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आरोग्य चर्चा

by
Oct 6, 2001, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 06 Oct 2001 00:00:00

सशक्त उदर के लिए

कैसे करें व्यायाम

— डा. हर्षवर्धन

पिछली बार हमने स्वस्थ एवं शक्तिशाली उदर की उपयोगिता के बारे में चर्चा प्रारम्भ की थी। यदि पेट स्वस्थ है और उसकी मांसपेशियां मजबूत हैं तो हम यह मान सकते हैं कि शरीर की नींव मजबूत है। साधारणतया विभिन्न प्रकार के व्यायाम, खेलकूद और विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से शरीर के अधिकांश अंगों से जुड़ी मांसपेशियों की कसरत होती रहती है, लेकिन परिश्रम का सीधे-सीधे ऐसा कोई कार्य नहीं है जिससे उदर की सभी मांसपेशियों पर जोर पड़ सके। अधिकांश लोगों के उदर का उतना विकास नहीं हो पाता जितना कि शरीर के शेष भाग का। साधारणत: वे लोग भी जो शरीर निर्माण को गंभीरता से लेते हैं, वे भी उदर और पीठ को भूल जाते हैं और इस कारण अपने शरीर का सर्वांगीण विकास नहीं कर पाते। उदर की मांसपेशियों को मजबूत होना ही चाहिए, क्योंकि ये दूसरी मांसपेशियों के कार्य में सहायता करती हैं। उदर की मांसपेशियों का प्रधान कार्य आमाशय, आंतों एवं वस्तिप्रदेश के अव्ययों को अपने निश्चित स्थान पर सुरक्षित रखना है। यही मांसपेशियां जब कमजोर होती हैं तो आमाशय और आंतों में पड़े भोजन के बोझ के कारण बाहर की ओर लटक जाती हैं। आमाशय और आंतों के लटक जाने के कारण भोजन के आमाशय से छोटी आंत, छोटी आंत से बड़ी आंत और बड़ी आंत से बाहर निकलने के रास्ते में रुकावट पैदा होती है। लटके हुए अव्ययों के दबाव से नाड़ी मंडल और रक्त संचालन में विघ्न उत्पन्न हो जाता है और आगे चलकर हर्निया (आंतों का बाहर आना) आदि बीमारियों की उत्पत्ति होती है। ये बीमारियां इस बात की सूचक हैं कि हम उदर की मांसपेशियों की घोर उपेक्षा करते हैं। उदर की मांसपेशियां बहुत ही व्यवस्थित ढंग से शरीर में सजी हुई हैं और ये उदर के प्रत्येक भाग को पूरा-पूरा सहारा देती हैं तथा उदर को पूर्ण विकसित अंग का रूप देती हैं। पूर्ण विकसित मांसपेशियों वाला उदर पौरुषता की झलक देता है तथा यही मांसपेशियां स्त्री के उदर को सुन्दर एवं आकर्षक बनाती हैं। उदर की मांसपेशियों की स्थिति विभिन्न प्रकार की होने के कारण यह जरूरी है कि प्रत्येक मांसपेशी में हरकत पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम किए जाएं। उठने और बैठने वाले व्यायाम कुछ ही मांसपेशियों में हरकत पैदा कर पाते हैं। दूसरी मांसपेशियों पर कम ही प्रभाव पड़ता है। यदि केवल उठने और बैठने वाले व्यायाम ही किए जाएं तो उदर उतना सुडौल और मजबूत नहीं हो पाएगा जितना कि होना चाहिए। उदर के पूर्ण निर्माण के लिए पीठ की मांसपेशियों, रीढ़ और पैर के बीच की मांसपेशियों पर पूर्ण ध्यान देना होगा। वास्तव में शरीर के किसी एक अंग को सुन्दर एवं मजबूत बनाने के लिए शरीर के सभी अंगों पर ध्यान देना जरूरी है। पेट को सुन्दर एवं सुडौल बनाने के लिए कुछ व्यायाम इस प्रकार हैं-

पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को सर के पीछे बांध लें। पैरों को जमीन से लगा रहने दें और सीधे रखें। केवल ऊपरी हिस्से को उठाएं। वापस पहली अवस्था में आ जाएं। थोड़े आराम के बाद इस प्रकार दस-पन्द्रह बार करें। इस व्यायाम में जानने योग्य बात यह है कि शरीर का अग्र भाग उठाते समय उसकी मांसपेशियों पर अधिक जोर डालने में हाथ की स्थिति का बहुत सहयोग रहता है। शरीर का अग्र भाग उठाने के लिए हाथों को ऊपर सीधे तान कर रखें और साथ-साथ हाथों को सामने की ओर ले जाएं। दूसरा तरीका यह है कि यह व्यायाम हाथों को उदर या नितम्ब पर रखकर किया जाए। जब शरीर अधिक शक्तिशाली हो जाए तो दोनों हाथों को सीने पर बांध कर यह व्यायाम करें और यह तरीका आसान हो जाने पर दोनों हाथों को सर के पीछे बांधकर किया करें। धड़ को उस समय उठाना बहुत कठिन हो जाता है जब हाथों को सर के पीछे बांध कर रखा जाता है। इसी व्यायाम की अगली अवस्था में धड़ को धीरे-धीरे उठाएं और दोनों कुहनियों को घुटने पर टेक दें, फिर वापस पहली अवस्था में आ जाएं। इस प्रकार दस-पन्द्रह बार करें। तीसरा, पीठ के बल लेट जाएं, हाथों को सीधा जमीन पर रखें। पैरों को जमीन पर रखें। अंगूठों को तान कर रखें। दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाएं और धीरे-धीरे पीछे ले जाकर पैर के अंगूठों को जमीन से छुआ दें। वापस पहली अवस्था में आ जाएं। थोड़ा आराम करते हुए दस-पन्द्रह बार यह व्यायाम करें। चौथे व्यायाम में पैर फैलाकर बैठें। हाथ को कमर पर रखें। ऊपरी धड़ को बायीं ओर फिर दाहिनी ओर मोड़ें। अगला व्यायाम अधिक से अधिक पीछे झुककर धड़ को दाएं घुमाकर पहली अवस्था में आ जाएं। इस प्रकार दस से पन्द्रह बार करें। फिर आगे, पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को पीछे ले जाकर सीधा जमीन पर रखें। पैरों को सीधा रखें। हाथों, धड़ और पैरों को क्रमश: उठाएं। हाथों और पैरों को जरा भी मोड़ें नहीं। हाथों की अंगुलियों से पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करें और पहली अवस्था में आ जाएं। आराम करने के बाद दस से पन्द्रह बार ऐसा करें।

जब आप ये सभी व्यायाम एक समतल स्थान पर आसानी से करने लग जाएं तो इन व्यायामों को, अधिक कठिन बनाने के लिए एक ढाल वाले तख्त पर, जिसका सिरा पैर की ओर से एक फुट ऊंचा हो, करने लग जाएं। आरम्भ में सर की निचाई छह इंच भी रखी जा सकती है। बहुत कम ऐसे खेलकूद हैं जो उदर की मांसपेशियों के लिए विशेष उपयोगी हों, इसलिए खेलने वालों को भी उदर की मांसपेशियों के लिए विशेष व्यायाम करने चाहिए। तैरना, कुश्ती लड़ना, नाव चलाने और कूदने से भी उदर की मांसपेशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

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हमारे विशेषज्ञ

1. डा. हर्षवर्धन, (एम.बी.बी.एस., एम.एस.) नाक, कान एवं गले के देश के सुप्रसिद्ध चिकित्सक हैं। वह दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। सम्प्रति वि·श्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण एशिया के सलाहकार हैं।

2. डा. इन्द्रनील बसु राय, (एम.बी.बी.एस., एम.डी.) कलकत्ता के सुप्रसिद्ध ह्मदय रोग विशेषज्ञ हैं।

3. डा. योगेन्द्र सिंह, (आयुर्वेदाचार्य) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली कार्यालय स्थित केशव चिकित्सालय एवं वि·श्व हिन्दू परिषद् के मुख्यालय रामकृष्णपुरम्, नई दिल्ली स्थित चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधिकारी हैं। रोग का विवरण, अपना नाम एवं पता साफ-साफ अक्षरों में लिखें। उत्तर पाने के लिए आवश्यक है कि बगल में लिखा गया पता लिफाफे पर चिपकाया जाए। पाठकों से अनुरोध है कि समस्या के साथ बैरंग डाक टिकट, पता लिखा लिफाफा/पोस्टकार्ड आदि न भेजें और न ही व्यक्तिगत रूप से उत्तर दिए जाने का आग्रह करें, ऐसा कर पाना संभव नहीं है। पाठकगण अपनी समस्याएं इस पते पर भेज सकते हैं।

आरोग्य चर्चा

द्वारा सम्पादक,

पाञ्चजन्य

संस्कृति भवन, झण्डेवाला

देशबन्धु गुप्ता मार्ग,

नई दिल्ली-110055

12

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