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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा-

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Jan 2, 2004, 12:00 am IST
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दिंनाक: 02 Jan 2004 00:00:00

जोगी ने किया शिक्षा से मजाक

सिर्फ खरे विश्वविद्यालय मान्य करेंगे

बाकी 80 प्रतिशत बन्द होंगे

गत दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह फिक्की के 76वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने नई दिल्ली आए थे। उद्योगपतियों को राज्य में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए उन्होंने राज्य के विकास की अपनी योजनाएं भी बताईं। सन् 2000 में गठित छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की कांग्रेसी सरकार को पराजित कर मुख्यमंत्री बने डा. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के विकास के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। सरकार बनने के बाद उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं और छत्तीसगढ़ के विकास में आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए वे क्या रणनीति बनाने वाले हैं, इन प्रश्ननों को लेकर पाञ्चजन्य ने उनसे बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं, उस बातचीत के प्रमुख अंश-

-रवि शंकर

थ् छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य है। फिर भी छत्तीसगढ़ का गत तीन वर्षों में अपेक्षित विकास क्यों नहीं हुआ?

दृयह सही है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के पीछे भावना यही थी कि पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन होने के बावजूद इस क्षेत्र का उतना विकास नहीं हुआ जितना होना चाहिए था। अलग राज्य बनने के बाद भी विकास इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि उस ओर चेष्टा ही नहीं हुई। पैसे की कमी नहीं थी, नीयत की कमी थी। योजनाएं तो बनीं लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हुआ। केन्द्र द्वारा दिए गए धन का भी समुचित उपयोग नहीं हुआ। विकास पर राजनीति हावी रही।

आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं? आपने जनता से जो वायदे किए हैं, उन्हें कैसे पूरा करेंगे?

दृढांचागत विकास ही हमारी प्राथमिकता है। छत्तीसगढ़ की तीन समस्याएं हैं- सड़क, बिजली और खेती। इसलिए प्रथम चरण में आने वाले तीन सालों में ग्रामीण सड़कों और राज्य के राज्यों को ठीक किया जाएगा। 2008 तक सभी ग्रामीण सड़कों को हम शहरों से जोड़ देंगे। बिजली के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से मजबूत स्थिति में है। हम औद्योगिक और घरेलू दोनों क्षेत्रों को 24 घंटे बिजली दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ देश में ऊर्जा केन्द्र के रूप में विकसित हो। अगले पांच वर्ष में 7,000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन करने की हमारी योजना है। निजी क्षेत्र में कार्यरत छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल, राज्य सरकार और केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एन.टी.पी.सी.), तीनों मिलकर इस योजना को सफल बनाने के लिए कार्य करेंगे। तीसरा विषय खेती का है। इस वर्ष साठ लाख मैट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ है। इसमें से 50 लाख मैट्रिक टन धान सरकार को खरीदना पड़ रहा है। किसानों को कठिनाई न हो, इसकी हम चिंता कर रहे हैं। उनके कृषि-ब्याज ऋण में 2,500 रुपए की छूट दी है। गांवों के विकास के लिए वहां की चार मूलभूत आवश्यकताएं सड़क, बिजली, शिक्षा और पानी उपलब्ध कराने की तीन वर्षीय कार्य योजना बनी है। हमने केवल योजनाएं नहीं बनाई हैं, बल्कि उसके क्रियान्वयन में गति लाने के लिए भी हम प्रयासरत हैं।

इन योजनाओं के लिए साधन कैसे जुटाएंगे?

दृछत्तीसगढ़ स्वयं में काफी समृद्ध राज्य है। हमारे पास हीरा है, देश का सर्वश्रेष्ठ लोहा है, दुनिया की सबसे बेहतर सोने की खदान है, बाक्साइट है, अलेक्जेंड्राइट है, टिन है। भारी मात्रा में खनिज पदार्थ हैं। इसके अलावा वन्य उत्पाद हैं, उपजाऊ जमीन है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में देश का सर्वाधिक विकसित राज्य बनने की क्षमता है। हमें केवल उन संसाधनों का दोहन और योजनाओं का ईमानदारी से क्रियान्वयन करना है। यह हम यह करके दिखाएंगे।

थ्राज्य के औद्योगिकीकरण के बारे में आपकी क्या योजनाएं हैं?

दृछत्तीसगढ़ में उद्योग की काफी संभावनाएं हैं। सीमेंट, लोहा, बाक्साइट के उत्पादन में हमारा पहला स्थान है। नए उद्योग लगाए जाने की भी संभावनाएं हैं, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त बिजली है। मेरी उद्योगपतियों से बात हुई है। हमने उन्हें आ·श्वासन दिया है कि वे जिस भी क्षेत्र में आएं, हमारी सरकार उनको सहयोग देगी। प्रशासनिक कठिनाइयों को दूर किया जाएगा। उद्योगों के अलावा एक ओर नए क्षेत्र पर भी हमारा ध्यान है। वह क्षेत्र है जड़ी-बूटियों या औषधीय पौधों का। छत्तीसगढ़ केवल धान का कटोरा ही नहीं है, प्रकृति ने इसे औषधीय पौधों से भी समृद्ध बनाया है। इनकी पहचान, उत्पादन और वितरण, ये तीन काम हम करेंगे। इसके लिए एक औषधीय पौधा आयोग बनाया जाएगा। घरेलू बाजार में खपत के साथ-साथ औषधीय पौधों के निर्यात के लिए भी प्रयास किया जाएगा।

थ्छत्तीसगढ़ एक जनजातीयबहुल राज्य है। सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में आधुनिक विकास की कोई किरण नहीं पहुंची है। उनकी संस्कृति पर भी खतरा मंडरा रहा है। उनके विकास और संस्कृति की रक्षा के लिए आप क्या करने वाले हैं?

दृउनके लिए कोई अलग से योजना नहीं है। जनजातीय संस्कृति की रक्षा के लिए मतांतरण निषेध कानून पर्याप्त है। उसका कठोरतापूर्वक पालन करने की आवश्यकता है और वह हम करेंगे।

अजीत जोगी सरकार ने 108 वि·श्वविद्यालयों को अनुमति प्रदान की थी। उनका क्या करेंगे?

दृहम उस अध्यादेश में एक परिवर्तन कर रहे हैं कि वि·श्वविद्यालय अनुदान आयोग की शर्तों पर खरा उतरने वाले वि·श्वविद्यालय को ही मान्यता दी जाएगी, शेष को नहीं। इससे अभी जो वि·श्वविद्यालय खुले हैं, उनमें से 80 प्रतिशत बंद हो जाएंगे, क्योंकि उनके पास न तो आवश्यक तंत्र है और न ही शिक्षा की सोच।

उन विश्वविद्यालयों में दाखिल छात्रों का क्या होगा?

अभी ये विश्वविद्यालय अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में हैं। एक, एक दो-दो कमरों में चल रहे हैं। इसलिए ऐसी कोई समस्या नहीं आएगी।

थ्पिछली सरकार पर नौकरशाही हावी रही है। आप उससे कैसे निपटेंगे?

नौकरशाही का रुख सरकार के सोचने और कार्य करने के तरीके पर निर्भर करता है। पिछली सरकार जिस प्रकार काम कर रही थी, वे उसी प्रकार चल रहे थे। आज हमारी सरकार की जो सोच है, उसके आधार पर वे कार्य करने के लिए तैयार हैं। मुझे नहीं लगता कि प्रशासनिक दृष्टि से मुझे कोई कठिनाई आएगी।

थ्छत्तीसगढ़ में नक्सल-समस्या भी पनप रही है। अनेक नक्सल प्रभावित राज्यों की सीमाएं भी राज्य से लगती हैं। उनसे कैसे निपटेंगे?

दृहम अपने पुलिस बल को मजबूत कर रहे हैं। केन्द्र से भी मदद मांगी है। केन्द्र ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक बटालियन भी हमें दी है। साथ ही हम विकास के मुद्दे पर विशेष ध्यान देने वाले है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी लाई जाएगी। उन क्षेत्रों में राजस्व विभाग, वन विभाग आदि के अधिकारियों के प्रति कुछ क्षोभ रहा है। हमारा पहला लक्ष्य है कि ऐसे अधिकारी वहां लगाए जाएं जो संवेदनशील हों और जो पट्टे आदि की छोटी-छोटी समस्या को तत्काल हल करें। इससे आक्रोश भी कम होगा और वहां के विकास कार्यों में भी गति आएगी। इससे वे मुख्यधारा से जुड़ेंगे।

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