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सिमी नहीं “सिओ”हाल ही में मालदा कालेज में स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाइजेशन का एक सम्मेलन आयोजित हुआ। पश्चिम बंगाल के सभी जिलों से लगभग सात हजार प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। सम्मेलन में मजहबी नेताओं ने कहा कि “सिर्फ इस्लाम ही मुक्ति का एक मार्ग है।” उन्होंने देश के प्रचार माध्यमों की भी निंदा की।उल्लेखनीय है कि जब से कट्टरवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध लगा है तब से इसने अपना नाम स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाइजेशन (एस.आई.ओ.) रख कर अपनी गतिविधियां जारी रखी है। यह जमाते इस्लामी-ए- हिन्द से जुड़ा हुआ हैं। उक्त सम्मेलन के आयोजन की तैयारी पिछले तीन महीनों से जोर-शोर से चल रही थी। कालेज परिसर और आस-पास बड़े-बड़े तंबू लगाकर प्रतिनिधियों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी। सम्मेलन में आए मेहमानों के लिए पहले तय किया गया था कि सम्मेलन स्थल पर ही गोवध कर गोमांस का प्रबंध किया जाएगा। हालांकि बाद में गोमांस का प्रबंध कलियाचक में किया गया। सम्मेलन स्थल पर आम लोग नहीं जा सकते थे। हालांकि खुफिया विभाग के अधिकारियों की नजर सम्मेलन पर जमी थी। स्थानीय विधायिका ए.वी.नूर भी काफी सक्रिय दिख रही थीं। उनके अलावा बंगाल के जाने- माने कट्टर मजहबी नेताओं ने शिरकत की।इस दौरान अन्य लोगों के अलावा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य रईसुद्दीन ने कुरान व इस्लामिक मूवमेंट के विषय पर उत्तेजक भाषण दिया। रईसुद्दीन वही व्यक्ति हैं जिन्होंने टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा की पोशाक को लेकर उसे टेनिस से संन्यास लेने की सलाह दी थी। उन्होंने जिहाद का गुणगान करते हुए इसके विरोधियों की भी निन्दा की।जे.के. एल.एफ. खफा हैपश्चिमी देशों में रहने वाले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के कुछ नेता इन दिनों पाकिस्तान से खफा हैं। श्रीनगर से प्रकाशित दैनिक “उकाब” के अनुसार फ्रंट के तीन नेताओं अब्बास बट्ट, मोहम्मद निजाम और डा. शब्बीर चौधरी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि अगर पाकिस्तान समय रहते भूकम्प पीड़ितों के लिए भारत की सहायता स्वीकार करता और उसके हेलीकाप्टरों को नियंत्रण रेखा पार कर खाद्य सामग्री पहुंचाने की अनुमति देता तो सैकड़ों जानें बच जातीं। क्योंकि भारत जल्दी सहायता पहुंचाने की स्थिति में था और जिस तरह की तबाही हुई है, उससे निपटना अकेले पाकिस्तान के बस की बात नहीं है। बयान में यह भी कहा गया है कि एक ओर भारत-पाकिस्तान के बीच शान्ति-वार्ताएं हो रही हैं, लोगों का आना-जाना हो रहा है, लेकिन दूसरी ओर पाकिस्तान ने भारत से सहायता न लेकर अनुचित निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अब भी भूकम्प पीड़ितों को पर्याप्त मदद नहीं मिल पाई है। इस कारण लोगों में पाकिस्तान सरकार के प्रति गुस्सा भी है।”फरार” कार्यकर्ताबिहार चुनाव में वाहवाही लूटने के बाद चुनाव आयोग प. बंगाल, तमिलनाडु, असम और पांडिचेरी में चुनाव कराने पर विचार करने लगा है, क्योंकि जून, 2006 में इन राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा होने वाला है। पर वामपंथियों और चुनाव आयोग में अब ठनने लगी है। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में बयान दिया था कि किसी भी मामले में फरार घोषित लोगों के नाम मतदाता सूची से काटे जाएंगे। बस, इसी बयान पर वामपंथी उबल गए और कहने लगे, यह चुनाव आयोग के अधिकार से बाहर की बात है। माकपा को परेशानी तो होनी ही थी क्योंकि प. बंगाल में हजारों माकपा कार्यकर्ता हत्या, लूट, चोरी जैसे मामलों में कागजी तौर पर भीतर ही भीतर “फरार” हैं, पर माकपा के लिए अभी भी कार्य कर रहे हैं। कांग्रेसी सांसद अधीर चौधरी की गिरफ्तारी के बाद से बंगाल की राजनीति गरमाने लगी है। केन्द्र में कंधे से कंधा मिलाकर बैठे दिखने वाले वामपंथी और कांग्रेसी बंगाल में अब एक दूसरे के खिलाफ अपने मोर्चे खोल चुके हैं। तिस पर चुनाव आयोग की सूचना ने मानो कम्युनिस्टों पर दोहरी गाज गिरायी है।NEWS
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