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एक किशोर ने की आत्महत्या– प्रदीप कुमारतिरुअनंतपुरम के पास अमरविला में सी.एस.आई. चर्च के एल.एम.एस. उच्च माध्यमिक विद्यालय में एक छात्र द्वारा की गई आत्महत्या चर्च के विद्यालयों में हो रहे अमानवीय कृत्यों को उजागर करती है। इस विद्यालय में ग्यारहवीं कक्षा के 16 वर्षीय छात्र अरविंद एस. चंद्रन ने यातनाओं से तंग आकर 17 जनवरी,2001 को आत्महत्या कर ली थी। अरविंद ने दो माह तक भयंकर मानसिक यंत्रणा और दबाव झेला था।अरविंद का क्या दोष था कि उसे इस प्रकार प्रताड़ित होना पड़ा? वह एक होनहार और साहसी विद्यार्थी था। प्रबंधकों की नजर में इसलिए खटकता था, क्योंकि उसने बिना पैसा दिए दाखिला पा लिया। इस योग्य बालक को, जिसने साहित्य और खेल में अनेक पुरस्कार जीते थे, केवल इस कथित आरोप पर विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया कि उसने कक्षा में बिजली के बोर्ड को तोड़ा था! हालांकि उसने उस आरोप को गलत ठहराया था, पर फिर भी प्रबंधन ने एक माकपाई छुटभैये और दाखिला कराने वाले दलाल दत्तन के कहने पर अरविंद से एक माफीनामा लिखने को कहा। ढाई घंटे तक दत्तन ने अरविंद को मानसिक यंत्रणाएं दीं। उस किशोर को विद्यालय के सभी कक्षों को साफ करने और परिसर में लगे पेड़ों में पानी देने को कहा गया। अधिक यंत्रणा और दबाव से त्रस्त उस किशोर ने आत्महत्या कर ली। पता चला कि इस यंत्रणा से बचने के लिए अरविंद पर धर्म बदलने का भी दबाव डाला गया था।उल्लेखनीय है कि सी.एस.आई. चर्च का यह विद्यालय उस क्षेत्र में है, जहां हिन्दुओं का बड़े पैमाने पर मतान्तरण किया गया है। विद्यालय के चारों ओर 2 किमी. क्षेत्र में ईसाइयों की सघन आबादी है। विद्यालय में भी हिन्दू छात्रों से पूरी तरह भेदभाव बरता जाता है। उन्हें माथे पर तिलक नहीं लगाने दिया जाता। पूजा-उत्सवों पर हिन्दू छात्रों को गले में कंठी-माला नहीं पहनने दी जाती। आत्महत्या के पन्द्रह दिन पूर्व ही अरविंद के गले में पहनी हुई रुद्राक्ष की माला विद्यालय प्रशासन ने तोड़ दी थी।जैसे ही अरविंद की आत्महत्या की खबर फैली, नजदीक के विद्यालयों के छात्रों ने कक्षाओं से बाहर आकर एल.एम.एस. विद्यालय तक विरोध रैली निकाली। चर्च के भेजे असामाजिक तत्वों ने रैली को तहस-नहस करने का प्रयास किया, इसमें कई लोगों को चोटें भी आईं। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि जिन पुलिस अधिकारियों ने चर्च प्रशासन के विरुद्ध कार्रवाई की कोशिश की, उन्हें दत्तन के कहने पर 24 घंटे के भीतर बर्खास्त कर दिया गया।अरविंद की मृत्यु के बाद विद्यालय प्रशासन ने घर जाकर उसके अभिभावकों को सांत्वना देना तक उचित नहीं समझा। अरविंद के सहपाठियों व विद्यालय के अन्य छात्रों को उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने दिया गया।इस घटना को लेकर भाजपा के अलावा सभी राजनीतिक दल मूक हैं। अरविंद के पिता श्री सतीश चंद्रन, जो राज्य सरकार में अधिकारी हैं व मां श्रीमती विजयलक्ष्मी ने केरल राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष अपने पुत्र से हुए दुव्र्यवहार की शिकायत की है। केरल के अल्पसंख्यक समाज द्वारा चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों पर सरकारी लगाम नहीं है। राज्य सरकार ऐसे संस्थानों की संदिग्ध गतिविधियों से मुंह फेरे है।24
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