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घूमें और गुनगुनाएंसबसे प्यारा देश हमारापुणे के कृषि बैंकिंग महाविद्यालयपरिसर में वह विशाल वट वृक्ष जोचाफेकर बंधुओं की राष्ट्रभक्तिका साक्षी हैजून का महीना, चिलचिलाती गर्मी, स्कूलों की छुट्टी… मन तो यही चाहेगा कि चलो कहीं घूम आएं। पर कहां जाएं? अपने विशाल भारत देश पर प्रकृति ने इतना सौंदर्य उड़ेला है कि कहीं भी जाएं, देश की विविधतायुक्त जीवन शैली, रहन-सहन और प्रकृति को निहारते रह जाएंगे। कोई गर्मी से बचने के लिए जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराञ्चल के ठण्डे स्थानों में घूमना चाहता है तो कोई दक्षिणी राज्यों में समुद्र की लहरों के बीच अठखेलियां करना। कोई सुदूर पूर्वोत्तर का जीवन देखना चाहता है तो कोई पंजाब की मस्ती में डूबना। कोई धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर जाकर मन की शांति पाना चाहता है तो कोई ऐतिहासिक धरोहरों को देखकर अपने अतीत के प्रति गौरवान्वित होना। विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति और उसके उद्गम स्थान इस भारत देश का प्रत्येक क्षेत्र किसी न किसी कारण महत्वपूर्ण एवं दर्शनीय है। हमने सोचा, घूमना ही है तो उन स्थानों पर भी जाएं जो इस देश की शौर्य गाथाएं बताती हों, जिसे देखकर मन आनन्द व देशभक्ति से परिपूर्ण भी हो जाए। ये हमारे क्रांतितीर्थ हैं, श्रद्धातीर्थ हैं और नवचैतन्य के तीर्थ हैं। यहां हम केवल उनकी झलकी भर दे रहे हैं।प्रस्तुति: जितेन्द्र तिवारी, राकेश उपाध्याय एवं मनोज गहतोड़ीराजस्थानतनोट माता का मंदिरशौर्य की भूमि राजस्थान का वैसे तो चप्पा-चप्पा दर्शनीय है पर सीमावर्ती जिला जैसलमेर का सौन्दर्य तो बेहद लुभावना है। रेत के टीलों के लिए यह जगह जानी जाती है। यहां के किले, हवेलियां तथा इमारतें पीले पत्थरों से बनी हैं। जैसलमेर से युद्ध की गौरवशाली कहानियां भी जुड़ी हैं। जैसलमेर से 115 मिलोमीटर की दूरी पर तनोट माता का मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर से मात्र 20 किलोमीटर दूर भारत की पश्चिमी सीमा की अन्तिम सीमा चौकी “शक्ति” है। भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) के समय 16 नवम्बर, 1965 को तनोट शत्रु सेना से चारों तरफ से घिर गया। शत्रु ने आधुनिकतम हथियारों से अपने दो हजार सैनिकों को इस क्षेत्र में झोंक दिया था। जबकि 13 ग्रेनेडियर्स और चौथी आर.ए.सी. के केवल तीन सौ भारतीय सैनिक मोर्चे पर थे। इसी दौरान गुमान सिंह सिसोदिया नामक एक जवान को देवी का भाव सन्देश मिला, “जैसलमेर के रास्ते में बारुदी सुरंगें बिछा दी गयी हैं। तनोट पर हमला होने वाला है, पर घबराना मत, मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। तुम्हारी विजय होगी।” तीसरे दिन निर्णायक युद्ध में भारतीय सेना की विजय हुई। शत्रु सेना मंदिर पर हमला करने को अग्रसर हुई और मंदिर के आस-पास 3 हजार बम बरसाए, किन्तु भारतीय सेना के किसी जवान को चोट नहीं लगी। इस चमत्कार के बाद देवी मन्दिर की सम्पूर्ण देखभाल सीमा सुरक्षा बल के जवान करते आ रहे हैं। (दिल्ली से दूरी लगभग 580 किलोमीटर। निकटतम रेलवे स्टेशन- जैसलमेर)शिवनेरी दुर्गउदयपुरराजस्थान की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा उदयपुर, अपनी सुन्दर झीलों, वीर गाथाओं, राणा प्रताप के शौर्य और स्मृतियों से सुवासित है। फतेह सागर झील, पिछोला झील, सीटी पैलेस, जग मन्दिर जल महल, सहेलियों की बाड़ी और अनेकों दर्शनीय स्थल हैं यहां।चित्तौड़गढ़”तीर्थराज चित्तौड़ देखने को मेरी आंखें प्यासी” मन में यदि इस लोकप्रिय कविता की पंक्तियां आती हों, तो चले जाइये, चित्तौड़गढ़ आपको बुला रहा है। देशभक्ति, भारतीय स्वाभिमान और भारतीयों के स्वातंत्र्य प्रेम के प्रति अप्रतिम बलिदान का महान “कीर्तिस्तंभ” आपको रोमांचकारी स्मृतियों में बरबस ही पहुंचा देगा।सिसौदिया कुल के रणवीरों के शौर्य का यह साक्षी स्थान है। यहां का किला, 12वीं सदी का जैन मन्दिर, सूर्य मन्दिर, रानी पद्मिनी का महल, जौहर के स्थान, राणा कुम्भा द्वारा निर्मित “विजय स्तंभ” जिसके नौ मंजिलों पर हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां व चित्र अंकित हैं, आपका मन मोहने के लिए पर्याप्त हैं।भारतीय संघर्ष का प्रतीक- सोमनाथ मंदिरपुष्कर12 से 15 नवम्बर के मध्य प्रतिवर्ष लगने वाला पुष्कर मेला अब विश्व प्रसिद्ध हो गया है। आप किसी भी मौसम में पुष्कर तीर्थ आ सकते हैं, यहां का मौसम सदा सुहावना रहता है। पुष्कर झील का पौराणिक महत्व है। ब्राहृा जी का पूरे भारत में यही एक मन्दिर है। अजमेर से पुष्कर तीर्थ की दूरी मात्र 11 कि.मी. है।हल्दी घाटीअकबर के नेतृत्व में मुगल सेना और महाराणा प्रताप के नेतृत्व में भारतीय सेना के तुमुल युद्ध का साक्षी बनी थी हल्दी घाटी। राणा प्रताप व चेतक के बारे में चर्चित घटनाएं इसी हल्दी घाटी मैदान की ही हैं। इस स्थान पर पहुंचने वाला हर व्यक्ति यहां की पवित्र माटी का वन्दन करना नहीं भूलता। यह स्थान उदयपुर से 40 कि.मी. की दूरी पर है।महाराष्ट्ररत्नागिरिसन् 1856 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ था यहां। उनके पैतृक घर को देखना हो तो रत्नागिरी पधारिए। स्वराज्य की भक्ति करने वाले लोगों की तीर्थस्थली होने के साथ-साथ यह स्थान मनभावन है। यहीं पर सागर के किनारे स्थित है “रत्न दुर्ग” किला, जिसे आदिल शाह के कब्जे से शिवाजी ने सन् 1670 में छुड़ाया था, किले का भगवती मंदिर प्रसिद्ध है। यहां का नागेश्वर मन्दिर, विट्ठल रखूमाई मन्दिर, श्री मारुति मन्दिर, निवाली घाट स्थित जलप्रपात (रत्नागिरि से 12 कि.मी.) अत्यंत मनमोहक दर्शनीय स्थल हैं।रत्नागिरि मुम्बई और चेन्नै सहित समूचे देश से सीधे रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। मुम्बई से सड़क मार्ग द्वारा इसकी दूरी 340 कि.मी. है।भारतीय सैनिकों के शौर्य का प्रतीक- टाइगर हिलतिलक बाड़ा, पुणेमुम्बई, दिल्ली, बंगलौर, चेन्नै सहित लगभग सम्पूर्ण देश से पुणे सीधे रेल एवं वायु मार्ग से जुड़ा है। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केन्द्र रहा है। लोकमान्य तिलक यद्यपि रत्नागिरी में जन्में किन्तु उन्होंने पूना में ही अपना स्थायी निवास बनाया जिसे “तिलक बाड़ा” के नाम से जाना जाता है। केसरी और मराठा का सम्पादन उन्होंने यहीं से किया। “ओशो रजनीश” की समाधि एवं ओशो आश्रम पुणे में ही है, यह केन्द्र अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है।चाफेकर बन्धुओं ने जहां सुलगाई क्रांति ज्वालायरवदा जेल, पुणे में 18 अप्रैल, 1898 को दामोदर हरि चाफेकर को फांसी हुई थी। यहीं पास के कृषि बैंकिंग महाविद्यालय के पास एक बरगद के पेड़ की ओट लेकर चाफेकर बन्धुओं ने पुणे के तत्कालीन जिलाधिकारी वाल्टर चाल्र्स रैण्ड को उसके द्वारा प्लेग दुर्भिक्ष के पीड़ितों को दी गई अमानवीय यातनाओं की सजा दी थी। उसे 22 जून, 1897 की यहीं पर गोली मारकर मौत की नींद सुलाया था दामोदर हरि चाफेकर और बालकृष्ण चाफेकर ने। बालकृष्ण चाफेकर व तीसरे भाई वासुदेव चाफेकर को भी कालांतर में फांसी की सजा हुई। सन् 1930-31 में गांधी जी भी परवदा जेल में निरुद्ध रहे थे।सिंहगढ़”गढ़ आला पर सिंह गेला” सुना है न आपने। यह वही स्थान है जिसे मुगलों के कब्जे से छीनने के लिए मां जीजाबाई का आदेश पाते ही शिवाजी के सेनापति “ताना जी” अपने बेटे का विवाह समारोह छोड़कर चल पड़े थे। प्राण तो उनके चले गए किन्तु किला फतह कर ही लिया। खड़गवासला बांध का मनोहारी दृश्य निहारते हुए आप सिंहगढ़ पहुंच सकते हैं। पूना से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर यह स्थान है। एक ऊंची दुर्गम पहाड़ी पर बना यह किला आज भी भारतीय शौर्य की स्मृतियों को ताजा कर देता है।अंजनेरी (नासिक)- जहां हनुमान जी कीजन्मदायिनी माता अंजना का मन्दिर हैशिवनेरी दुर्गयहीं पर शिवाजी का जन्म हुआ था, अनुपम प्राकृतिक छठा के बीच स्थित है यह दुर्ग, वह भी दुर्गम और ऊंची पहाड़ी पर। देवी “शिवाई” का प्राचीन मन्दिर भी यहां है। यह स्थान पुणे के निकट ही है।नासिकभगवान राम पंचवटी में रहे थे, पंचवटी नासिक में है, यहां का मौसम भी लुभावना है। स्वातंत्र्य वीर सावरकर का जन्म स्थान नासिक में ही है।अंजनेरीहनुमान जी का जन्म इसी “अंजनेरी” में हुआ था। माता अंजना के कारण यह “अंजनेरी” कहलाया। नासिक से लगभग 18 कि.मी. दूर जब आप द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यम्बकेश्वर की ओर चलेंगे तो लगभग 14 कि.मी. दूर यह गांव पड़ता है। हनुमान जी की माता अंजना का प्रसिद्ध मंदिर है यहां पर।छत्तीसगढ़जगदलपुरबस्तर जिले का मुख्यालय है “जगदलपुर”। भीषण गर्मी में भी इस शहर का मौसम सुखद व आरामदायक रहता है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सड़क मार्ग से जुड़ा है। वैसे समीपवर्ती उड़ीसा राज्य के कई शहरों से भी प्रतिदिन रेलगाड़ियां और सड़क यातायात से आवागमन होता रहता है। यह शहर सुरम्य इन्द्रावती नदी के तट पर है, गंगा मुंडा और दलपत सागर नामक दो झीलें यहां की सुन्दरता में चार चांद लगाती है।जगदलपुर से 38 कि.मी. की दूरी पर चित्रकोट है जहां के जलप्रपात अविस्मरणीय प्राकृतिक छटा का आनन्द देते हैं। जुलाई से अक्टूबर के बीच यहां का मौसम और रंग बिरंगे इन्द्र धनुष दर्शकों का मन मोह लेते हैं। नियाग्रा प्रपात से भी ज्यादा सुन्दर हैं यहां के जल प्रपात, अपनी खूबसूरती में बेजोड़।अक्तूबर से फरवरी तक पर कांगेर घाटी की हरी-भरी वादियों में स्थित तीरथगढ़ प्रपात आपको आनन्द से सराबोर कर देंगे। जगदलपुर से लगभग 35 कि.मी. दूरी।देवी के चित्रों के समक्ष रखे कुछ बम जो पाकिस्तान ने छोड़े थे,किन्तु तनोट माता के प्रताप से फटे नहींभांवरा और प्रयागमध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भांवरा ग्राम में 23 जुलाई, 1906 को चन्द्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था। उन्होंने भांवरा में प्राथमिक शिक्षा ली और उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी चले गए। 27 फरवरी, 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क (कम्पनी बाग) में अंग्रेजी सेना से घिर जाने पर उन्होंने अपनी ही पिस्तौल से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह पिस्तौल वर्तमान में इसी उद्यान में स्थित इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित है और सामान्य लोगों के दर्शनार्थ रखी हुई है। झाबुआ जिले में उनका पैतृक निवास अब जर्जरित हो चुका है और सरकार द्वारा पूर्णतया उपेक्षित भी। इस तरफ समाज की उदासी अवश्य अनेक सवाल पैदा करती है। वैसे जनजातीय जीवन दर्शन के लिए झाबुआ का भ्रमण आनंद देने वाला है। दिल्ली महाराष्ट्र मुख्य रेल मार्ग पर मेघनगर से झाबुआ जाया जा सकता है तथा इंदौर से सड़क मार्ग से।बिहारनालंदाप्राचीन भारत में एक महान शिक्षा केन्द्र के रूप में नालन्दा विश्वविद्यालय की ख्याति रही थी, आज खंडहर अवशेष हैं। पटना से लगभग 97 कि.मी. की दूरी पर अवस्थित नालंदा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। नालंदा का संग्रहालय, बौद्धभिक्षुओं के पुराने निवास और बहुत सारे मन्दिर दर्शनीय हैं। यदि नालंदा जाएं तो वहां से लगभग 13 कि.मी. दूर राजगीर अवश्य जाएं जो कभी बौद्ध मत का महत्वपूर्ण केन्द्र था। यहां के गर्म पानी के प्राकृतिक स्रोत प्रसिद्ध हैं।हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप का स्मारकगुजरातसोमनाथजूनागढ़ से 79 कि.मी. और चोरवाड़ से 25 कि.मी. की दूरी पर है द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक सोमनाथ। सिंधु महासागर के तट पर अवस्थित यह मन्दिर खूबसूरती का अद्भुत नमूना है। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के संकल्प ने इसका जीर्णोद्धार कराया।टाइगर हिलश्रीनगर जाते ही हैं पर्यटक। थोड़ा और आगे चले जाएं, कारगिल की घाटी में। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1(ए) द्वारा जब आप श्रीनगर से लेह की यात्रा करेंगे तो रास्ते में सोनमर्ग और सर्वाधिक ऊंचाई वाला जोजिला दर्रा पड़ेगा, जो आपको रोमांचित कर देगा। इसके बाद द्रास सैन्य चौकी से आप टाइगर हिल को देख सकते हैं। कारगिल युद्ध में इस टाइगर हिल पर कब्जे के लिए भारतीय सैनिकों ने अपूर्व शौर्य का परिचय दिया था। इसकी ऊंचाई देखकर भारतीय सेना के प्रति आपका मस्तक भी ऊंचा हुए बिना नहीं रहेगा। यात्रा केवल बस अथवा निजी वाहन द्वारा। श्रीनगर से लगभग 150 कि.मी. दूर। रात्रि विश्राम हेतु कारगिल में राज्य अतिथिगृह तथा निजी होटल।लोकमान्य तिलक का पैतृक आवास (रत्नागिरि)यात्रा से पूर्व की महत्वपूर्ण बातेंयात्रा पर जाने से पहले कुछ सावधानियां बरतकर आप अपनी यात्रा को सुखद व स्मरणीय बना सकते हैं। जैसे-सबसे पहले जरूरी वस्तुओं की एक सूची बना लें। जो भी चीजें आपके पास हैं उन्हें अलग कर लें और जिन्हें खरीदना या एकत्रित करना है उन्हें अलग कर लें, खरीदारी अंतिम समय तक न टालें।यात्रा के दौरान 2-3 छोटे ताले व चेन भी अपने पास रखें। ट्रेन अथवा बस में आप सामान चेन से बांधकर रख सकते हैं।चाकू एवं टार्च अपने पास अवश्य रखें। ये बहुपयोगी वस्तुएं हैं।यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण कागजात जैसे यात्रा टिकट, ए.टी.एम कार्ड, ट्रैवलर्स चेक, पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि के मूल के साथ फोटोप्रति भी अपने पास रखें।बुखार, सरदर्द, पेट दर्द, उल्टी आदि की दवा सहित प्राथमिक चिकित्सा का सामान अवश्य रखें। भरपूर सूखा नास्ता भी साथ ले जाएं।कैमरा अवश्य ले जाएं ताकि यादगार बनी रहे। आवश्यकतानुसार उसकी रीलें भी ले जाएं।जाने से पूर्व अपने पास-पड़ोस को सूचित करें ताकि वे आपके घर का ध्यान रख सकें। यात्रा मार्ग में रहने वाले परिचितों के पते व दूरभाष क्रमांक भी साथ रखें।तमिलनाडुकन्याकुमारीभारतीय नवजागरण के महान प्रेरक, स्वामी विवेकानन्द। जगत-जननी भगवती भारत माता का साक्षात्कार किया था उन्होंने यहां पर। भारत के अन्तिम छोर पर सागर के बीच वह शिलाखण्ड, जहां स्वामी विवेकानन्द “भाव समाधि” में लीन हो गए थे। अब इस शिला पर स्वामी विवेकानन्द की स्मृति में भव्य स्मारक है।अमृतसर-पंजाबजलियांवाला बागअमृतसर का स्वर्ण मन्दिर विश्व प्रसिद्ध है। और यहीं पर है भारत के स्वातंत्र्य शहीदों की याद दिलाता जालियांवाला बाग। सन् 1919 की 13 अप्रैल को वैशाखी पर्व था और जलियांवाला बाग में निहत्थी भीड़ को जनरल डायर ने गोलियों से छलनी कर दिया। उन अमर शहीदों की याद में बने “ज्योति स्तम्भ” और चित्र संग्रहालय में जाने पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देशभक्तों की दी गई कीमत का अहसास होता है। अमृतसर की यात्रा पर हैं तो भारत-पाकिस्तान वाघा सीमा (दूरी 25 कि.मी.) भी देख आइयेगा। रोज शाम को वाघा सीमा पर “बीटिंग रिट्रीट” के समय का माहौल आपको भी सीमा पर डट जाने के लिए प्रेरित कर देगा।अधिक जानकारी के लिए यहां से सम्पर्क कर सकते हैंआगरा (उत्तर प्रदेश)191, द मालदूरभाष- (0562)363959, 363377ई-मेल – agra@tourisminindia.comऔरंगाबाद (महाराष्ट्र)कृष्णा विलास, स्टेशन रोडदूरभाष- (02432) 331217ई-मेल – aurangabad@tourisminindia.comबंगलौर (कर्नाटक)के.एफ.सी. बिÏल्डग, 48, चर्च स्ट्रीटदूरभाष- (080)5585417ई-मेल – bangalore@tourisminindia.coभुवनेश्वर (उड़ीसा)बी/21, बी.जे.बी. नगरदूरभाष-(0674) 412203ई-मेल – bhubaneswar@tourisminindia.comमुम्बई (महाराष्ट्र)राम पी. चोपड़ा 123, एम. कर्वे रोडदूरभाष-(022)2032932,2033144, 2033145,2036854फैक्स- (022) 2014496ई-मेल – mumbai@tourisminindia.coकोलकाता (प. बंगाल)एम्बेसी, 4, शेक्सपीयर सरणीदूरभाष-(033)2421402,2421475, 2425813फैक्स- (033)2423521ई-मेल – calcutta@tourisminindia.coकोच्ची (केरल)विलिंग्टन आईसलैंडदूरभाष-(0464)668352ई-मेल – kochi@tourisminindia.coगुवाहाटी (असम)बी.के. काकाल्ल रोड, उलूबारीदूरभाष-(0361)547407ई-मेल – guwahati@tourisminindia.coहैदराबाद (आन्ध्र प्रदेश)3-6-369/ए-30 सनडोजी बिÏल्डगद्वितीय तल, 26 हिमायत नगरदूरभाष-(040) 7630037ई-मेल – hyderabad@tourisminindia.coइम्फाल (मणिपुर)ओल्ड लम्बूलेन, जेल रोडदूरभाष-(03852)221131ई-मेल – : imphal@tourisminindia.coजयपुर (राजस्थान)स्टेट होटल खासा कोठीदूरभाष-(0141)372200फैक्स-(0141)372200ई-मेल – : jaipur@tourisminindia.comखजुराहो (मध्य प्रदेश)वेस्टर्न ग्रुप टेम्पल के पासदूरभाष-(07686)2047,2048ई-मेल – : khajuraho@tourisminindia.coचेन्नै (तमिलनाडु)एस.एम. नकुई154, अन्ना सलईदूरभाष-(044)8524295,8524785, 8522193फैक्स-(044)8522193ई-मेल – chennai@tourisminindia.coनाहरलागुन (अरुणाचल प्रदेश)सेक्टर-सीदूरभाष-(03718)4328ई-मेल – neharlagun@tourisminindia.coनई दिल्ली88, जनपथदूरभाष-(011)23320342, 23320005, 23320109, 23320008, 23320266फैक्स- (011)23320342ई-मेल: new.delhi@tourisminindia.coघरेलू विमान सेवा (नई दिल्ली)दूरभाष-(011) 23295296अन्तरराष्ट्रीय विमान सेवा (नई दिल्ली)दूरभाष-(011) 23291171पणजी (गोवा)कम्युनिदादे बिल्डिंगचर्च स्क्वायरदूरभाष-(0832)223412ई-मेल – panaji@tourisminindia.coपटना (बिहार)सुदामा पैलेसकंकर बाग रोडदूरभाष-(0612)345776फैक्स-(0612)345776ई-मेल – patna@tourisminindia.coपोर्ट ब्लेयर (अंदमान)वी.आई.पी. रोड, 189, द्वितीय तल,जंगली घाटदूरभाष-(03192) 21006ई-मेल – port.blair@tourisminindia.coशिलांग (मेघालय)तिरोट सिंह सलेयम रोड, पुलिस बाजारदूरभाष-(0364)225632ई-मेल – shillong@tourisminindia.coतिरुअनन्तपुरम (केरल)वायुयान सेवादूरभाष-(0471)451498ई-मेल – thiruvananthapuram@tourisminindia.coवाराणसी (उ.प्र.)15-बी, द मालई-मेल – varansi@tourisminindia.coदेहरादून (उत्तराञ्चल)कुमांउ मण्डल विकास निगम74/4, राजपुर रोडदूरभाष : 0135-2749720, फैक्स:0135-2746847ई-मेल – kmvn@yahoo.coNEWS
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