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सिलीगुड़ी बना आतंक का अड्डा
भूटान में उल्फा के खिलाफ कार्रवाई के बाद असम के इस आतंकवादी संगठन ने प. बंगाल में सिलीगुड़ी में अपना ठिकाना बना लिया है। सिलीगुड़ी की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जहां से असम, नेपाल और बंगलादेश में प्रवेश करना आसान है। इस बात की पुष्टि गत दिनों उस वक्त हुई जब सिलीगुड़ी से प. बंगाल पुलिस ने पांच उल्फा उग्रवादियों एवं उनके तीन अन्य साथियों को धर दबोचा। पकड़े गए उग्रवादियों में मृणाल हजारिका, प्रदीप शर्मा, जगत बरूआ उर्फ मनु, महेश गुप्ता और उनका मध्यस्थ सुब्रात पाल शामिल है। असम में आतंकवाद के विरुद्ध गठित एक विशेष दल “आपरेशन” के पुलिस उपाधिक्षक ए.बी. खन्दकार के नेतृत्व में एक पुलिस दल गिरफ्तार आतंकवादियों को असम ले जाने के लिए सिलीगुड़ी गया था। गिरफ्तार आतंकवादियों पर असम में अपहरण, लूट, हत्या और बम विस्फोट के आरोप हैं। श्री खन्दकार ने संभावना जताई कि और उग्रवादी भी यहां छुपे हो सकते हैं। हालांकि पुलिस ने पूछताछ के बाद हथियार भी बरामद किए हैं। वैसे सिलीगुड़ में उल्फा उग्रवादी एवं माओवादियों की गिरफ्तारी कोई नई बात नहीं है। घनी आबादी और विविध भाषी लोगों के बीच ये आसानी से अपना ठिकाना बना लेते हैं जिन्हें पहचानना बहुत मुश्किल होता है। दूसरी ओर खबर मिली है कि उल्फा के उग्रवादी नेपाल में माओवादियों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। सिलीगुड़ी तेजी से आतंक के नए अड्डे के रूप में उभर रहा है। 29 मई को यहां कामतापुरी लिबरेशन फ्रंट के तीन अन्य आतंकवादी भी गिरफ्तार किए गए थे।
तो गृह मंत्रालय भी नहीं स्वीकारता बनर्जी समिति को?
अनजाने में ही सही, केन्द्र सरकार के दो प्रमुख मंत्रालय अब आमने सामने हैं। एक मंत्रालय के प्रभारी हैं श्री लालू प्रसाद यादव तो दूसरे के श्री शिवराज पाटिल। हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने पाकिस्तान को इस्लामाबाद में आयोजित सचिव स्तरीय वार्ता में पाकिस्तान में छिपे 38 आतंकवादियों और माफियाओं की सूची और उनके द्वारा भारत में क्रियान्वित की गईं आपराधिक व आतंकी घटनाओं की रपट सौंपी है। इस रपट में गृहमंत्रालय ने गोधरा काण्ड के एक प्रमुख आरोपी सलीम हाजी इब्राहिम के पाकिस्तान में छिपे होने की बात कही है। भारत सरकार ने इस संदर्भ में इंटरपोल से भी सहायता मांगी है। संयोग से इंटरपोल ने गोधरा काण्ड के प्रमुख अभियुक्त सलीम हाजी इब्राहिम की गिरफ्तारी के लिए हाल ही में “रेड कार्नर” नोटिस जारी किया है। गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सूची में हाजी सलीम इब्राहिम का नाम डाले जाते समय गृहमंत्रालय के अधिकारियों का ध्यान रेल मंत्रालय द्वारा गोधरा काण्ड की जांच के लिए गठित यू.सी. बनर्जी समिति की रपट पर भी गया। उस रपट में गोधरा में साबरमती रेल के डिब्बे में लगी आज के पीछे किसी षडंत्र की संभावनाओं से स्पष्ट इनकार किया गया था। स्वाभाविक ही गृहमंत्रालय के समक्ष गोधरा काण्ड के प्रमुख अभियुक्त हाजी सलीम इब्राहिम का नाम सूची में डालने को लेकर पसोपेश की स्थिति बन गई है। बनर्जी समिति की रपट के अनुसार तो सलीम का नाम सूची में डालने का प्रश्न ही खड़ा नहीं होता परन्तु गृह मंत्रालय ने इस रपट को दरकिनार करते हुए गुजरात पुलिस द्वारा दिए गए तथ्यों पर विश्वास करना ही उचित समझा। साफ है कि गृहमंत्रालय ने यू.सी. बनर्जी समिति की रपट को शायद अस्वीकार करते हुए हाजी सलीम इब्राहिम को पकड़ने की कवायद जारी रखी है।
मतान्तरण रोकने की कोशिश
पंजाब में पिछले दिनों ईसाई मतान्तरण की घटनाओं में एकाएक तेजी आई थी। दलित सिखों के मतांतरण की समस्या को लम्बे समय से गंभीरतापूर्वक न लेने के बाद आखिरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने वास्तविकता को स्वीकार कर इस सम्बंध में जांच समिति गठित कर दी है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों में होने वाली चंगाई सभाओं में हिन्दुओं व सिखों का मतांतरण किया जा रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हिन्दू धार्मिक संगठनों ने तो इस सम्बंध में प्रयास करने शुरू कर दिए थे और हिन्दुओं को मिशनरियों के असली चेहरे से अवगत कराना शुरू कर दिया था। लेकिन सिख संगठनों ने अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया था। मीडिया में मतांतरण सम्बंधी खबरें प्रकाशित होने के बावजूद ये संगठन नहीं चेते। इसका परिणाम यह हुआ कि सीमावर्ती गांवों में बड़ी संख्या में सिख मतांतरित हो गए। लेकिन अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष श्री अवतार सिंह मक्कड़ ने चंगाई सभाओं और मिशनरियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जांच समिति गठित कर दी है। आशा की जानी चाहिए कि कमेटी के इस कदम से सिख समाज में मतांतरण पर रोक लगेगी।
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