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अशुभ है पशुबलि
-मेनका गांधी, सांसद, लोकसभा
आप कहती हैं कि दूध के लिए गाय को नहीं पालना चाहिए। इस हालत में गाय बूचड़खाना ही जाएगी। हालांकि जब हम गाय पालते हैं तो मालिक और गाय के बीच प्रेम का भाव भी पैदा होता है?
-प्रदीप पी. संगम
मोहन्तेश नगर, बेलगांव (कर्नाटक)
अपने सवाल पर जरा विचार कीजिए। गायों को कृत्रिम रूप से गाभिन किया जाता है, ताकि अधिक बछिया पैदा हों और गोपालक को भरपूर दूध मिले। यदि आप गाय को दूध हेतु इस्तेमाल न करें तो बूचड़खाने के लिए कोई भी गाय नहीं होगी। जहां तक गाय के प्रति प्रेम के भाव का सवाल है। आप किस प्रेम की बात कर रहे हैं। गाय के बच्चे का दूध छीनकर आप खुद पीते हैं। आप उसे पूरे दिन एक छोटे से “शेड” में बन्द रखते हैं और केवल उस वक्त देखने जाते हैं जब दूध दुहने का समय होता है। गाय के बच्चे के साथ आप क्या करते हैं। उसे या तो बूचड़खाने भेज देते हैं या किसी फार्म हाउस में, जबकि गाय भी एक मां है, जो अपने बच्चे को साथ रखना चाहेगी। यह आपका प्रेम नहीं बल्कि लालच है। अगर आप वास्तव में ही गाय से प्रेम करते हैं तो बूढ़ी गायों की देखभाल करें, जो आपके घर के पास या गोशाला से बाहर सड़क पर भूखी-प्यासी मर रही हैं।
नगरपालिका के कर्मचारी आवारा पशुओं को बड़ी क्रूरता और बेरहमी से अपनी गाड़ियों में ठूंसकर ले जाते हैं। इसके बारे में क्या किया जा सकता है?
-मंगलेश खोड़े
132, बेगमपुरा, उज्जैन (म.प्र.)
नगरपालिकाकर्मी गाय और कुत्तों को प्रमुख रूप से पकड़ते हैं। पशुओं को निर्दयतापूर्वक पकड़ना या गाड़ी से शहर के बाहर ले जाना गैरकानूनी है। परन्तु यह तब तक होता रहेगा जब तक कि आप जैसे लोग पशुरक्षक संगठन न बनाएं और हर शहर में पशुओं की देखभाल शुरू न करें। “पीपुल फार एनिमल्स” यही कार्य करता है और इसके सदस्य बनने के लिए आपका स्वागत है। मध्य प्रदेश में इस प्रकार का कोई संगठन नहीं है, इसलिए वहां शहरों में पशुओं के साथ अत्यधिक क्रूरता होती रहती है।
हमारे यहां काली माता का एक मंदिर है, जहां बकरियों की बलि चढ़ाई जाती है। प्रशासन द्वारा इसे रोका गया था, फिर भी वहां बलि दी जाती है। इसे रोकने के लिए क्या करें?
-अभिनव
अम्बाला (हरियाणा)
इस प्रकार का एकमात्र मंदिर हरियाणा में है जिसमें पशुबलि दी जाती है। यह वास्वत में शर्म की बात है कि इस तरह का गैरकानूनी कार्य यहां होता है। अम्बाला में केवल “पीपुल फार एनिमल्स” कुछ कार्यकर्ता इसे नहीं रोक सकते। हमें कम से कम 200 लोगों की आवश्यकता है, जो इस मंदिर पर नजर रखें और पुलिस के साथ तथा बाद में इस कार्य को रोकें। पशुबलि जहां दी जाती है वह उस इलाके और स्थानीय नागरिकों के लिए भी अशुभ होती है। यह कार्य केवल इसलिए होता है कि मंदिर के पुजारी और कार्यकर्ता उस मांस को बेचकर पैसा कमाएं। अगर आपको इस बात की चिन्ता है तो न्यायालय जाकर पशुबलि रोकने का आदेश ला सकते हैं। मैं भी कोशिश करूंगी।
पशु कल्याण आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक पाठक श्रीमती मेनका गांधी से 14, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 के पते पर अथवा ढ़ठ्ठदड्डण्त्थ्र्ऋद्रठ्ठद्धथ्त्द्म.दत्ड़.त्द पर सम्पर्क कर सकते हैं।
इस स्तम्भ में हर पखवाड़े प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शाकाहार कीे समर्पित प्रसारक श्रीमती मेनका गांधी शाकाहार, पशु-पक्षी प्रेम तथा प्रकृति से सम्बंधित पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं। अपना प्रश्न भेजते समय कृपया निम्नलिखित चौखाने का प्रयोग करें।
श्रीमती मेनका गांधी
“सरोकार” स्तम्भ / द्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्य
संस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-110055
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