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जनता की आकांक्षाओं पर हम खरे नहीं उतरेरूपनारायण खन्नासम्मान समारोह में सभी के आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे 92 वर्षीय रूपनारायण खन्ना। आपातकाल के दिनों में संयुक्त लोक संघर्ष समिति, दिल्ली प्रान्त के संयोजक का दायित्व उन्हीं पर था। रूप नारायण जी ने उन दिनों की याद करते हुए कहा- 23 जून, 1975 को जयप्रकाश जी को पटना से दिल्ली आना था, परन्तु इन्दिरा गांधी ने उस दिन जिस विमान से जे.पी. को दिल्ली आना था, उसे पटना हवाई अड्डे पर उतरने ही नहीं दिया। फलस्वरूप जयप्रकाश जी रेलमार्ग से 25 जून को दिल्ली पहुंचे। यदि जे.पी. 25 जून की जनसभा में न आए होते तो शायद इस दिन आपातकाल न लगता। इस जनसभा में जे.पी. ने इन्दिरा गांधी के इस्तीफे की मांग की थी और सैनिक एवं पुलिस बलों का आह्वान किया था कि वे किसी पार्टी या सरकार के प्रति नहीं वरन् देश और संविधान के प्रति उत्तरदायी हैं और सरकार के किसी भी असंवैधानिक आदेश को वे न मानें। इसी आह्वान से घब्राकर इंदिरा गांधी ने देर रात आपातकाल की घोषणा की और जे.पी. को रात 3 बजे गिरफ्तार कर लिया। वास्तव में आपातकाल देश पर काला धब्बा था और बाद में जनता की शक्ति ने उसे हटाया। लेकिन जो विश्वास जनता ने हमें दिया, दुर्भाग्य से हम उस पर खरे नहीं उतर पाए।38
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