|
-पवन
भारत के खेत, कब्जा बंगलादेश का – भारत-बंगलादेश सीमा से तरुण विजय की रपट
कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के अध्यक्ष रहे जनरल वी.पी. मलिक ने बतायी जनरल मुशर्रफ की असलियत यह हारे हुए सिपाही की कहानी है
कारगिल युद्ध द्वितीय “इन द लाइन आफर फायर” बनाम “गद्दार कौन” -पी.एन. खेड़ा
वाजपेयी ने मुशर्रफ की गलतबयानी “ठीक” की
रामगोपालन जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मिले हिन्दू नेताओं ने कहा- सेतु-समुद्रम परियोजना से श्रीराम सेतु को बचाएं – दिल्ली ब्यूरो
“मैंने 42 हिन्दुओं को मारा, उसके बाद गिनना छोड़ दिया?” यह कहने वाला आतंकवादी बिट्टा रिहा -खजूरिया एस. कान्त
जम्मू के साथ न्याय होगा? – गोपाल सच्चर
विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी में राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम ने कहा- स्वामी विवेकानंद के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएं – प्रतिनिधि
बिहार की कनबतिया
विचार-गंगा
पचास वर्ष पहले
अपनी बात प्रिय बन्धुओ, सप्रेम जय श्रीराम। – सम्पादक
मंथन वंशवाद का घोड़ा बनी गांधीगिरी? – देवेन्द्र स्वरूप
चर्चा सत्र जो वन्दे मातरम् का सम्मान नहीं करता उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं राजनाथ सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
संस्कृति-सत्य औरंगजेब की पुत्री बदरुन्निसा हिन्दुत्व से प्रेम-वचनेश त्रिपाठी “साहित्येन्दु”
गहरे पानी पैठ चीन के वकील
कौन है जिम्मेदार?
महिला पाठकों को आमंत्रण कन्या भ्रूण हत्या
तेजस्विनी
स्त्री मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटी
उड़िया भाषा की पहली महिला पत्रकार
बनी-ठनी
मंगलम, शुभ मंगलम
मुम्बई में उपनगर शिक्षा मण्डल द्वारा डा. हेडगेवार एवं श्री गुरुजी के भव्य तैल चित्रों का अनावरण संघ ने बदल दिया मेरा जीवन -लालकृष्ण आडवाणी -प्रतिनिधि
मुम्बई में भारतीय मुस्लिम संघ द्वारा आयोजित हुई गोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- जड़-मूल से आतंकवाद का खात्मा जरूरी – प्रतिनिधि
उदयपुर में संस्कृत में बनी फिल्म “मुद्रा राक्षसम्” का प्रदर्शन संस्कृत बने जन-जन की भाषा – प्रतिनिधि
श्रद्धाञ्जलि इऊ करुणा माता दिवंगत – प्रतिनिधि
आखिर मराड नरसंहार का सच सामने आया कांग्रेस का हाथ, दंगाइयों के साथ न्यायमूर्ति जोसेफ आयोग की रपट से कटघरे में कांग्रेस-मुस्लिम लीग – केरल से प्रदीप कुमार
हरिद्वार में हिमालय-गंगा मुक्ति चिन्तन शिविर गंगा अविरल रहे, गंगा निर्मल रहे – प्रेम बड़ाकोटी
विज्ञान भारती की राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के जल संकट पर चर्चा पानी रे पानी – डा. सुनील मिश्र
उम्र इक्सीस साल, इंजीनीयरिंग की उपाधियां चार अश्वनी लोहानी का नाम कीर्तिमान पुस्तक में दर्ज – प्रतिनिधि
दीनदयाल धाम (मथुरा) दीनदयाल जी के स्वप्न साकार करना हमारा कर्तव्य शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री, म.प्र. – मुरली मनोहर कूड़ा
लद्दाख में भी बाढ़, 15 मरे, पर किसी ने नहीं छापा – प्रतिनिधि
महर्षि भरद्वाज वेद विद्यालय में वेद पूजन वेद मन्त्रों की शक्ति उनके स्वरों में निहित है -प्रो. सुरेश चन्द्र पाण्डेय, पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयाग – प्रतिनिधि
नागपुर में हुआ “निरामय 2006” सम्मेलन रोगी का हित सर्वोपरि -स्वामी रामदेव – वि.सं.के., नागपुर
पंचनद शोध संस्थान, चण्डीगढ़ द्वारा “हिन्दुत्व की प्रासंगिकता” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा- हिन्दुत्व नैतिक मूल्यों का समुच्चय – प्रतिनिधि
श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन
अंग्रेजी के ताले में बंद भारत का विकास -मधु पूर्णिमा किश्वर संपादक, मानुषी
देशभर में गूंजा वन्दे मातरम् कोटा, बागलकोट, प्रयाग, कानपुर और दिल्ली में हुए भव्य कार्यक्रम – प्रतिनिधि
भारत माता मन्दिर में वीरांगना अवन्ती बाई लोधी की प्रतिमा स्थापित – प्रतिनिधि
रमेश भाई ओझा “वर्ष के हिन्दू” सम्मान से अलंकृत
2
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक प. पू. श्री गुरुजी ने समय-समय पर अनेक विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। वे विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। इन विचारों से हम अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढ सकते हैं और सुपथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। इसी उद्देश्य से उनकी विचार-गंगा का यह अनुपम प्रवाह श्री गुरुजी जन्म शताब्दी के विशेष सन्दर्भ में नियमित स्तम्भ के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। -सं
उनके लिए अनुचित भी उचित है
हमारे पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद एक बार असम गए थे। वहां उन्होंने वे स्कूल और अस्पताल देखे, जिन्हें ईसाई मत प्रचारकों ने पहाड़ी क्षेत्रों में स्थापित कर रखा था। उन्होंने उन सब कार्यों के प्रति अपना संतोष व्यक्त किया, किन्तु अंत में यह उपदेश भी दिया कि “निस्संदेह तुमने बहुत अच्छा काम किया है, परंतु इन चीजों को धर्मांतरण के उद्देश्य के लिए उपयोग में मत लाना।” पर उनके बाद जिस ईसाई मत प्रचारक ने बोला, उसने सीधे शब्दों में कहा- “यदि हम केवल मानवता के विचार से ही यह करने के लिए प्रोत्साहित हुए होते तो यहां इतनी दूर क्यों आते? इतना धन हम लोग क्यों व्यय करते? हम तो यहां एक ही निमित्त से हैं कि अपने प्रभु ईसा के अनुयायियों की संख्या में वृद्धि करें।” वे इस विषय में अत्यंत स्पष्ट हैं। वे मानते हैं कि इस लक्ष्य के लिए प्रत्येक युक्ति, वह कितनी ही अनुचित क्यों न हो, उचित है। भांति-भांति की रहस्यपूर्ण एवं क्षुद्र युक्तियां, जिन्हें वे धर्मांतरण के लिए प्रयोग में लाते हैं, सभी को बहुत अच्छी प्रकार से विदित हैं। (साभार: श्री गुरुजी समग्र : खंड 11, पृष्ठ 200)
3
टिप्पणियाँ