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यही वह परम पावन गोमुख हिमनद है जहां से भागीरथी का पुण्य प्रवाह प्रारंभ होता हैइस पुण्यदायिनी यात्रा के संस्मरण अगले अंक से पढ़ें।सभी छायाचित्र: तरुण विजयगोमुख का विहंगम दृश्य (31 मई, 2005)परम पावन गोमुख से निकलती भागीरथी का प्रवाहदेखें, गाय का मुख स्पष्ट दिख रहा है? यह है गोमुख हिमनदभागीरथी का एक सुन्दर दृश्यवर्ष 59, अंक 6 आषाढ़ शुक्ल 4, 2062 वि. (युगाब्द 5107) 10 जुलाई, 2005यह “सुजलाम, सुफलाम” देश सूखती नदियां, सिकुड़ते तीर्थयह देखिए! जिन दो नदियों से वाराणसी का नाम पड़ा उनमें से असी “नाली”” बना दी गयी और वरुणा खतरे में केरल में दम तोड़तीं नदियां।वरुणा नदी विलुप्त होने के कगार परअमरीका के साथ रक्षा समझौता-प्रणव मुखर्जी ने भारत-उदय की गर्वीली छवि प्रस्तुत की गुजरात में मिला विशाल गैस भण्डार-भगवान मेहरबान तो सेकुलर परेशान!छुट्टियां खत्म, स्कूल शुरूअब शिक्षा या व्यापार?ऊंची फीस, भारी बस्ताबस बातें हुईं, काम नहींभारी बस्ते के दोषी माता-पिता भी”क” से “कोचिंग”, “क” से कोटाइन्दौर भारी बस्ता, कुम्हलाता बचपनबस्ते का बर्बर बोझकश्मीर में हिन्दू नाम बदले जा रहे हैं -विशेष प्रतिनिधिशंकराचार्य पहाड़ी का नाम-तख्त सुलेमान तेंग अनंतनाग बना इस्लामाबाद। उस पार, किशन गंगा को नाम दिया-नीलम नदीजम्मू-कश्मीर सरकार के सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में “सुलेमान तेंग” का नाम दिया गया।इमराना किन मुल्लाओं की मजहबी “खेती” है?प्रश्न मजहब से परे स्त्री जाति के सम्मान का हैयह संविधान और मुस्लिम समाज के जागृत वर्ग की परीक्षा भी है15 साल की उम्र में उसकी मुजफ्फर नगर (उ.प्र.) में शादी हुई, 27-28 साल तक पहुंचते-पहुंचते वह पांच बच्चों की मां भी बन गयी और फिर जब उसके ससुर ने उसके साथ वहशियाना बलात्कार किया तो मुल्लाओं ने इस्लाम की दुहाई देकर कहा कि कल तक जो तुम्हारा पिता समान था, अब तुम उसकी बीवी बनो और जो तुम्हारा पति था, तुम्हारे पांच बच्चों का पिता, उसे अपना बेटा मानो। इन नैतिकता के कातिल, जाहिल मजहबी पतितों को सजा देने के बजाए मुस्लिम समाज के ठेकेदार सन्नाटे में खो गए हैं। कांग्रेस मुस्लिम वोटों की खरीदारी के चक्कर में “न इधर है, न उधर”। पर यही वक्त है जिम्मेदार, जागृत महिला संगठनों को उठ खड़ा होकर पापी मुल्लाओं को दोजख का पता थमाने का। यह मामला हिन्दू-मुस्लिम भेद से परे एक स्त्री के सम्मान और समाज की नैतिकता का है। जो इमराना के साथ हुआ वह किसी भी दूसरे समाज में किसी दूसरे रूप में हो सकता है और ऐसी अनेक वारदातें होती भी रही हैं। यह समय है स्त्री शक्ति के सम्मिलित जागरण का। जिन मुल्लाओं ने इमराना को पिता को पति और पति को पुत्र मानने का आदेश दिया उन्होंने मानवता के विरुद्ध अपराध किया है। यह समय न केवल मुस्लिम संगठनों बल्कि भारतीय संविधान की भी परीक्षा का है। संविधान के रक्षकों की चुप्पी भी मुल्लाओं जैसी घृणित होगी।भारत-पाकिस्तान सम्बंध और शेख की हरकत मुजफ्फर हुसैनपाकिस्तानी मदरसों में कोई सुधार नहींराष्ट्रधर्म और विद्याभारती की निबन्ध प्रतियोगिताजोधपुर मतान्तरण का षड्यन्त्र विफल प्रतिनिधिसाम्प्रत मैं चिरन्तन” चिरन्तन संस्कृति की अभिव्यक्तिसमीक्षक”स्वतंत्रता के 60 वर्ष और हिन्दी की यात्रा” विषयक संगोष्ठी में विद्वानों के उद्गार विश्व में बढ़ी हिन्दी की स्वीकार्यता राम प्रताप मिश्रभारतीय साहित्य परिषद् के कवि सम्मेलन में गूंजे कविता के स्वर प्रतिनिधिपंजाब में लौटाएंगे दहशत कैप्टन और मान? -के.एल. कमलेशहिन्द समाचार पत्र समूह द्वारा आतंक पीड़ितों की मदद प्रतिनिधियूं मनाई भाजपा ने आपातकाल की 30वीं वर्षगांठ वंशवाद से पुन: लोकतंत्र खतरे में प्रतिनिधिआपातकाल के सेनानी 92 वर्षीय रूपनारायण खन्ना ने कहा- जनता की आकांक्षाओं पर हम खरे नहीं उतरेझलकियां आचार्य श्री महाप्रज्ञ का नागरिक अभिनन्दन श्री गुरुजी का स्वप्न था नेपाल आदर्श हिन्दू राष्ट्र बने राकेश मिश्रहिन्दू स्वयंसेवक संघ, नेपाल का प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग सम्पन्नउत्तरकाशी-गंगोत्री-गोमुख इस रास्ते का हर पड़ाव तीर्थ है -तरुण विजयपाकिस्तान में फिर टूटा एक मन्दिरश्रद्धाजलिपाठकीयप्रेरक पर्यटन की दिशासम्पादकीय 8 प्रतिशत विकास दरदिशादर्शन जरा देखिए, भोजन पर कौन आ रहा है?ईशावास्यमिदं सर्वं -आद्र्रा अग्रवालमहावीर केसरी-8गहरे पानी पैठ नागा गुटों में मनभेदमंथन सोनिया पार्टी और कम्युनिस्टों की नूरा कुश्ती देवेन्द्र स्वरूपपंजाब में बढ़ता ईसाई मतान्तरण -राकेश सैनसंत के साथ अभद्रता पुलिस महानिरीक्षक ने दिए जांच के आदेश चालीस मुक्ते और मुक्तसरयह कार हाथों से चलती हैअमरीका में दीक्षान्त समारोह में गूंजे संस्कृत मंत्र अमरीका के प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एम.आई.टी.) के छात्रों को दीक्षांत समारोह में संस्कृत मंत्रों के पाठ के बीच उपाधियां .रामपुर पं. दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति स्थापितNEWSप्यारेलाल राहीआदर्श कार्यकर्ताप्यारेलाल जी नहीं रहे, इस पर सहज विश्वास नहीं होता। क्योंकि जब भी उन्हें देखा वे सक्रिय ही दिखे थे। पर विधि की विडम्बना! गत 19 जून को हृदय गति रुक जाने से नई दिल्ली में उनका निधन हो गया। वे और भारत विकास परिषद् मानो एक-दूसरे का पर्याय हो गए थे। कुछ वर्ष पूर्व उन्हें पक्षाघात हुआ था। एक लम्बे समय तक चिकित्सा कराने के बाद उनके बोलने और चलने की क्षमता काफी सीमित हो गई थी। लेकिन इसके बावजूद वे भारत विकास परिषद् के अनेक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित ही नहीं करते रहे, बल्कि उनका संचालन भी करने के लिए आगे आते थे। उनकी शारीरिक अक्षमता उनकी कर्मठता और जिजीविषा के आगे हार गई। डा. सूरज प्रकाश के निधन के बाद भारत विकास परिषद् को प्यारेलाल राही जी ने गति, विस्तार और नई दिशा दी। अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय गीतों का अद्भुत आयोजन और बड़े शहरों से लेकर हर उस सामान्य नगर तक, जहां भारत विकास परिषद् की शाखा है, गुरु तेग बहादुर जी की जयन्ती मनाए जाने के पीछे राही जी की दूरदर्शी सोच और समर्पण का हाथ था। पश्चिमी मूल्यों के अंधानुकरण को परास्त करते हुए भारत विकास परिषद् का उच्च आदर्शों के साथ समाज में महत्वपूर्ण स्थान जिन कार्यकर्ताओं की निष्ठा और परिश्रम से बना है, उनमें राही जी का नाम अप्रतिम रहेगा। लगभग 9 वर्ष तक वे परिषद् के महासचिव और संगठन मंत्री और सम्प्रति संरक्षक थे।स्व. राही के परिवार में इस समय उनकी पत्नी, दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं।हरिदेव शौरीजन-हित रक्षक ऋषिगत 28 जून को प्रसिद्ध लोकहित रक्षक योद्धा श्री हरिदेव शौरी का निधन हो गया। स्व. शौरी हमारे समय की एक ऐसी विभूति थे जो सच्चे अर्थों में पारदर्शी, ईमानदार और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के महानायक थे। वे किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह और विवादों से नितान्त परे, निर्मल मन के नागरिक ऋषि थे। 93 वर्षीय स्व. शौरी इंडियन सिविल सर्विसेज के एक सेवानिवृत्त अधिकारी थे। वे पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरुण शौरी, डिस्कवरी चैनल के भारत में प्रमुख श्री दीपक शौरी एवं जानी-मानी पत्रकार श्रीमती नलिनी सिंह के पिता थे।सेवानिवृत्त होने के बाद श्री शौरी ने आम नागरिकों को उनके अधिकार दिलाने का बीड़ा उठाया था। उन्होंने भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध आवाज उठाई और सर्वोच्च न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाया। जन-साधारण की समस्याओं एवं अधिकारों से जुड़ीं लगभग 70 जनहित याचिकाएं उन्होंने सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय में दायर की थीं। इनमें प्रमुख हैं उपभोक्ता अदालतों का गठन, अवकाश ग्रहण के बाद सरकारी कर्मचारियों को पेंशन, सरकार द्वारा रक्त कोष की स्थापना, राजनीतिज्ञों को आयकर रिटर्न भरने के लिए बाध्य करना आदि। उनके सामाजिक सरोकारों को देखते हुए ही सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।NEWS
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