसे चिन्ता है देश, राष्ट्र-प्रेम व संस्कृति की? यदि होती तो आजादी के बाद से ही इस पर विशेष ध्यान दिया जाता। एक तो व्यक्ति निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया दूसरे 50 वर्ष के कांग्रेसी शासन में भ्रष्टाचार बढ़ता गया। अब लोगों को पाठपुस्तकों के माध्यम से इतिहास के बारे में भ्रमित किया जा रहा है। श्रीगुरुजी दूरदर्शी थे। समय-समय पर उन्होंने जिन संकटों की ओर संकेत किया था वे अब प्रत्यक्ष दिख रहे हैं।-शिव शम्भू कृष्ण417/205, निवाजगंज, लखनऊ (उ.प्र.)डा. बजरंगलाल गुप्ता का लेख “सशक्त, संगठित समाज ही सुरक्षा की सच्ची गारंटी” एक संदेश देता है। आज हमारा देश आन्तरिक एवं बाह्र-संकटों से घिरा है। इन सबका सामना श्रीगुरुजी के आदर्शवादी सिद्धान्तों पर चलकर ही किया जा सकता है। सभी राष्ट्रवादियों को देश की रक्षा के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा, साथ ही अपने कर्तव्यों का पालन भी करना होगा।-देशबन्धुए-52, गली सं.-4, राजापुरी, उत्तम नगर (दिल्ली)राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विचारों को जन-मन तक पहुंचाकर पाञ्चजन्य ने अपने कर्तव्य का पालन किया है। दुनिया झुक सकती है, झुकाने वाला चाहिए। जब तक समाज में देशभक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना नहीं पैदा होगी तब तक आतंकवाद नहीं रुक सकता। जैसा समाज होगा, वैसी सरकार होगी, क्योंकि सरकार में समाज से ही लोग जाते हैं। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष में हिन्दू जागरण का जो कार्य हुआ है उसको और गति देने की आवश्यकता है।-लक्ष्मी चन्दगांव-बांध, डा. भावगड़ी, सोलन (हि.प्र.)यह कैसा लोकतंत्रश्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष पूर्णाहुति समारोह से एक दिन पूर्व यानी 17 फरवरी को दिल्ली के पांच स्थानों से घोषवादकों का संचलन निकलना तय था। किन्तु दो दिन पहले पुलिस ने चांदनी चौक और कालकाजी से निकलने वाले संचलनों पर रोक लगा दी। इसके लिए कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया। जबकि काफी पहले इसकी अनुमति ली गई थी। यह कैसा लोकतंत्र है? कहीं द्वेषभाव से तो ऐसा नहीं किया गया?-बी.एल. सचदेवा263, आई.एन.ए. मार्केट (नई दिल्ली)पुरस्कृत पत्रजागो भारत भाग्य-विधाता60 वर्ष हो गए देश को आजाद हुए, गुलामी की जंजीर से मुक्त हुए पर क्या हमारा देश वास्तव में अपनी नींद से जागा है? क्या ऐसा नहीं लगता कि हम एक अराजक लोकतंत्र की ओर बढ़ रहे हैं? क्या दिशाहीन स्वतंत्रता हमारे नैतिक मूल्यों के पतन का कारण बन रही है? क्या भारत को एक और क्रांति या स्वतंत्रता संग्राम की आवश्यकता है जो इसका खोया हुआ गौरव, अस्मिता और गौरवशाली अस्तित्व पुनस्स्थापित कर सके? आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में ऐसे अनेक जटिल प्रश्न हमारे सम्मुख हैं और अगर हमने इनके उत्तर न ढूंढे तो संभव है भारत अपनी संप्रभुता खो दे। किसानों की दुर्दशा, गरीबी से जूझ रही जनता, महंगाई की मार सह रहे लोग क्या फ्रांस की क्रांति की पुनरावृत्ति भारत में करेंगे? किसी भी देश का राजनीतिक ढांचा उस देश के आर्थिक ढांचे पर निर्भर करता है। आज कोक व पेप्सी जैसे बहुराष्ट्रीय पेय ऐसे स्थानों पर मिल जाते हैं जहां चाय बनाने के लिए पानी व दूध उपलब्ध नहीं होता। क्या भारत गुलामी की ओर पुन: बढ़ रहा है? आज हमें अपने आर्थिक ढांचे की समीक्षा करनी होगी। दूसरे, किसी भी राज्य के लिए उसकी आंतरिक व बाह्र सुरक्षा प्राथमिकता पर होनी चाहिए। आतंकवाद ने भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक स्थलों व गरिमामयी संसद पर हमले किये, निर्दोष जनता बार-बार उन हमलों का शिकार होती रही है। लेकिन हम हर बार जिहाद के सामने नरम नीतियां ही अपनाते दिखे हैं। भारत का संवैधानिक प्रजातंत्र भली प्रकार चलना चाहिए। शायद यह तभी संभव होगा जब मतदान के राजनीतिक अधिकार को राजनीतिक कर्तव्य बना दिया जाये व आस्ट्रेलिया की भांति मतदान करना अनिवार्य हो जाए। जनमानस को जाग्रत होना होगा। देश हित से जुड़े सवालों पर बेपरवाह रवैया अब नहीं चलेगा।-डा. अंजली वर्मा व एस. राजूदेहरादून (उत्तराखण्ड)हर सप्ताह एक चुटीले, ह्मदयग्राही पत्र पर 100 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। -सं.3
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