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जम्मू- कश्मीर

Archive Manager by Archive Manager
Feb 3, 2003, 12:00 am IST
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दिंनाक: 03 Feb 2003 00:00:00

नए नाम से आतंकद विशेष प्रतिनिधिजम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. द्वारा एक नए नाम से आतंकवादी संगठन बनाया जाना राज्य में चिंता का विषय बन रहा है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर नेशनल लिबरेशन आर्मी (जे.के.एन.एल.ए.) के नाम से काम कर रहा है। अब तक इस प्रकार के नए आतंकवादी संगठनों का गठन पाकिस्तान या उसके कब्जे वाले कश्मीर में होता था। परंतु इस बार इस संगठन का फैलाव पूरे जम्मू-कश्मीर में दिखाई दे रहा है।गत दिनों पुंछ के मेंढर क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने जे.के.एन.एल.ए. के चार आतंकवादी मार गिराए और उनके परिचय पत्र व साहित्य भी जब्त कर लिया। परिचय पत्र से उनके नाम, पते व उनकी संगठनात्मक जिम्मेदारियों का पता चलता है। इनमें से तीन कोटली के रहने वाले थे व एक निखियाल का रहने वाला था। ये थे- जां कशीर, मजीद काश्मीर, हफीज सादिर और साबिर अली। इनके पास से प्राप्त कागजों से ये भी संकेत मिले हैं कि यह संगठन वस्तुत: पुराने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जे.के.एल.एफ.) का ही नया रूप है। यह भी पता चला है कि इस संगठन का मुख्यालय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले के कोटली में है।जम्मू-कश्मीर में गत 14 वर्षों के सशस्त्र आतंकवाद के इतिहास में जे.के.एल.एफ. पहला राजनीतिक संगठन था जिसने आतंकवाद की अगुआई की थी। परंतु धीरे-धीरे आई.एस.आई. ने इसे किनारे कर कई नए संगठनों को आगे बढ़ाया था, जिसमें जमात-ए-इस्लामी का सशस्त्र मोर्चा हिजबुल मुजाहिदीन भी सम्मिलित है। जे.के.एल.एफ. को इसलिए किनारे किया गया था, क्योंकि अमानुल्ला खां सहित इसका संपूर्ण नेतृत्व आजाद कश्मीर की बात करता था जबकि जमात-ए-इस्लमी और हिजबुल मुजाहिदीन कश्मीर के पाकिस्तान में विलय की बात करते हैं। इसी बीच हरकत-उल-अंसर, हरकत-उल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-जिहादी इस्लामी, लश्कर-ए-तोएबा, अल-बदर, अल-उमर, जैश-ए-मोहम्मद आदि कई अन्य आतंकवादी संगठन भी खड़े होने लगे। भारतीय सुरक्षा बल किसी एक संगठन को निशाना न बना पाएं, इसलिए इतने सारे संगठन बन रहे थे। किन्तु इसका दूसरा परिणाम यह हुआ कि आपस में ही इनके संघर्ष प्रारंभ हो गए। इस आपसी संघर्ष को समाप्त करने के लिए सैय्यद सल्लूदीन के नेतृत्व में जिहाद काउंसिल के नाम से एक समन्वय समिति भी बनाई गई और इस प्रकार इन सभी संगठनों का नियंत्रण आई.एस.आई. के हाथों में बना रहा। आई.एस.आई. इन सभी को धन, हथियार आदि देकर सहायता करती रही।जे.के.एन.एल.ए. के नाम से जे.के.एल.एफ. के पुन: सक्रिय होने से षड्यंत्र प्रारंभ हो गए हैं। यह समझा जा रहा है कि इस नए संगठन की रचना इसलिए हुई है, क्योंकि कश्मीर की अधिकांश जनता पाकिस्तान में तालिबानी कट्टरवादियों के उभरने के बाद से उसमें विलय को पसंद नहीं करती। जे.के.एल.एफ. द्वारा जिस प्रकार कश्मीर की आजादी का एक वातावरण बनाया गया था, उससे आई.एस.आई. यह आशा कर सकती है कि जे.के.एन.एल.ए. कश्मीर की आजादी का एक नया संघर्ष प्रारंभ कर देगा।विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आतंकवाद पर बढ़ते वै·श्विक दबाव तथा अमरीका व अन्य देशों द्वारा हरकत-उल-अंसार, लश्कर-ए-तोयबा, जैश-ए-मोहम्मद आदि कई पुराने आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित करने के कारण ही इस प्रकार नए नाम से संगठन बनाया गया है। द विशेष प्रतिनिधि26

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