दिंनाक: 02 Oct 2002 00:00:00 |
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इधर गोलीबारीउधर घुसपैठ की तैयारीद विशेष प्रतिनिधिपाकिस्तान के सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने भले ही सार्वजनिक रूप से आतंकवाद की निन्दा की और पाकिस्तान के हित के लिए जिहाद पर विश्व समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, किन्तु जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य भागों में आतंकवाद फैलाने में आई.एस.आई. कोई कमी नहीं कर रही है।12 जनवरी के अपने कूटनीतिक वक्तव्य में जनरल मुशर्रफ ने पाकिस्तान और विश्व की जनता पर यह प्रभाव डालने का प्रयास किया कि अब पाकिस्तान जिहाद-ए-असगरी के स्थान पर जिहाद-ए-अकबरी चलाएगा। (शस्त्रपूर्ण संघर्ष के स्थान पर पुनरुत्थान के लिए जिहाद) लेकिन जहां तक जम्मू-कश्मीर और भारत के अन्य भागों का प्रश्न है पिछले कुछ सप्ताहों की घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि ठोस धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।भारत की सीमा और अंदरूनी भागों में हो रही पाकिस्तान समर्थित हिंसक घटनाओं ने अब नया स्वरूप ले लिया है।जनवरी माह में अनेक नरसंहार हुए। महिलाओं और बच्चों सहित निर्दोष व्यक्तियों की हत्या में वृद्धि हुई। आठ माह का एक शिशु भी आतंकवादी हमले का शिकार हुआ है। पुंछ-राजौरी क्षेत्र में तीन और डोडा जिले के बनिहाल क्षेत्र में दो नरसंहार हुए। पुंछ के मेंढर के साल्वा क्षेत्र में हुए एक नरसंहार में तीन मुस्लिम परिवारों के चौदह सदस्य मारे गए। इनमें नौ बच्चे, तीन महिलाएं और दो पुरुष थे।विभिन्न आतंकवादी घटनाओं में अलग-अलग स्थानों पर लगभग 40 निर्दोष नागरिक मारे गए। पिछले पूरे माह के दौरान 50 से अधिक आतंकवादी भी मारे गए, जिनमें से कई नियंत्रण रेखा के समीप ही मारे गए। इससे स्पष्ट होता है कि आई.एस.आई. जम्मू-कश्मीर में अधिक से अधिक प्रशिक्षित आतंकवादी पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। नौशेरा और राजौरी क्षेत्र में घुसपैठ की पांच घटनाओं में सीमा पार से भेजे गए हथियारों और बारूद से लैस 18 आतंकवादियों को मार गिराया गया।हालांकि नियंत्रण रेखा पर भारी संख्या में सैनिकों की उपस्थिति के कारण आतंकवादियों के लिए घुसपैठ करना काफी कठिन हो गया है, फलस्वरूप पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान घुसपैठ की घटनाओं में बहुत कमी आई है।ऐसी खबरें मिली हैं कि आई.एस.आई. ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराने के लिए नियंत्रण रेखा और सीमा पर आतंकवादियों का भारी जमावड़ा कर रखा है। अमरीकी और अन्य दबावों के कारण पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तोयबा और जैश-ए-मोहम्मद के वे आतंकवादी सदस्य, जिन्हें पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थानांतरित कर दिए गए हैं ताकि वे जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कर सकें।सूत्रों के अनुसार नियंत्रण रेखा और सीमा पार कर पांच से दस हजार कट्टरवादी आतंकवाद समर्थक तथा आतंकवादी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और जम्मू सीमा के नजदीक सियालकोट-शक्करगढ़ के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में जमा हो गए हैं। इनमें से अनेक आतंकवादियों ने सैन्य बैरकों और बंकरों में शरण ले रखी है।सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों के अतिरिक्त पाकिस्तानी सेना, भारतीय सैनिकों को गोलीबारी में उलझा कर घुसपैठियों के भारत में प्रवेश में पूरी मदद कर रही है।किन्तु पाकिस्तानी षड्यंत्रों को पूरी तरह समझते हुए भारतीय सेना ने प्रभावी तरीके से जवाब देना शुरू कर दिया है। जनवरी माह में अपनी जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना के जवानों ने लगभग 80 पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला और सैकड़ों को घायल किया। साथ ही पाकिस्तानी सेना के 125 से अधिक बंकर और चौकियां नष्ट कर दीं। इस अवधि के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अनेक निगरानी स्तम्भों और तोपों को भी उड़ा दिया। इन जवाबी हमलों में पाकिस्तानी सेना के हथियार और विस्फोटकों के अस्थाई गोदामों को भी निशाना बनाया गया गया। सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई गई इस कठोर नीति ने राज्य में और राज्य के बाहर आतंकवादियों तथा आतंकवाद के समर्थकों को कठिन परिस्थितियों में डाल दिया है।14
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