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भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्याफिर हावी हुआ माफिया राजलखनऊ प्रतिनिधिउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा संरक्षित मऊ दंगे के सरगना निर्दलीय विधायक मुख्तार अंसारी के इशारे पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की 29 नवम्बर को गोली मारकर हत्या कर दी गई। साथ ही सरकारी सुरक्षा गार्ड समेत उनके आठ साथी भी मारे गए। ऊपरी तौर पर इसे मुख्तार अंसारी तथा कृष्णानंद राय की निजी दुश्मनी के रूप में देखा जा रहा है लेकिन सच्चाई यह नहीं है।पहले वारदात पर एक नजर। गत 29 नवम्बर को कृष्णानंद राय गाजीपुर-बलिया सीमा पर स्थित एक गांव में एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने जा रहे थे। भांवरकोल थाना क्षेत्र में पहले से घात लगाये टाटा सूमो एवं मोटर साइकिल सवार बदमाशों ने उनकी दोनों गाड़ियों पर ए.के. 47 तथा ए.के. 56 राइफलों से अंधाधुंध फायरिंग की। इस गोलीबारी में विधायक तथा उनके सुरक्षाकर्मी सहित सभी आठ लोग मारे गए। क्षणभर में पूरे पूर्वी उत्तर-प्रदेश में खौफ छा गया।दरअसल कृष्णानंद राय गाजीपुर जिले में आतंक का पर्याय बने मुख्तार तथा उसके गुर्गों के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाकर जनता में काफी लोकप्रिय हो गए थे। उन्होंने बीते विधानसभा चुनाव में मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से पहली बार भारी मतों से पराजित किया था। अफजाल 1985 से लगातार विधायक होता आ रहा था। कोई मजबूत उम्मीदवार उसके सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कृष्णानंद राय ने भाजपा टिकट पर यह हिम्मत दिखायी।मुख्तार अंसारी को अपने भाई की यह हार नागवार गुजरी। उसने उन्हें रास्ते से हटाने की कई बार कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। पिछले वर्ष राजधानी लखनऊ के कैंट इलाके में मुख्तार ने अपने काफिले के साथ कृष्णानंद को समर्थकों के साथ घेरा। दोनों तरफ से गोली चली लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। दोनों ओर से एक-दूसरे के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ। मुलायम सरकार द्वारा जांच में कृष्णानंद राय की प्राथमिकी खारिज कर दी गई। मुख्तार की प्राथमिकी के आधार पर उन पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया गया और इसके बाद मुख्तार ने चुन-चुनकर उनके समर्थकों की हत्या करवायी। गाजीपुर के हरिहरपुर गांव के प्रधान रहे राजेश राय, राजेन्द्र राय, छिनकू, सोमनाथ राय, राम अवतार, अविनाश सिह, कल्लू राय, अखिलेश राय, बिट्टू पाठक, रमेश वर्मा, रमाकान्त भारती तथा रामेन्द्र राय मुख्तार गिरोह की गोलियों का शिकार हो चुके हैं।बहरहाल जब भी मुलायम सिंह यादव शासन में होते हैं अपराधियों तथा दंगाइयों का हौसला इसी तरह बढ़ता जाता है। कृष्णानंद राय के पूर्व इसी शासनकाल में विधायक अजीत सिंह (उन्नाव), बसपा विधायक राजू पाल (इलाहाबाद), की हत्या हो चुकी है। राजू पाल की हत्या उनके विरोधी माफिया सांसद अतीक ने करवायी क्योंकि उन्होंने उसके भाई अशरफ को विधानसभा चुनाव में पराजित किया था। इसी के साथ अभी हाल ही में भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठी, कांग्रेस के लखनऊ शहर के सचिव संतोष साहू तथा बाबूलाल, मलीहाबाद नगर पालिका अध्यक्ष अजीज हसन खां की नृशंस हत्या की गई। आश्चर्यजनक रूप से इनमें जो लोग शामिल थे, उनका जुड़ाव किसी न किसी रूप में वर्तमान सरकार या सपा से रहा है।लखनऊ प्रतिनिधिNEWS
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