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आतंक के नए अड्डेताजा जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के प्रशिक्षण के लिए नए-नए शिविर खोले जा रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से इसके लिए सैन्य व आर्थिक मदद दी जा रही है। इस बात का खुलासा पिछले दिनों भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा पकड़े गए एक आतंकवादी से प्राप्त चिट्ठी से हुआ है।विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, पत्र से साफ होता है कि पुंछ जिले से सटे पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के बाग जिले के लासढना और डली के जंगलों में संयुक्त जिहाद काउंसिल ने प्रशिक्षण शिविर खोले हैं। इसके लिए पाकिस्तान सरकार के कश्मीर लिबरेशन विभाग की ओर से 30 लाख रुपए भी दिए गए हैं। समाचार पत्र के अनुसार यह पत्र संयुक्त जिहाद काउंसिल के अध्यक्ष सैयद सलाउद्दीन ने अपनी पीरपंजाल रेजिमेंट के प्रमुख आरिफ जिलानी को लिखा था। पत्र में यह भी बताया गया है कि दो हजार मुजाहिदों को लासढना के मकानों में ठहराया गया है।उल्लेखनीय है कि भारतीय सुरक्षा बल के उत्तरी कमान के कमांडर ले. जनरल दीपक कपूर ने कुछ दिन पूर्व ही पत्रकारों को बताया था कि गत अक्तूबर में भूकंप के कारण नष्ट हुए आतंकी शिविरों की न केवल मरम्मत कर ली गई है, बल्कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के समीप नए शिविर भी स्थापित किए गए हैं। इन सूचनाओं की पुष्टि तब और हो गई जब सीमा से सटे पुंछ जिले में फौजी वर्दी पहने हथियारों से लैस आतंकवादियों ने घुसपैठ की। सुरक्षाबलों द्वारा चुनौती दिए जाने पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाईं। 5 घंटे चली इस मुठभेड़ में 5 आतंकवादी मारे गए जबकि सेना का एक मेजर और एक हवलदार शहीद हो गया। भारी मात्रा में हथियार जब्त किए गए।चर्च गए तो फतवाकेरल पर मुस्लिम कट्टरपंथियों का शिकंजा कसता जा रहा है। राज्य के शिक्षा मंत्रालय पर जिहादी सोच हावी है। शिक्षा मंत्री हैं मुस्लिम लीग के ई.टी. मोहम्मद बशीर। मुस्लिम लीग कांग्रेसनीत सरकार का प्रभावशाली घटक है। इस कारण शिक्षा क्षेत्र में कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता का कोई खुलकर विरोध नहीं कर रहा है। हुआ यूं कि पिछले दिनों अर्णाकुलम जिले के कोटामंगलम स्थित सेंट आगस्टाइन गल्र्स हाईस्कूल की 50 मुस्लिम छात्राओं को विद्यालय द्वारा आयोजित भ्रमण के कार्यक्रम में भाग लेने से रोक दिया गया। कट्टरपंथी संगठन एन.डी.एफ. ने फतवा जारी किया था, क्योंकि इसमें विभिन्न चर्चों की यात्रा भी शामिल थी। विद्यालय प्रशासन को शिक्षामंत्री की ओर से उपनिदेशक (शिक्षा) का संदेश प्राप्त हुआ कि दौरे के कार्यक्रम से उक्त 50 मुस्लिम छात्राओं का नाम हटा दिया जाए अन्यथा एन.डी.एफ. का रोष झेलना पड़ सकता है।उल्लेखनीय है कि हमेशा की तरह स्कूल ने वार्षिक परीक्षा से पहले 7 जनवरी को कक्षा 10 की छात्राओं को कोट्टायम और अलेप्पी जिलों के कुछ स्थानों का भ्रमण कराने की योजना बनाई थी। इस दौरान कुछ चर्चों में भी जाना तय हुआ था। समस्या तब उपजी जब एन.डी.एफ. कार्यकर्ताओं ने स्कूल प्रशासन को धमकाया कि अगर मुस्लिम छात्राओं को ईसाई उपासना स्थलों में ले जाया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस धमकी के पोस्टर स्कूल की दीवारों पर चिपकाए गए थे। इस धमकी के बाद मुस्लिम छात्राओं के अभिभावक स्कूल को यह लिखकर देने को बाध्य हुए कि उनकी इच्छा से इन छात्राओं को भ्रमण कार्यक्रम में भाग लेने दिया जा रहा है। इससे एन.डी.एफ. के लोग और भड़क उठे। वे उपनिदेशक (शिक्षा) और शिक्षा मंत्री के पास पहुंचे और मुस्लिम छात्राओं को भ्रमण कार्यक्रम में न ले जाने का आदेश देने को कहा। इसके बाद शिक्षा मंत्री के संकेत पर उपनिदेशक (शिक्षा) ने स्कूल प्रशासन को भ्रमण कार्यक्रम के ठीक पहले आधी रात को फोन किया और मुस्लिम छात्राओं‚को भ्रमण पर न ले जाने का निर्देश दिया। हालांकि अगले दिन वे मुस्लिम छात्राएं स्कूल पहुंचीं, लेकिन उन्हें यात्रा में शामिल होने से रोक दिया गया। राज्य में यह चर्चा चल रही है कि शिक्षा मंत्री के कार्यालय की मिलीभगत से साम्प्रदायिकता भड़काई जा रही है। इस मुद्दे पर छात्रों में भी बहस चल रही है।29
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