दिशादर्शन
Saturday, March 25, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम Archive

दिशादर्शन

Archive Manager by
Oct 6, 2001, 12:00 am IST
in Archive
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

दिंनाक: 06 Oct 2001 00:00:00

चर्चा करें, पर जनभावनाओं का ध्यान रखें!

— मा.गो. वैद्य

जम्मू-कश्मीर में संघर्षविराम की स्थिति जारी न रखने के भारत सरकार के निर्णय का सभी राष्ट्रवादी विचारधारा के लोगों द्वारा स्वागत ही होगा।

संघर्षविराम का पहले लिया निर्णय गलत था, यह कहना उचित नहीं होगा। सरकार को कई प्रायोगिक निर्णय लेने पड़ते हैं और उनके अच्छे-बुरे परिणामों की जांच के बाद अपने निर्णयों में परिवर्तन भी करना पड़ता है। लड़ाई, मारपीट, हिंसाचार अथवा शक्ति प्रयोग से किसी समस्या का हल नहीं होता, इसीलिए अंतत: चर्चा-वार्ता के मार्ग का अवलंबन करना पड़ता है। हिजबुल मुजाहिद्दीन नामक आतंकवादी संगठन ने जब स्वयं हिंसक गतिविधियां स्थगित कर शांति-प्रयासों का प्रस्ताव किया था, तब उसकी प्रामाणिकता के सम्बंध में शक होते हुए भी उसका स्वागत किया गया था। किन्तु अन्य आतंकवादी संगठनों को यह बात पसंद नहीं आई और पवित्र अमरनाथ यात्रा पर गए भारतीयों की निर्मम हत्या की गई।

संघर्षविराम जब एक-एक महीना करके दो बार बढ़ाया गया, तब हुर्रियत कान्फ्रेंस ने थोड़ी हलचल दिखाई। पर हुर्रियत 23 छोटे-बड़े गुटों का एक पिटारा है, जिसमें स्वतंत्र कश्मीर की मांग करने वाले गुट भी हैं। पाकिस्तान स्थित विचारकों और आश्रयदाताओं की मर्जी पर चलने वाले इस संगठन ने जब अपने आकाओं से मिलने के लिए पाकिस्तान जाने की मांग की तो सरकार को उसे पूर्णत: ठुकरा देना चाहिए था। पर अपने दल का चयन न कर पाने के कारण हुर्रियत भी कोई निर्णय नहीं कर पाई और उसके उद्देश्यों के प्रति शंकित होने के कारण भारत सरकार ने भी अनुमति देने का मामला लटका दिया।

संघर्षविराम का परिणाम

इस दौरान तीन महीने निकल गए, जो शांति प्रयासों के लिए एक लम्बा समय था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा ने मार्च महीने में दिल्ली में हुई बैठक में इसी मत का प्रतिपादन किया था। चर्चा भी थी कि सरकार में संघर्ष विराम को और आगे बढ़ाने के प्रश्न पर कुछ मतभेद था। पर इसको बढ़ाने के पक्षधरों ने अपनी बातें मनवाने के लिए सर्वपक्षीय सलाह की पेशकश की और पूरे तीन महीनों के लिए अवधि बढ़ा दी गई। इस तरह संघर्षविराम के छह महीनों में कश्मीर के शांतिप्रिय लोगों को कुछ दिलासा मिली, पर आततायी प्रवृत्ति और आतंकवादियों ने अपनी करतूतों में कोई ढील नहीं दी। स्वतंत्र कश्मीर के पक्षधर शब्बीर शाह ने शांतिवार्ता के लिए कुछ प्रयास किए और जनता को मत प्रकट करने का अवसर देने के लिए भारत सरकार ने श्री कृष्णचन्द्र पंत की नियुक्ति की। श्री पंत कुछ लोगों से मिले, पर किसी भी आतंकवादी गुट का कोई व्यक्ति उनसे नहीं मिला।

संघर्षविराम की घोषणा का भारत-पाकिस्तान सीमा पर कुछ परिणाम अवश्य दिखा है। सीमा पार से गोलाबारी कम हो गई है। लेकिन यदि कोई यह समझे कि पाकिस्तान ने शांति में वि·श्वास जताने के लिए गोलाबारी बंद की है तो वह सर्वथा गलत होगा। कुछ लोग शांति प्रयासों को दुर्बलता का चिन्ह मानते हैं। बंगलादेश रायफल्स द्वारा भारतीय सैनिकों की नृशंस हत्या पर अपमान का घूंट पीने के कारण उन्होंने भारत को और दुर्बल समझा। अत: संघर्षविराम की स्थिति समाप्त कर भारत ने ठीक ही किया। अब सुरक्षा बलों को अपनी कार्रवाई में अड़चन नहीं आएगी। आतंकवादियों का सफाया करने में हमारी सुरक्षा सेनाएं सक्षम हैं। इससे यह संकेत भी मिलता है कि हमारी सुरक्षा सेनाएं आतंकवादियों की कमर तोड़ने में सक्षम हैं और यदि अवसर मिले तो इस आतंकवाद को समाप्त करने में देर नहीं लगेगी।

पाकिस्तान को निमंत्रण

संघर्षविराम समाप्त करने के निर्णय के साथ भारत ने पाकिस्तान के सैनिक शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को चर्चा के लिए निमंत्रण भी दे दिया है। वास्तव में भारत की पूर्व भूमिका, कि जब तक पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को शह देना बंद नहीं करता तब तक उसके साथ चर्चा नहीं की जाएगी, में बदलाव आया है।

भारत और पाकिस्तान शिमला समझौते से बंधे हुए हैं और सभी समस्याओं के लिए आपसी चर्चा द्वारा हल ढूंढने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अत: पाकिस्तान से चर्चा तो करनी ही पड़ेगी। पाकिस्तान भी चर्चा के लिए तैयार है और मुशर्रफ ने भी प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी के निमंत्रण को स्वीकार कर चर्चा के लिए भारत आने पर सहमति व्यक्त की है।

चर्चा की मर्यादा

चर्चा तो हो, पर किन विषयों पर? इस बारे में कोई संभ्रम नहीं होना चाहिए। कश्मीर भारत का आन्तरिक मामला है, वहां किस प्रकार की शासकीय रचना हो, इस बारे में पाकिस्तान का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। कश्मीर घाटी में रहने वाले लोगों के अतिरिक्त हिजबुल मुजाहिद्दीन, हुर्रियत कांफ्रेंस, नेशनल कान्फ्रेंस आदि से चर्चा में कोई समस्या नहीं है। धारा 370 का प्रश्न, 1953 के पूर्व की स्थिति की बहाली जैसी मांगें हैं ही। पर पाकिस्तान में पूर्ण विलयीकरण अथवा पूर्ण स्वतंत्रता जैसी अलगाववादी मांगें सरकार बिल्कुल मान्य नहीं करेगी, यह वि·श्वास व्यक्त किया जा सकता है। संविधान के दायरे में, प्रदेश की राजकीय व्यवस्था पर कोई भी सरकार वहीं के लोगों के साथ चर्चा कर सकती है। पर कश्मीर घाटी के अलावा, जम्मू और लद्दाख भी इसी क्षेत्र में हैं, जिन्हें न तो किसी विशेष दर्जे की चाह है, न धारा 370 के संरक्षण की। लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश बनना चाहता है और जम्मू को भारत के एक राज्य जैसी स्थिति चाहिए। इनकी मांगें मंजूर करने का अर्थ इस प्रदेश का साम्प्रदायिक आधार पर विभाजन होगा, ऐसा शोर मचाने वालों की नासमझी पर दया दिखाने से ज्यादा और कुछ नहीं किया जा सकता। तात्पर्य यह है कि कश्मीर पर चर्चा करते समय, वार्ता का केन्द्र केवल कश्मीर घाटी ही होना चाहिए। कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने वालों को जम्मू और लद्दाख के विषय में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान से चर्चा के विषय अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप के ही होने चाहिए। 1947 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में कर लिया। उस समय पं. नेहरू ने युद्ध विराम करके और इस प्रश्न को राष्ट्र संघ में ले जाकर जो अड़चनें पैदा कर दीं, उसका परिणाम आज भी भुगतना पड़ रहा है। अत: चर्चा पाकिस्तान द्वारा हड़पी गई भूमि के प्रश्न तक सीमित होनी चाहिए। अब तो अमरीका ने भी इस विषय में मध्यस्थ न बनने का विचार प्रकट कर दिया है। भारत सरकार जनता की भावनाओं को नहीं भूलेगी, यही वि·श्वास है।

5

ShareTweetSendShareSend
Previous News

श्रद्धाञ्जलि

Next News

त्राहि माम्, हे धरित्री, त्राहि माम्!

संबंधित समाचार

खालिस्तान घोषणा की पूरी तैयारी में था अमृतपाल, झंडा, करेंसी, सेना और क्लोज आर्मी सब थे तैयार

खालिस्तान घोषणा की पूरी तैयारी में था अमृतपाल, झंडा, करेंसी, सेना और क्लोज आर्मी सब थे तैयार

‘ध्यान रहे, जम्मू—कश्मीर भारत का अभिन्न अंग’, चीन—पाकिस्तान को भारत की दो टूक

खालिस्तानी तत्वों पर सुरक्षा का आश्वासन नहीं, कारगर कार्रवाई चाहता है भारत: विदेश मंत्रालय

बंजर जमीन में बागवानी

बंजर जमीन में बागवानी

गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग का बेटा देश के सर्वोच्च पद पर जाए कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रहा : योगी

गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग का बेटा देश के सर्वोच्च पद पर जाए कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रहा : योगी

दिल्ली: टेंट और पोर्टा केबिन में चल रहा सरकारी स्कूल, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, दिल्ली सरकार को नोटिस

राहुल गांधी ने दुष्कर्म पीड़िता के परिवार की फोटो की थी ट्वीट, याचिका पर हाई कोर्ट ने NCPCR से मांगा जवाब

वाराणसी में बनेगा रोप वे, विकास के हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है यूपी : पीएम मोदी

वाराणसी में बनेगा रोप वे, विकास के हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है यूपी : पीएम मोदी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

खालिस्तान घोषणा की पूरी तैयारी में था अमृतपाल, झंडा, करेंसी, सेना और क्लोज आर्मी सब थे तैयार

खालिस्तान घोषणा की पूरी तैयारी में था अमृतपाल, झंडा, करेंसी, सेना और क्लोज आर्मी सब थे तैयार

‘ध्यान रहे, जम्मू—कश्मीर भारत का अभिन्न अंग’, चीन—पाकिस्तान को भारत की दो टूक

खालिस्तानी तत्वों पर सुरक्षा का आश्वासन नहीं, कारगर कार्रवाई चाहता है भारत: विदेश मंत्रालय

बंजर जमीन में बागवानी

बंजर जमीन में बागवानी

गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग का बेटा देश के सर्वोच्च पद पर जाए कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रहा : योगी

गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग का बेटा देश के सर्वोच्च पद पर जाए कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं हो रहा : योगी

दिल्ली: टेंट और पोर्टा केबिन में चल रहा सरकारी स्कूल, हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, दिल्ली सरकार को नोटिस

राहुल गांधी ने दुष्कर्म पीड़िता के परिवार की फोटो की थी ट्वीट, याचिका पर हाई कोर्ट ने NCPCR से मांगा जवाब

वाराणसी में बनेगा रोप वे, विकास के हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है यूपी : पीएम मोदी

वाराणसी में बनेगा रोप वे, विकास के हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है यूपी : पीएम मोदी

Rahul Gandhi Disqualified : 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे राहुल गांधी ? अब ये बचा है अंतिम विकल्प

Rahul Gandhi Disqualified : 2024 और 2029 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे राहुल गांधी ? अब ये बचा है अंतिम विकल्प

लंदन में उपद्रव करने वाले ‘खालिस्तानियों’ पर बड़ी कार्रवाई, दिल्ली पुलिस ने लगाया UAPA एक्ट

लंदन में उपद्रव करने वाले ‘खालिस्तानियों’ पर बड़ी कार्रवाई, दिल्ली पुलिस ने लगाया UAPA एक्ट

जीवन में सुगंध

जीवन में सुगंध

बिहार के सारण में जहरीली शराब से 42 नहीं, 77 लोगों की हुई थी मौत, बिना पोस्टमार्टम के जलाए गए शव : एनएचआरसी

बिहार के सारण में जहरीली शराब से 42 नहीं, 77 लोगों की हुई थी मौत, बिना पोस्टमार्टम के जलाए गए शव : एनएचआरसी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies