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संतों का आह्वान-सनातन धर्म का अहित स्वीकार्य नहींगत 15,16 एवं 17 मई को रायपुर स्थित श्री दूधाधारी मठ में प्रांतीय संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन धर्म जागरण विभाग एवं वि·श्व हिन्दू परिषद्, छत्तीसगढ़ प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। संत- सम्मेलन का उद्घाटन श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, रायपुर के महंत श्री गौतमानंद जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि थे वि·श्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मंत्री श्री रामनाथ सुमन।तीन दिन तक चले इस संत सम्मेलन में संतों ने न केवल छत्तीसगढ़ में, बल्कि सम्पूर्ण भारत में गोहत्या और पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण पर तुरंत रोक लगाने की मांग की। उन्होंने विश्व में सर्वश्रेष्ठ सनातन हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा करने का आह्वान किया। सम्मेलन में कहा गया कि हमारे देश में कमजोर पड़ती आध्यात्मिक शक्ति के कारण हमारे ही भाई हमारे समाज से टूटकर मतान्तरित हो रहे हैं। मतान्तरण के कारण देश के टूटने का संकट उत्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर देश, समाज और भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए संतों ने दधीचि की तरह अपनी अस्थियां अर्पित करने का संकल्प लिया। संतों का कहना था कि सुदूर दुर्गम वनों में निवास करने वाले वनवासी बंधुओं तक पहुंचकर ऊंच-नीच, छुआछूत रूपी खाई को पाटने का दायित्व आज समय की मांग है। संतों ने कहा कि गाय हमारे समाज की अर्थव्यवस्था को संतुलित करने में सक्षम है, इसलिए गोहत्या पूर्ण रूप से बंद होनी चाहिए। विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने चेताया कि छत्तीसगढ़ प्रांत में ईसाईकरण को सरकारी तथा गैरसरकारी संरक्षण प्राप्त हो रहा है।संत सम्मेलन में मंच पर हैं (बाएं से)-महामंडले·श्वर श्री वासुदेवानंद सरस्वती, महंत श्री रामसुन्दर दास जी महाराज, महंत श्री रामभूषण दास जी, स्वामी अभयानंद जी, श्री गौतमानंद जी व श्री हंसराज जी महाराजसंत सम्मेलन में छत्तीसगढ़ प्रांत के 9 जिलों से लगभग 100 संत उपस्थित हुए, जिनमें त्यागी, वैरागी, संन्यासी, सिख, कबीरपंथी आदि विभिन्न मतावलंबी सनातनधर्मी हिन्दू संत थे।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छत्तीसगढ़ प्रांत के प्रांत संघचालक श्री पंढ़रीराव कृदत्त ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।सम्मेलन को प्रमुख रूप से रा.स्व. संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह श्री श्रीगोपाल व्यास, श्री रामनाथ सुमन, श्री गौतमानंद जी महाराज, राजेश्री महंत, श्री रामसुन्दर दास जी महाराज, श्री अगोचरानंद जी महाराज, श्री विद्यानंद जी महाराज, संत महादेवानंद जी त्यागी, श्री सियाराम दास जी महाराज, श्री रामजानकी दास जी प्रागी महाराज, श्री बालकदास जी महाराज, 1008 श्री शुकदेवानंद जी महाराज आदि ने संबोधित किया। समापन सत्र में वि·श्व हिन्दू परिषद् एवं धर्म जागरण विभाग के पदाधिकारियों ने सभी संतों को भगवा अंगवस्त्र एवं श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया।मंच संचालन डा. लक्ष्मण प्रसाद मिश्र ने किया तथा छत्तीसगढ़ प्रांत के धर्म जागरण विभाग प्रमुख श्री शिवलाल ने आभार प्रदर्शन किया।– हेमंत उपासने31
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