गंगा हमारी मां है, सिन्धु हमारी पहचान
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

गंगा हमारी मां है, सिन्धु हमारी पहचान

by
Nov 3, 2001, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 03 Nov 2001 00:00:00

और ब्राह्मपुत्र हमारा गौरव

-मुकुट मिथी,

मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश

ब्राह्मपुत्र दर्शन उत्सव की प्रेरणा हमें सिन्धु दर्शन अभियान से मिली। पिछले साल सिन्धु दर्शन अभियान में शामिल होने मैं लद्दाख गया था। जब सिन्धु का जल हाथ में लेकर पूजन किया गया और ब्राह्मपुत्र का जल, जो मैं अपने साथ लेकर गया था, सिन्धु में प्रभावित किया गया तो मन रोमांचित हो उठा। ब्राह्मपुत्र और सिन्धु दोनों ही हिमालय की गोद से निकले नद हैं। दोनों के जल का मिलन सिन्धु दर्शन यात्रियों के लिए एक रोमांचक क्षण था। सभी भाव-विभोर हो उठे थे। वही क्षण था जब ब्राह्मपुत्र दर्शन का विचार मन में आया। श्री तरुण विजय जी ने, जो सिन्धु दर्शन अभियान के संयोजक थे, इस विचार को पुष्टि प्रदान की। हमें आदरणीय आडवाणी जी का आशीर्वाद और श्री अनन्त कुमार जी का सराहनीय सहयोग भी मिला। इसी के फलस्वरूप ब्राह्मपुत्र दर्शन उत्सव का यह आयोजन संभव हो सका। यह पूरे उत्तर-पूर्व के लिए, विशेषकर अरुणाचलवासियों के लिए एक गौरवपूर्ण घटना है।

ब्राह्मपुत्र की विशालता उसकी विशिष्टता है। यह उतना ही विशाल और महान नद है जितनी कि भारतीय संस्कृति, वह संस्कृति जो हर एक मजहब को समान दृष्टि से देखती है, हर एक प्राणी में भगवान का दर्शन करती है, पेड़-पौधों को भी पूजती है।

ब्राह्मपुत्र को हम ब्राह्मा के पुत्र के रूप में जानते हैं। भौगोलिक एवं ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण इस क्षेत्र के निवासियों का संपर्क देश के अन्य भागों से टूट गया था। परन्तु यह क्षेत्र हमेशा से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। यहां से कुछ मील दूर लोहित नदी स्थित है। यह नदी भी ब्राह्मपुत्र की एक उप-नदी है। इसी का हिस्सा है पवित्र ब्राह्म कुण्ड और परशुराम कुण्ड। आज भी हर साल, चौदह जनवरी को मकर संक्राति के शुभ अवसर पर देश के अन्य प्रान्तों से लाखों की संख्या में भक्तजन यहां आते हैं और परशुराम कुण्ड के पावन जल में डुबकी लगाकर मोक्ष प्राप्ति की अपनी कामना पूरी करते हैं।

आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वृन्दावन बिहारी श्रीकृष्ण की पटरानी रुक्मिणी अरुणाचलवासी थीं। महाभारत काल से यहां के निवासियों का शेष देशवासियों से निकट सम्बंध रहा है। भगवान कृष्ण की पटरानी रुक्मिणी यहीं के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। भीष्मकनगर, जो यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित है, में राजा भीष्मक के किले का भग्नावशेष आज भी मौजूद है। एक अन्य दर्शनीय स्थान है मालिनी-थान मन्दिर। रुक्मिणी से विवाह करके लौटते समय श्रीकृष्ण ने वहीं विश्राम किया था। इसी स्थान पर भगवान शंकर और पार्वती ने नव-दम्पत्ति को आशीर्वाद दिया था। पार्वती जी ने उन्हें फूलों की माला दी थी और श्री कृष्ण ने खुश होकर पार्वती को नाम दिया मालिनी। तभी से इस स्थान को मालिनीथान के नाम से जाना जाता है।

बौद्ध मत के प्रभाव से भी अरुणाचल प्रदेश अछूता नहीं रहा। लाजेला गोंपा, पश्चिमी कामेंग में तेरह सौ (1300) वर्ष पुराना और तवांग में चार सौ (400) वर्ष पुराना, बुद्ध मन्दिर इस बात के गवाह हैं। यहां के गोंपा, बुद्ध मन्दिरों के क्षेत्र लद्दाख से हमारा भावनात्मक सम्बंध जोड़ते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मानसरोवर, सिन्धु और ब्राह्मपुत्र को जोड़ता है।

यह क्षेत्र जो अब अरुणाचल प्रदेश कहलाता है, वैष्णव धर्म के प्रभाव से भी अछूता नहीं रहा है। तिरप जिले के कुछ लोग आज भी वैष्णव हैं। यहां विभिन्न देवी-देवताओं के मन्दिर तथा टूटे हुए अवशेष आज भी मौजूद हैं। पुरातत्व विशेषज्ञों का यह मानना है कि 15वीं सदी में गुरुनानक जी इस क्षेत्र में आए थे। उनके पदचिन्ह मेचुका में संजोकर रखे गए हैं।

भरेली नदी के किनारे बसा भालुकपोंक अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित है। यहां पर राजा बणासुर के नाती भालुका तथा उनके वंशज निवास करते थे। शायद भालुकपोंग भालुका के नाम से जाना जाता है। यहां कुछ भग्नावेश मिले हैं जिनको पुरातत्व विशेषज्ञ पाल काल के बताते हैं।

देश के लोगों को अरुणाचल प्रदेश के बारे में कम जानकारी है। शेष भारत से अधिक से अधिक लोगों को अरुणाचल आने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जब अरुणाचल में कन्याकुमारी, द्वारका, जोधपुर, लद्दाख, श्रीनगर, अमृतसर जैसी जगहों से लोग काफी संख्या में आयेंगे तो सिर्फ अरुणाचल वासियों का एकाकीपन ही दूर नहीं होगा बल्कि उनके आने से भारतीयता का एक अद्भुत संगम प्रकट होगा।

इस पावन तट पर हम सब यही संकल्प लेते हैं कि हमारे मन में कभी अलगाव का भाव नहीं जागे, उसी प्रेम से हम भारत की मुख्यधारा के अंग बने रहें जैसे ब्राह्मपुत्र अपनी अनेकों उप-धाराओं को अपने में समेट अविरल गति से बहती रहती है। द

ब्राह्मपुत्र दर्शन के अवसर पर

श्री मुकुट मिथी

(मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश)

के अभिभाषण के अंश

(दिबांग तट, 24 फरवरी, 2001)

30

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

समोसा, पकौड़े और जलेबी सेहत के लिए हानिकारक

समोसा, पकौड़े, जलेबी सेहत के लिए हानिकारक, लिखी जाएगी सिगरेट-तम्बाकू जैसी चेतावनी

निमिषा प्रिया

निमिषा प्रिया की फांसी टालने का भारत सरकार ने यमन से किया आग्रह

bullet trtain

अब मुंबई से अहमदाबाद के बीच नहीं चलेगी बुलेट ट्रेन? पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आया सच

तिलक, कलावा और झूठी पहचान! : ‘शिव’ बनकर ‘नावेद’ ने किया यौन शोषण, ब्लैकमेल कर मुसलमान बनाना चाहता था आरोपी

श्रावस्ती में भी छांगुर नेटवर्क! झाड़-फूंक से सिराजुद्दीन ने बनाया साम्राज्य, मदरसा बना अड्डा- कहां गईं 300 छात्राएं..?

लोकतंत्र की डफली, अराजकता का राग

उत्तराखंड में पकड़े गए फर्जी साधु

Operation Kalanemi: ऑपरेशन कालनेमि सिर्फ उत्तराखंड तक ही क्‍यों, छद्म वेषधारी कहीं भी हों पकड़े जाने चाहिए

अशोक गजपति गोवा और अशीम घोष हरियाणा के नये राज्यपाल नियुक्त, कविंदर बने लद्दाख के उपराज्यपाल 

वाराणसी: सभी सार्वजनिक वाहनों पर ड्राइवर को लिखना होगा अपना नाम और मोबाइल नंबर

Sawan 2025: इस बार सावन कितने दिनों का? 30 या 31 नहीं बल्कि 29 दिनों का है , जानिए क्या है वजह

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies