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आतंकवाद, पाकिस्तानी कुचक्र और सीमा पर गोलीबारी के बावजूद

by
Aug 9, 2002, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 09 Aug 2002 00:00:00

जोश में हैं जम्मू-कश्मीर के मतदातादविशेष संवाददाताजम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा पैदा की गई विषम परिस्तियों के बावजूद विधानसभा चुनाव के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है। उग्रवादियों की धमकियों और पृथकतावादियों की ओर से चुनाव का बहिष्कार करने के आह्वान को सरकार ने जहां एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है, वहीं आम जनता में चुनाव को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। चुनाव के पहले चरण में राज्य के कुल 14 में से 6 जिलों में 16 सितम्बर को मतदान होगा।इनमें चार जिले-पुंछ, राजौरी, बारामूला तथा कुपवाड़ा आतंक से बुरी तरह प्रभावित हैं। सभी 6 जिले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बीच नियंत्रण रेखा के साथ लगते हैं,नेपाल के प्रधानमंत्री श्री शेर बहादुर देउबा से भेंट करते हुएभारत के विदेश मंत्री श्री यशवन्त सिन्हाकिन्तु सबसे ज्यादा घुसपैठ जम्मू संभाग के जिलों-राजौरी, पुंछ और कश्मीर घाटी के जिला कुपवाड़ा से हो रही है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, सीमा रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों की गतिविधियां बढ़ गई हैं, किन्तु भारतीय सैनिक शत्रु की चालों पर न केवल कड़ी निगाह रखे हुए हैं, अपितु शत्रु की गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब भी दे रहे हैं। जब से चुनाव की घोषणा हुई है, राज्य में आतंकवादियों की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं। केवल पुंछ, राजौरी में ही अगस्त के महीने में आतंकवादियों ने 40 से अधिक निर्दोष लोगों की हत्याएं कर दीं। इनमें राजौरी के गांव ददासनबाला में एक मुस्लिम परिवार के 8 लोग भी शामिल हैं। लद्दाख को संघशासित प्रदेश बनाने की मांग परसभी दल एक मंच परगत 25 अगस्त, 2002 को लद्दाख बौद्ध संघ के प्रयासों से एक अति महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों-कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस ने भाग लिया। एक अति महत्वपूर्ण फैसला करते हुए तीनों दलों ने लद्दाख क्षेत्र में अपने-अपने दलों की इकाइयों की गतिविधियां बंद करके संयुक्त रूप से एक क्षेत्रीय दल-लद्दाख संघ शासित क्षेत्र मोर्चा- का गठन किया। उल्लेखनीय है कि एक लम्बे समय से इस क्षेत्र को संघ शासित क्षेत्र बनाने की मांग की जाती रही है। मोर्चे द्वारा क्षेत्र के मुस्लिम संगठनों से भी इसमें शामिल होने की अपील की गई। लेह में सम्पन्न हुई इस बैठक में भाग लेने वालों में लद्दाख स्वायत्तशासी पर्वतीय विकास परिषद् के अध्यक्ष श्री थुप्स्तान छेवांग, पूर्व मंत्री श्री पिंटू नोरबू, नेशनल कांफ्रेंस के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्री त्सेरिंग नारबू लाम्पा, लेह भाजपाध्यक्ष श्री सोनम रिनछेन, सभी कार्यकारी पार्षद व राजनीतिक दलों के अनेक कार्यकर्ता थे।27 अगस्त को आगामी विधानसभा चुनावों में नुब्रा लेह विधानसभा क्षेत्रों से मोर्चे ने अपने उम्मीदवार घोषित किए। लेकिन नुब्रा विधानसभा क्षेत्र से मोर्चा के प्रत्याशी पिंटू नोरबू निर्विरोध चुन लिए गए। लेह से मोर्चे के उम्मीदवार के रूप में श्री नवांग रिग्जिन का नाम तय किया गया है। उम्मीदवारों का चयन एक चयन समिति द्वारा किया गया जिसमें गोम्पा समिति के अध्यक्ष श्री लोब्जांग आंग्चुक, श्री खांपो रिनपोछे, श्री थुप्स्तान छेवांग, श्री पिन्टू नोरबू और श्री त्सेरिंग सेम्पेल शामिल थे। द प्रतिनिधि किन्तु आतंकवादियों की हरकतों और धमकियों को यहां की जनता ने जीवन के एक अंग के रूप में स्वीकार कर इस चुनौती का सामना करने को वे तैयार हैं। चुनाव में भाग लेने वालों की बड़ी संख्या तथा चुनाव रैलियों में भारी भीड़ इसका ठोस सबूत है। केवल पुंछ, राजौरी की 7 विधानसभा सीटों के लिए 84 से अधिक लोगों ने अपने नामांकन पत्र भरे हैं, जिनमें लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के अतिरिक्त कई निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं।जम्मू-कश्मीर के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान की गतिविधियों के कारण विश्व के अनेक देशों की नजर इस पर हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने स्पष्ट कहा है कि जम्मू-कश्मीर संबंधी किसी भी प्रश्न के लिए भारत सरकार केवल चुने हुए प्रतिनिधियों से ही बात करेगी।अलगाववादी तत्व असमंजस में हैं। एक ओर उन पर पाकिस्तान का दबाव है तो दूसरी ओर वे भलीभांति समझते हैं कि लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया में शामिल होकर चुनाव जीतना उनके वश की बात नहीं है।इस चुनाव में भाग लेने वाले बड़े दलों के अपने अलग-अलग मुद्दे हैं। सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस फिर स्वायत्तता का राग अलाप रही है। नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं का कहना है कि श्री नेहरू से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी तथा श्री नरसिंह राव ने उन्हें स्वायत्तता का वचन दिया है, अत: इस वचन को पूरा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में 1953 से पहले की स्थिति बहाल होनी चाहिए।कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि नेशनल कांफ्रेंस अपनेपिछले छह साल के कार्यकाल में जनता से किया गया कोई भी वचन नहीं निभा पाई है, अब फिर स्वायत्तता का अर्थहीन राग अलापा जा रहा है, किन्तु लोग स्वायत्तता नहीं, अपनी समस्याओं का समाधान और शांति का जीवन चाहते हैं।भाजपा ने जम्मू के साथ नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस सरकारों के भेदभाव के अतिरिक्त आतंकवाद की समाप्ति को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल किया है।इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थन से एक नये दल का जन्म हुआ है, जिसका नाम जम्मू राज्य मोर्चा रखा गया है। अलग जम्मू राज्य मोर्चा की घोषणा के साथ गत 25 अगस्त को एक विशाल रैली का आयोजन किया जो अपने आकार की दृष्टि से ही बड़ी नहीं थी, अपितु इसमें भाग लेने वाली जनता के जोश भरे नारों से पता चल रहा था कि जम्मू के लोग कई वर्षों की भेदभावपूर्ण नीति से मुक्त होने के लिए कितने उत्सुक हैं। इस विशाल जनसभा में स्थानीय नेताओं के अतिरिक्त मुम्बई से आए पत्रकार पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन, पूर्व सी.बी.आई. निदेशक सरदार जोगिंदर सिंह तथा पंजाब भाजपा की नेता एवं पूर्व विधायक प्रो. लक्ष्मीकान्ता चावला भी उपस्थित थीं। जम्मू क्षेत्र के ही एक वरिष्ठ नागरिक तथा पंजाब पुलिस के सेवानिवृत महानिदेशक श्री पी.सी. डोगरा, मोर्चा के प्रधान श्री श्रीकुमार तथा अन्य कई प्रमुख राजनेता भी इस अवसर पर उपस्थित थे।19

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