|
हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भतेजस्विनी – विनोद उनियालजो मान लिया सो ठान लियाप्रतिनिधिविनोद उनियालश्रीमती विनोद उनियाल देहरादून की उन जुझारू तथा संघर्षशील महिलाओं में हैं, जिन्होंने उत्तराञ्चल गठन के रक्तरंजित और कठिन आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता की थी। उन्होंने लाठियां खाईं और प्रदेश की महिला शक्ति के जागरण के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। इसलिए सबकी इच्छा थी कि वे देहरादून की महापौर बनें। उन्होंने हिम्मत के साथ चुनाव भी लड़ा, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण कांग्रेस की श्रीमती मनोरमा डोबरियाल शर्मा विजयी घोषित कर दी गईं।मतगणना में भारी धांधली का आरोप लगाते हुए श्रीमती उनियाल ने चुनाव परिणाम को जिला न्यायालय, देहरादून में चुनौती दी थी। लगभग ढाई साल बाद 19 सितम्बर, 2005 को न्यायालय ने इसका फैसला सुनाते हुए कहा कि मतगणना की निर्धारित प्रक्रिया न अपनाए जाने से चुनाव परिणाम निर्णायक रूप से प्रभावित हुआ है। ऐसे में इस निर्वाचन को ही रद्द करना सही विकल्प है। यह निर्णय आते ही कांग्रेसी खेमे में खलबली मच गई और आनन-फानन में महापौर श्रीमती मनोरमा डोबरियाल शर्मा नैनीताल उच्च न्यायालय पहुंचीं। वहां उन्हें स्थगनादेश मिल गया और वह अभी भी महापौर की कुर्सी पर जमी हुई हैं। पर श्रीमती उनियाल ने इस स्थगनादेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी। इसी आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने गत 28 नवम्बर को नैनीताल उच्च न्यायालय को आदेश दिए हैं कि इस मामले का निपटारा शीघ्र करें।प्रतिनिधिNEWS
टिप्पणियाँ