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और पश्चिमी मीडिया का दुष्प्रचारद एम.एस.नेगीवर्ष 1988 से लेकर 2002 तक आतंकवादी हिंसा का ब्यौरावर्ष घटनाएं मारे गए आतंकवादी आम नागरिक सुरक्षा बलों के जवान कुल संख्या 1988 390 10 29 1 40 1989 2154 5 79 13 97 1990 3905 467 862 132 1461 1991 3122 632 594 185 1411 1992 4971 873 859 177 1909 1993 4457 1040 1023 216 2567 1994 4484 1237 1012 236 2899 1995 4479 1102 1161 297 2796 1996 4224 1194 1333 376 2903 1997 3004 1177 840 355 2372 1998 2993 1045 877 339 2261 1999 2938 1184 799 555 2538 2000 2835 1808 842 638 3288 2001 3882 1889 931 515 3066 2002 1869 692 488 237 1417 (कासिम नगर नरसंहार तक) कुल 49,707 4,355 11,729 4,272 31,025 लगता है हिंसा और संघर्ष कश्मीर का भाग्य बन चुका है। जम्मू स्थित कासिम नगर नरसंहार, जिसमें महिलाओं-बच्चों सहित 27 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गयी थी, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का एक और घृणित रूप है। कश्मीर मसले को महिमामंडित करने वाला पश्चिमी समुदाय क्या कासिम नगर जैसे जघन्य नरसंहार में पाकिस्तान की स्पष्ट भूमिका को नकार सकता है? कश्मीर आज एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसको लेकर सारा वि·श्व चिन्तित दिखाई देता है। जहां तक पश्चिमी मीडिया का सवाल है, उसने हमेशा से कश्मीर को वि·श्व के सबसे खतरनाक मुद्दे के रूप में चित्रित किया है।कश्मीर को लेकर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ आज तक चार युद्ध छेड़े, जिनमें 1947, 1965, 1971 और 1999 का कारगिल युद्ध शामिल है। इन सभी युद्धों में मिली करारी हार से तिलमिलाए पाकिस्तान ने 1988 से भारत के खिलाफ सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ के रूप में परोक्ष युद्ध छेड़ दिया, जो कश्मीर के इतिहास का काला अध्याय साबित हो रहा है। कश्मीर में जारी आतंकवादी हिंसा को लेकर पाकिस्तान और पश्चिमी मीडिया द्वारा मनगढ़ंत दावे किए जाते हैं, जिनमें कहा जाता है कि कश्मीर में भारतीय सेना की कार्यवाहियों में पिछले एक दशक में 80 हजार निर्दोष कश्मीरी मारे जा चुके हैं, जबकि कश्मीर में जारी आतंकवादी हिंसा की सच्चाई को ऊपर दी गई तालिका द्वारा समझा जा सकता है। (अडनी)24
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