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स्त्री

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May 2, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 May 2006 00:00:00

हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भतेजस्विनीसरस्वती की समर्थ साधिकामंगल पाण्डेयडा. कमला पाण्डेयकितनी ही तेज समय की आंधी आई, लेकिन न उनका संकल्प डगमगाया, न उनके कदम रुके। आपके आसपास भी ऐसी महिलाएं होंगी, जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प, साहस, बुद्धि कौशल तथा प्रतिभा के बल पर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया और लोगों के लिए प्रेरणा बन गर्इं। क्या आपका परिचय ऐसी किसी महिला से हुआ है? यदि हां, तो उनके और उनके कार्य के बारे में 250 शब्दों में सचित्र जानकारी हमें लिख भेजें। प्रकाशन हेतु चुनी गर्इं श्रेष्ठ प्रविष्टि पर 500 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।काशी नगरी प्राचीन काल से भारतीय विद्या की साधनास्थली रही है। इसी कारण काशी का स्थान भारत ही नहीं विश्वभर में अपनी विद्वत परम्परा के लिए विख्यात है। इस परम्परा में स्त्रियों की भागीदारी भी कम महत्वपूर्ण नहीं रही है। काशी की इसी विद्वत परम्परा की समर्थ साधिका हैं डा. कमला पाण्डेय। अपनी प्रतिभा के बल पर आज वह संस्कृत साधना के क्षेत्र में स्त्री नवोन्मेष की प्रतीक बन गयी हैं। नैनीताल के एक छोटे से ग्राम भवाली के निर्धन ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ। पारिवारिक वातावरण के कारण उनमें हिन्दू धर्मशास्त्रों, संस्कृत वांग्मय के अध्ययन की रुचि ऐसी जगी कि सारा जीवन ही सारस्वत साधना में व्यतीत करने का निश्चय किया। इसलिए आज भी वे अविवाहित रहकर अपनी साधना में जुटी हैं। उन्होंने बनारस में अपने बड़े भाई के घर रहकर पढ़ाई की। आर्थिक कठिनाइयों, अभावों के होते हुए भी उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। संपूर्ण अध्ययन अवधि में उन्हें “छात्रवृत्ति” भी मिलती रही। कोई स्त्री वेद विद्या, धर्मशास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन नहीं कर सकती, उनका स्वयं का जीवन इस मान्यता का सीधा खण्डन है। विगत 27 वर्षों से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सम्बंद्ध बसन्त कन्या महाविद्यालय में संस्कृत और भारतीय संस्कृति के अध्यापन में रत हैं। संस्कृत भाषा के प्रति युवा पीढ़ी में जागरुकता लाने के लिए उन्होंने “संस्कृत मातृमण्डलम्” की स्थापना तो की ही, सन् 1999 में “रक्षत गंगाम्” नामक कालजयी रचना लिखकर देश के साहित्य जगत में भी उन्होंने खासी ख्याति अर्जित की। भारतीय आध्यात्मिक परम्परा को भी उन्होंने गहराई से जाना-समझा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रत्येक रविवार को गीता-प्रवचन का कार्यक्रम मालवीय भवन में होता है। “स्त्री” स्तम्भ के लिए सामग्री, टिप्पणियांइस पते पर भेजें-“स्त्री” स्तम्भ द्वारा,सम्पादक, पाञ्चजन्य,संस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55इस प्रवचन माला में भी डा. कमला पाण्डेय की सतत् सहभागिता रहती है। न केवल श्रोता के स्तर पर वरन् श्रीमद्भगवद्गीता की मर्मज्ञ वक्ता के रूप में भी वे निष्णात हैं। उन्हें भारत सरकार द्वारा विशिष्ट ग्रन्थ लेखक पुरस्कार के साथ-साथ पर्यावरण शोध पर सी.सी.आई. पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।हाल ही में अ.भा. महिला संस्कृत सम्मेलन-दिल्ली में उन्हें “विद्योत्तमा” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपनी इस सारस्वत साधना में डा. कमला पाण्डेय को प्रो. सिद्धेश्वर भट्टाचार्य, पं. विश्वनाथ शास्त्री, प्रो. वायुनन्दन पाण्डेय जैसे श्रेष्ठ एवं दिग्गज मनीषियों का विशेष सान्निध्य मिला, परिणामत: उन्होंने काशी की विभूतियों में अपनी शास्त्र साधना के बल पर विशेष स्थान प्राप्त किया। सम्प्रति: डा. कमला पाण्डेय बसंत कन्या महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्षा हैं।मंगल पाण्डेय26

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