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ताक पर कायदादेर से प्राप्त समाचार के अनुसार गत दिनों पांडिचेरी के केन्द्रीय कारागार में कारावास अधीक्षक पी.डेविड की शह पर ईसाई मिशनरियों ने कैदियों का जबरन मतान्तरण किया है। राज्य सरकार ने छह कैदियों द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर कथित जबरन मतान्तरण की जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि पी.डेविड पर कैदियों का जबरन मतान्तरण करवाए जाने के छुटपुट आरोप तो काफी समय पहले से लगाए जा रहे थे पर यह पहली बार हुआ कि जब ऐसा मामला इतना खुलकर सामने आया है। हुआ यूं कि वे छह कैदी, जो विभिन्न सजाएं भुगत रहे थे, अचानक करैकल के उपकारागार में स्थानान्तरित कर दिए गए थे। करैकल तमिलनाडु में स्थित है। इसके विरुद्ध उन्होंने भूख हड़ताल कर दी और स्थानीय आरक्षी अधीक्षक को जांच समिति बिठाने को बाध्य कर दिया। इस अवसर का लाभ उठाकर उन्होंने पी.डेविड के विरुद्ध एक आधिकारिक शिकायत भी दर्ज कर दी कि ईसाई बनने से इनकार करने पर डेविड ने उन्हें केन्द्रीय कारागार में यातनाएं दी थीं।पांडिचेरी के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने बताया कि डेविड के विरुद्ध इस तरह की शिकायतें पहले भी मिलती रही थीं, खासकर उसने जिस प्रकार ईसाई मिशनरियों को भोजन और मिठाई बांटने के बहाने जेल में आने की छूट दी थी। मिशनरियों ने भी मौके का फायदा उठाकर, जेल के नियमों के विरुद्ध, अपना मजहबी प्रचार किया।डेविड के विरुद्ध एक आरोप यह भी लगा कि उसने आजीवन कारावास भोग रहे एक व्यक्ति सहयाराज को पेरोल के दौरान भाग निकलने का मौका दिया था। सहयाराज इस समय वारंगल (आंध्र प्रदेश) में एक गैरसरकारी ईसाई संगठन चला रहा है।बिहार में लूटलालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की पुत्री रोहिणी आचार्या के विवाह के अवसर पर पुलिस संरक्षण में राजद कार्यकत्र्ताओं ने पटना में जो हरकतें कीं, उनसे यही सिद्ध हो रहा है कि बिहार में जंगलराज व्याप्त है। हुआ यूं कि जब विवाह समारोह में आए विशिष्ट अतिथियों को लाने-लेजाने के लिए कारें कम पड़ गईं तो राजद के कार्यकर्ता धड़धड़ाते हुए पटना की कारों की दुकानों पर जा पहुंचे और इन दुकानों से लगभग 50 वातानुकूलित कारें ले उड़े। पटना स्थित टेल्को के गोदाम में से 5 टाटा सूमो और 2 सफारी कारें जबर्दस्ती निकाल ली गईं। पुलिस अधीक्षक से इसकी लिखित शिकायत की गई, किन्तु कुछ नहीं हुआ। टेल्को के अधिकारियों का तो यहां तक कहना है कि इन गाड़ियों को ले जाते समय राजद के समर्थकों के साथ दीदारगंज थाने की पुलिस भी थी। कई कार कम्पनियों ने तो पुलिस से शिकायत तक नहीं की, क्योंकि इन लोगों का मानना था कि बिहार में रहकर वे ऐसा नहीं कर सकते हैं। अभी तक कई गाड़ियां लौटाई नहीं गई हैं। विवाह आयोजन में जब मेज-कुर्सियों की कमी हुई तो बाजारों में ऐसी ही लूटमार से कमी-पूर्ति की गई। ऐसे ही कपड़े आदि की दुकानों को भी जमकर लूटा गया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस आयोजन में पथ निर्माण विभाग, विद्युत विभाग आदि को बेवजह लाखों रुपए खर्च करने पड़े। बैंकाक से फूल आए और सिंगापुर से फल।घाटी की पीड़ाकश्मीर घाटी में चिनार और अखरोट के वृक्षों को राष्ट्रीय वृक्ष के समान माना जाता है और इन्हें काटने पर महाराजा के समय से ही पाबंदी लगी है। लेकिन अब घाटी में जारी आतंकवाद का चिनार, अखरोट, देवदार और ऐसे ही अन्य मूल्यवान वृक्षों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।राज्य अर्थव्यवस्था में अखरोट की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह आय का एक बड़ा स्रोत है, घरेलू व्यापार के अतिरिक्त अखरोट का वार्षिक निर्यात 112 करोड़ रुपए से भी अधिक है। कहा जाता है कि घाटी से हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के पलायन के बाद कट्टरवादियों तथा अन्य आपराधिक तत्वों ने इन ऐतिहासिक महत्व के वृक्षों को निर्ममतापूर्वक काटा और पेड़ों की यह कटाई अभी भी जारी है। एक आधिकारिक रपट में कहा गया है कि घाटी से पलायन कर गए हिन्दू अपने पीछे 27 हजार 500 कनाल बागान और 53 हजार 372 कनाल कृषियोग्य भूमि छोड़ गए थे। इसमें डेढ़ लाख से भी अधिक अखरोट और अन्य वृक्ष सम्मिलित थे। वि·श्वसनीय रपटों के अनुसार इन बागानों में से अधिकांश, विशेषत: अखरोट और अन्य मूल्यवान वृक्षों के बाग अब केवल कागजों में ही बचे हैं। पलायन करके जाने वाले हिन्दुओं की सम्पत्ति तक घाटी में बेची जा चुकी है जबकि इस पर सरकारी पाबंदी थी। 1947 के दंगों के दौरान जो परिवार कश्मीर से पाकिस्तान चले गए थे, उनकी संपदा की रक्षा के लिए राज्य सरकार ने एक अलग विभाग गठित किया था जो आज लगभग 55 वर्षों के बाद भी कार्यरत है। पर कश्मीरी हिन्दुओं के लिए ऐसा कोई विभाग गठित नहीं किया गया। हालांकि राज्य सरकार कहती है कि उसने उपायुक्त को निर्देश दिए हुए हैं कि घाटी से गए हिन्दुओं की संपत्ति की सुरक्षा की जाए।9
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