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प्रखर राष्ट्रभक्ति में पगा जीवनराष्ट्र सेविका समिति की नवनियुक्त प्रमुख संचालिका श्रीमती प्रमिला ताई मेढ़े का जीवन सचमुच राष्ट्रभक्ति, मातृशक्ति जागरण की धधकती शिखा है। महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में जन्मीं प्रमिला ताई बचपन में ही राष्ट्र सेविका समिति के सम्पर्क में आ गईं। समिति की संस्थापिका वन्दनीया लक्ष्मीबाई केलकर उपाख्य मौसी जी का उन पर गहरा प्रभाव था। मौसी जी के निकट सान्निध्य में रहकर उन्होंने स्त्री शक्ति के नव जागरण के संगठन सूत्रों को समझा-सीखा। स्नातक एवं शिक्षक प्रशिक्षण पूर्ण कर उन्होंने नागपुर के सी.पी. एण्ड बरार उच्च माध्यमिक विद्यालय में दो वर्ष अध्यापन कार्य भी किया। बाद में उन्होंने वरिष्ठ अंकेक्षक (आडिटर) की सरकारी नौकरी भी की, किन्तु समिति के कार्य के लिए सेवानिवृत्ति से 12 वर्ष पूर्व ही स्वैच्छिक अवकाश ले लिया।राष्ट्र सेविका समिति की शाखा स्तर के दायित्व से लेकर उन्होंने क्रमश: नगर, विभाग, प्रांत स्तर के दायित्व संभाले। 1950 से 1964 तक वे विदर्भ प्रांत की कार्यवाहिका रहीं। सन् 1965 से 1975 तक केन्द्रीय कार्यालय प्रमुख, 1975 से 1978 तक आन्ध्र प्रदेश की पालक अधिकारी, 1978 से 2003 तक 25 वर्ष का लम्बा कालखण्ड उन्होंने समिति की अ.भा. प्रमुख कार्यवाहिका के रूप में व्यतीत किया और संपूर्ण भारत सहित समिति कार्य के लिए इंग्लैण्ड, अमरीका, कनाडा, डरबन आदि देशों का प्रवास भी किया। सामाजिक जागरण एवं स्त्री नवोन्मेष के इनके प्रयासों की सराहना भी खूब हुई। अमरीका में न्यूजर्सी शहर के महापौर द्वारा इन्हें “मानद नागरिकता” भी प्रदान की गई।फरवरी, 2003 से उन पर समिति की सह प्रमुख संचालिका का दायित्व आया। इस दायित्व पर रहते हुए उन्होंने मौसी जी के जन्मशताब्दी वर्ष में 2 अगस्त 2003 से 2 मई 2004 तक 266 दिनों की भारत परिक्रमा मौसी जी की जीवन-प्रदर्शनी के साथ निजी वाहनों से की। कन्याकुमारी से लेकर नेपाल, जम्मू-कश्मीर एवं जूनागढ़ से लेकर इम्फाल तक इस कठिन यात्रा में उन्होंने लगभग 28000 कि.मी. की यात्रा कर संपूर्ण देश को स्त्री शक्ति के संगठन व जागरण का महामंत्र दिया।39
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