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दिल्ली का असर पूरे देश पर पड़ता है। दिल्ली सधी तो सब सध जाता है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय संसदीय कार्य एवं पर्यटन मंत्री रहे श्री मदनलाल खुराना को दिल्ली भाजपा की बागडोर यही सोचकर दी गई कि अब दिल्ली सध जाएगी। पिछले नगर निगम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जिस तरह हार हुई, वह दिल्लीवासियों के मन में भाजपा की छवि का प्रमाण था। इसी से चिन्तित होकर भाजपा के उच्च नेतृत्व ने श्री मदनलाल खुराना के सामने गोवा में दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष पद संभालने का प्रस्ताव सामने रखा शायद दिल्ली प्रदेश में तलहटी में पहुंची भाजपा की छवि एक बार फिर शिखर तक पहुंच जाए। वैसे श्री खुराना से दिल्लीवासियों को बहुत उम्मीदें हैं, क्योंकि 1993 में वे उनका मुख्यमंत्रित्वकाल देख चुके हैं। गुटबाजी और दरारों से भरी दिल्ली भाजपा को संगठित कर जनता के लिए आदर्श विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना अपने आप में एक चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए श्री खुराना किस प्रकार रणनीति बनाकर अपने दल-बल के साथ सामने आएंगे, दिल्लीवासियों की पहाड़ होती समस्याओं को कैसे सुलझाएंगे? ऐसे ही कुछ प्रश्नों पर पाञ्चजन्य ने श्री मदनलाल खुराना से वार्ता की। यहां प्रस्तुत हैं उस बातचीत में व्यक्त उनके विचार-द विनीता गुप्ताथ् एक चुनौती के रूप में दिल्ली भाजपा की बागडोर आपको सौंपी गई। इस चुनौती का सामना करने के लिए आपकी क्या रणनीति है?द्र सत्रह साल बाद मुझे फिर दिल्ली प्रदेश भाजपा की बागडोर बड़े वि·श्वास के साथ सौंपी गई है। ऐसी चुनौती 1985 में भी थी, जब संसद में भाजपा की सिर्फ दो ही सीटें रह गई थीं, और मैं दिल्ली प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष था। इसी प्रकार जब हाल में दिल्ली में नगर निगम चुनाव हुए और भाजपा की बुरी तरह हार हुई और हमारी सिर्फ 14 सीटें रह गईं, तो मुझे व्यक्तिगत रूप से धक्का लगा, मैं तीन रात तक सो नहीं सका। जिस भाजपा को हमने खून-पसीने से सींचा उसका दिल्ली में यह हाल देखकर मैं बेचैन हो उठा। पिछले दिनों गोवा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उच्च नेतृत्व ने मुझे अलग बुलाकर दिल्ली भाजपा की कमान संभालने के लिए कहा। मेरा उद्देश्य स्पष्ट है पिछले नगर-निगम चुनावों का बदला लेना। मुझे पूरा यकीन है कि दिल्ली की जनता और कार्यकर्ताओं के आशीर्वाद के बल पर मैं इस कार्य में सफल रहूंगा। दिल्ली की जनता ने मुझे हमेशा अपना स्नेह दिया है। 1966 से दस बार अपना प्रत्याशी चुना। 5 बार महानगर परिषद् के लिए, 1 बार विधानसभा के लिए और 4 बार लोकसभा के लिए चुना। 1993 में दिल्ली का मुख्यमंत्री भी बना। अब फिर दिल्लीवासियों के लिए कुछ कर दिखाने का अवसर मिला है, मैं पूरे वि·श्वास के साथ आया हूं। हर तरह की चुनौती का सामना करूंगा।थ्दिल्ली प्रदेश भाजपा में आंतरिक गुटबाजी बहुत ज्यादा है, जिसका सीधा असर हाल के निगम चुनावों में देखने को मिला। इस स्थिति में आप सबको साथ लेकर कैसे चलेंगे?द्र मैं मानता हूं कि दिल्ली भाजपा गुटबाजी के रोग से ग्रस्त है, लेकिन निगम चुनावों पर इसका असर हुआ, यह मैं नहीं मानता। गुटबाजी तो यहां तब भी थी जब भाजपा ने दिल्ली में सातों लोकसभा सीटें जीती थी। गुटबाजी होने के बावजूद सबका उद्देश्य एक ही था भाजपा की जीत। फिर लोकतंत्र में मतभेद तो होता ही है। मतभेद भले ही बने रहें, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। इस मनभेद को दूर करना ही मेरी कोशिश रहेगी। संगठन में इतना तो रहे कि जनसंघ की परम्परा के अनुसार हम परिवार के रूप में साथ रह सकें, आंख की शर्म बनी रहे, एक-दूसरे के लिए सम्मान बना रहे।अब कहीं कोई निराशा का वातावरण नहीं है। सब पूरी तरह उत्साहित हैं। हाल के दिल्ली बंद में इसका प्रमाण मिल गया। इसमें 12 लाख कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था।थ्आपने कहा गुटबाजी हार का कारण नहीं बनी। तब हार का कारण क्या था?द्र सच कहूं तो अयोध्या के कारण लोगों ने अपनी नाराजगी जताई, गुजरात में जो कुछ हुआ, उसका असर इन चुनावों पर पड़ा। फिर दिल्ली की समस्याएं, बढ़ती महंगाई, अवैध कब्जे हटाने आदि के लिए लोगों ने भाजपा को दोषी माना, जबकि इनके लिए सीधे तौर पर दिल्ली की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। लेकिन अब कांग्रेस के दिन पूरे हो गए हैं।थ्दिल्लीवासियों की समस्याओं के लिए कभी भाजपा ने कांग्रेस के विरोध में विपक्षी दल के नाते सार्थक भूमिका भी तो नहीं निभाई, कोई आंदोलन नहीं किया, इसी कारण जनता भाजपा से विमुख हुई। अब आप क्या योजना बना रहे हैं?द्र न चैन से बैठेंगे, न दिल्ली सरकार को चैन से बैठने देंगे। 22 जुलाई को हमने बिजली, पानी की समस्या को लेकर दिल्ली बंद का आह्वान किया, ताकि दिल्ली की डेढ़ करोड़ जनता की आवाज शीला दीक्षित सरकार के कानों तक पहुंचा सकें। दिल्ली की मुख्य समस्याओं-बिजली, पानी और परिवहन को सुलझाने में कांग्रेस पूरी तरह विफल रही है। इन समस्याओं के सन्दर्भ में हम जन-जागरण अभियान चला रहे हैं। जब तक दिल्ली वालों को राहत नहीं मिल जाती, तब तक मैं इस सरकार को चैन की नींद नहीं सोने दूंगा। अगर सरकार समस्याएं नहीं सुलझाती तो उसे गद्दी छोड़नी होगी। इन समस्याओं के बारे में हम केन्द्र सरकार से भी सम्पर्क करेंगे। जैसे अवैध बस्तियों को नियमित करने का मुद्दा है।थ् अवैध बस्तियों को नियमित करने के बारे में आप क्या कदम उठाने जा रहे हैं?द्र यह मुद्दा अब जल्दी ही सुलझ जाएगा। 1993 में जब दिल्ली में हमारी सरकार थी, तब हमने उन 1071 कालोनियों को नियमित करने का फैसला किया था, जो 1993 से पहले बनी थीं। उसके बाद से इन अवैध कालोनियों की संख्या 1500 तक जा पहुंची है। हम कोशिश करेंगे कि मार्च 2002 से पहले बसी कालोनियां नियमित हो जाएं।थ् यह किस प्रकार सम्भव होगा?द्र 1977 में हमने कालोनियों को नियमित करने की योजना बनायी थी, उसी आधार पर अब इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। कांग्रेस सरकार ने तो इस दिशा में कोई ईमानदार कोशिश की ही नहीं। अवैध कालोनियों के नियमितीकरण को लेकर शहरी विकास मंत्री अनंत कुमार से भी मिले, उपराज्यपाल विजय कपूर से भी मिले, एक समयबद्ध योजना बनी है। उस पर काम करेंगे। फैक्टरियों के बंद होने से बेरोजगार हुए ढाई लाख मजदूरों की समस्याओं के बारे में हम पिछले दिनों आडवाणी जी से मिले थे।थ् एक लम्बे अरसे से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात चल रही है, लेकिन आज तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल सका, जबकि केन्द्र में आपकी अपनी सरकार है?द्र यह नहीं कहा जा सकता कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है, केन्द्र में भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है। इसलिए कांग्रेस की मदद के बिना दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना अभी तो संभव नहीं है। विधानसभा में कांग्रेस ने इस बारे में अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं रखा। सच पूछो तो कांग्रेस की नीयत ठीक नहीं है, वह हमारा सहयोग भी नहीं करना चाहती। हमने इस मुद्दे पर कई बार कांग्रेस नेताओं और उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत की है, लेकिन उन्होंने इसमें कोई रुचि नहीं ली।द30
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