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गुजरात परभगवान मेहरबान, तो सेकुलर परेशान-दिल्ली ब्यूरो17 जून को गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारर्पोरेशन लि. के अनुसंधानकर्ताओं ने आंध्र में चमन-काकीनाडा तट पर प्राकृतिक गैस के एक बड़े भंडार का पता लगाया है। यह खोज महज गुजरात के लिए ही गर्व का विषय नहीं है बल्कि पूरे देश के लिए आनंद की बात है। इस कुएं में, वैज्ञानिकों के अनुसार इतनी गैस है जितनी कि अब तक भारत के किसी कुएं में नहीं मिली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले गुजरात में और फिर 28 जून को दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता में इस अनूठे अभियान और उससे देश को होने वाले लाभ की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि तीन सालों से कृष्णा-गोदावरी बेसिन में राज्य के गैस विज्ञानी खोज में लगे थे और आखिरकार 17 जून को वहां गैस की भारी मात्रा मिलने के संकेत मिल गए। “अमृत मंथन” नाम से आरम्भ हुए इस कार्य की सफलता के बाद चारों और संतोष और खुशी की लहर दौड़ गई। श्री नरेद्र मोदी ने बताया कि इस कुएं में अनुमान से कहीं ज्यादा यानी 20 खरब घन फीट टी.सी.एफ. से कहीं ज्यादा गैस है। अब गुजरात स्टेट पेट्रोसियम कार्पोरेशन दिसम्बर, 2007 से गैस उत्पादन शुरू करने की योजना बना चुका है। मुख्यमंत्री के अनुसार गैस को समुद्र तट पर लाने के लिए 1500 करोड़ रुपए की लागत से पराइप लाइन बिछाई जाएगी। अन्य पाइपलाइन बिछाई जाएगी। अन्य पाइपलाइनें बिछाने में करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च आएगा। श्री मोदी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को नाम दिया है-दीनदयाल।उन्होंने बताया कि भारत सरकार की नई उत्खनन लाइसेंसिंग नीति के अंतर्गत गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. ने 1200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पट्टे पर लेकर गत वर्ष जुलाई में उत्खनन कार्य शुरू किया गया था। मात्र 300 दिन की खोज के बाद ढाई सौ करोड़ रुपए खेद की बात है कि देश के लिए गर्व के इस विषय को केन्द्र सरकार के राजनीतिक चश्मा पहनकर देखा जा रहा है और एक राज्य की उपलब्धि को भाजपा शासित राज्य की “गलत बयानी” कहा जा रहा है। मुख्यमंत्री मोदी के दावों को कमतर करके आंकने की कोशिश हो रही है और इस बड़ी घटना को यूं ही महज एक मामूली बात बताया जा रहा है।गुजरात सरकार के अधीन जी.एस.पी.सी. कम्पनी ने आंध्र प्रदेश में यमन-काकीनाडा तट से 6 किमी. समुद्र के भीतर के.जी. 8 कुएं में 5061 मीटर (5.06 किमी.) गहरी खुदाई के बाद प्राकृतिक गैस का यह भण्डार मिला है। इसकी कीमत लगभग 20 लाख करोड़ रुपए आंकी जा रही है। हाइड्रोकार्बन्स महानिदेशालय के महानिदेशक वी.के. सिबल ने “अनुमान” और “निवेशकों को गुमराह होने से बचाने” की गरज से “सेबी” और पेट्रोलियम मंत्रालय को तेल कुएं के भण्डार की घोषणा के लिए दिशानिर्देश बनाने को कहा है। सिबल को वहां 40 टी.सी.एफ. गैस होने के दावों से परेशानी है। गुजरात राज्य पेट्रोलियम कार्पोरेशन ने इस परियोजना के 10-20 प्रतिशत शेयर बाजार में बेचने का मन जो बना लिया है। सिबल कहते हैं कि अभी उत्पादन की क्षमता आंकी जानी है और उनके कार्यालय को उस पर मुहर लगानी है। कंपनियां उत्पादन सहयोग अनुबंध के तहत भण्डार की तभी घोषणा कर सकती है जब हाइड्रोकार्बन्स महानिदेशक उसे हरी झंडी दिखा दे। यानी सिबल ने अभी अपनी ओर से पेंच फंसाकर राजनीति करने की कोशिश की है।NEWS
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