समाजवाद का स्थायी पता
Saturday, May 21, 2022
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • Subscribe
होम Archive

समाजवाद का स्थायी पता

Archive Manager by Archive Manager
Feb 2, 2003, 12:00 am IST
in Archive
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

दिंनाक: 02 Feb 2003 00:00:00

द दीनानाथ मिश्रएक जमाना था जब समाजवाद आसमान की तरह हुआ छाया था। बाढ़ के पानी की तरह फैला रहता था। नेताओं के भाषणों की तरह लम्बा होता था। पण्डों के पेट की तरह गोल होता था। सच तो यह है कि फुटबाल ने अपनी गोलाई पण्डों के पेट की तर्ज पर ही बनाई। समाजवाद सर्वशक्तिमान था, सर्वकश या सर्वव्यापी था। वह भाषण में था, कविता और नाटक में भी बसता था, गीत और संगीत में था, यत्र-तत्र, सर्वत्र था, भविष्यवाणियों में विचरण करता था।बच्चा पैदा होते ही समाजवादी हो जाता था। इक्के-दुक्के लोग जो समाजवादी नहीं होते थे, उन्हें पागल समझा जाता था। जो समाजवाद पर शक करते थे, उन्हें सिरफिरा की परिभाषा समझा जाता था। यही एक शब्द था जिसमें अक्षर तो सिर्फ पांच थे, मगर उसकी इज्जत 500 खण्डों के दर्शन से कम नहीं थी। यह मंत्र था, नारा था, औजार था, हथियार था। अलादीन का चिराग था। भिखारी से लेकर सेठ करोड़ीमल तक सब समाजवादी होते थे। यहां तक कि सेठ जी की लम्बी गाड़ी, शेख साहब की लम्बी दाढ़ी, माडल मेहर की लम्बी साड़ी, सब के सब समाजवादी होते थे। झुण्ड के झुण्ड समाजवादी नारा लगाते निकलते थे। रोटी, कपड़ा और मकान, मांग रहा है हिन्दुस्थान। समाजवाद खादी पहनता था।मुझे समाजवाद बचपन से ही बहुत अच्छा लगता था। उसका एक घोष वाक्य था- धन और धरती बंट के रहेगी। टाटा, बिरला मुर्दाबाद। इधर हमारी हालत यह थी कि कम से कम 5 पुश्तों से जिसे मैं मातृभूमि कहता हूं, उसमें एक इंच जमीन भी कभी नहीं रही। सोच सकते हैं कि किराए की जमीन पर बिस्तर लगाने वाले को धरती के बंटने का संदेश कितना अच्छा लगता होगा। धन के मामले में भी ऐसा ही था। पहली नौकरी लगी, तब वेतन था नकद 45 रुपए। उन दिनों पैसे वाले एक सज्जन मिले तो मैं पूछते-पूछते रह गया कि भाई साहब, आप करते क्या हैं? इतना पैसा कैसे कमा लेते हैं? किस काम में इतना पैसा पैदा होता है? जरा हमको भी बताइए। सोचता था कि या तो कम्बख्त महीना ही 15 दिनों का हो जाए या समाजवादी जादू से मेरा वेतन 90 रुपए हो जाए। यह सोचकर मैं खुश होता था कि हमारी धरती के पहले धन बंटेगा और मेरी हालत भी सुधरेगी। मेरी मां को भगवान पर भरोसा था और मुझे समाजवाद पर।कई दशक गुजर गए। सात-आठ पंचवर्षीय योजनाएं गुजर गईं। एक दौर में तो इतनी बेचैनी हुई कि हर शाम मैं स्टेशन पर गाड़ी आने के पहले जाता था। समाजवाद के उतरने का इंतजार करता था। जिस दिन विलम्ब से पहुंचता, उस दिन स्टेशन मास्टर से जाकर पूछता- आज गाड़ी से समाजवाद उतरा था क्या? स्टेशन मास्टर मुझे टाल देता। मैं यह सोचता घर लौट आता कि कभी तो समाजवाद उतरेगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है। करोड़ों लोग समाजवाद पर उम्मीद लगाए बैठे थे। जब बहुत वर्षों तक इंतजार का फल नहीं निकला तो मन में यह धारणा बन गई कि हो न हो, टाटा-बिरला ही समाजवाद को आने नहीं दे रहे। तब तक मैं खासा समझदार हो गया था। अपने हर काम और हर मनोकामना को पूरा करने का जिम्मा सरकार का मानने लग गया था। मगर कब तक लोग उम्मीद के सहारे पड़े रहते। लोगों के भी सपने टूट गए। समाजवाद से लोगों का भरोसा जाता रहा। समाजवाद का जादू खत्म हाने लगा।एक दिन एक सज्जन समाजवाद पर बहस करने आ गए। मैं तो समाजवाद पर डटा हुआ था। मैंने कहा, “मुझे मालूम है, समाजवाद कहां है। मैं आपको समाजवाद का स्थायी पता बता सकता हूं। इस पते से समाजवाद को कोई नहीं निकाल सकता। समाजवाद यहां स्थायी रूप से डटा है और डटा रहेगा। मैंने भारत का संविधान निकाला और उसमें समाजवाद का पता-ठिकाना निकाल कर दिया। इस संवैधानिक ठिकाने पर वह बिस्तर लगाकर लेटा है। यहां यह पूर्णत: सुरक्षित है। जेड श्रेणी के सुरक्षा कवच में समाजवाद यहां सदा-सर्वदा के लिए विराजमान रहेगा। हर आम और खास के लिए यह जानकारी मैंने बहुत परिश्रम से उपलब्ध करा दी है। मैं समाजवाद को बधाई देता हूं। इसने बड़े जद्दोजहद से अपने देश में पूंजीवादी सम्पन्नता की जहरीली संस्कृति को अकेले के दम-खम पर रोके रखा। वह एक नारा भी था। अब संविधान के संग्रहालय में स्थायी निवास के लिए आ गया। समाजवाद की तरह पूंजीवाद भी गुजर जाएगा। लड़ने-मारने की तैयारी तो चल ही रही है। द5

ShareTweetSendShareSend
Previous News

सरकार और माओवादियों के बीच दूसरे दौर की वार्ता सम्पन्न, पर

Next News

पुलिस ने हत्या की, सेना ने सलामी दी

संबंधित समाचार

अफ्रीकी देश कांगो में आतंकी हमला, 11 की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में आतंकी हमला, 11 की मौत

एफसीआरए/एनजीओ  : फंदे में चंदेबाज

एफसीआरए/एनजीओ  : फंदे में चंदेबाज

भगोड़े मेहुल चोकसी को डोमिनिका में मिली राहत

भगोड़े मेहुल चोकसी को डोमिनिका में मिली राहत

लव जिहाद और कन्वर्जन हिंदुत्व के लिए कैंसर : विधायक राम दांगोरे

10 से 10 तक : निहाल ने खुद को हिंदू बताकर युवती को प्रेम जाल में फंसाया, कई बार किया रेप, अब कन्वर्जन का बना रहा दबाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स पर बुलाई आपात बैठक, यूरोप में 100 से अधिक मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स पर बुलाई आपात बैठक, यूरोप में 100 से अधिक मामले

ज्ञानवापी : शिवलिंग पर आपत्तिजनक पोस्ट, डीयू प्रोफेसर रतनलाल गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग पर आपत्तिजनक पोस्ट, डीयू प्रोफेसर रतनलाल गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अफ्रीकी देश कांगो में आतंकी हमला, 11 की मौत

अफ्रीकी देश कांगो में आतंकी हमला, 11 की मौत

एफसीआरए/एनजीओ  : फंदे में चंदेबाज

एफसीआरए/एनजीओ  : फंदे में चंदेबाज

भगोड़े मेहुल चोकसी को डोमिनिका में मिली राहत

भगोड़े मेहुल चोकसी को डोमिनिका में मिली राहत

लव जिहाद और कन्वर्जन हिंदुत्व के लिए कैंसर : विधायक राम दांगोरे

10 से 10 तक : निहाल ने खुद को हिंदू बताकर युवती को प्रेम जाल में फंसाया, कई बार किया रेप, अब कन्वर्जन का बना रहा दबाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स पर बुलाई आपात बैठक, यूरोप में 100 से अधिक मामले

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स पर बुलाई आपात बैठक, यूरोप में 100 से अधिक मामले

ज्ञानवापी : शिवलिंग पर आपत्तिजनक पोस्ट, डीयू प्रोफेसर रतनलाल गिरफ्तार

ज्ञानवापी : शिवलिंग पर आपत्तिजनक पोस्ट, डीयू प्रोफेसर रतनलाल गिरफ्तार

हरिद्वार अर्धकुंभ को निशाना बनाने के मामले में पांच जिहादी दोषी करार

हरिद्वार अर्धकुंभ को निशाना बनाने के मामले में पांच जिहादी दोषी करार

विश्व मुक्केबाजी में स्वर्ण जीतने के बाद निकहत ज़रीन ने कहा-देश के लिए चैम्पियनशिप जीतकर बेहद खुश हूं

विश्व मुक्केबाजी में स्वर्ण जीतने के बाद निकहत ज़रीन ने कहा-देश के लिए चैम्पियनशिप जीतकर बेहद खुश हूं

  • About Us
  • Contact Us
  • Advertise
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • Vocal4Local
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies