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जागरूक नहीं हैं हम-सुनील भार्गव(विश्व व्यापार संगठन से संबंधित व्यापार कानून समिति के अध्यक्ष,सदस्य, केन्द्रीय परिषद्, द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउन्टेंट्स आफ इंडिया)सामान्यत: विकासशील देशों में वि·श्व व्यापार से सम्बद्ध विषयों के बारे में जागरूकता का घोर अभाव है। साथ ही देश में व्यापार नियमों से सम्बंधित व्यावहारिक शिक्षा नहीं के बराबर है। इसलिए बहुत सोच विचारकर भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के तत्वावधान में व्यापार नियम तथा विश्व व्यापार संगठन से सम्बद्ध इस समिति का गठन गत फरवरी, 2001 में किया गया।समिति द्वारा इस सम्बंध में जागरूकता अभियान भी चलाया गया था जिसका उद्देश्य वि·श्व व्यापार के सम्बंध में जागरूकता लाना था। इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा वि·श्व व्यापार संगठन विषय पर एक वर्षीय परास्नातक तथा विशिष्ट पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं, ताकि इस विषय पर व्यापक अंतरराष्ट्रीय समझ उत्पन्न हो सके। इस सम्मेलन ने भारत को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है।मेरे विचार से वि·श्व व्यापार से जुड़ी समस्याएं न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक व सांस्कृतिक समस्याएं भी हैं। इस सम्मेलन में भारत सहित 11 देशों के लगभग 428 लोगों ने भाग लिया। इन देशों में नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, भारत, ग्रीस, बेल्जियम, हालैण्ड, बंगलादेश, इटली आदि शामिल थे, जिन्होंने इस सम्मेलन में अपना सक्रिय सहयोग दिया तथा विश्व व्यापार संगठन के तहत विकासशील देशों की चिन्ताओं पर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन भी किया। हमें तीन देशों पाकिस्तान, नेपाल तथा श्रीलंका से इस प्रकार का सम्मेलन उक्त देशों में आयोजित करने के प्रस्ताव मिले हैं। यह वास्तव में उत्साहवद्र्धक है लेकिन हमने इन देशों से अपना राष्ट्रीय मंच स्वयं उत्पन्न करने के प्रयास करने को कहा है।हमारी कोशिश है कि भारत सहित सभी विकासशील देश राष्ट्रहित के लिए एकजुट हों। वि·श्व व्यापार नियम तथा समझौतों के संदर्भ में विशेषज्ञ तैयार किए जाएं, इस सम्बंध में अपना उत्कृष्ट योगदान देने के लिए एक जागृति अभियान चलाएं तथा विकासशील देशों की सम्बंधित क्षेत्र में वास्तविक समस्याओं व चिन्ताओं की पहचान का प्रयास हो।इस सम्मेलन ने दोहा वार्ता में भारत सरकार के रुख को अधिक स्पष्ट व व्यवस्थित रूप में वि·श्व व्यापार संगठन तथा विकसित देशों के समक्ष रखा है। यह नि:संदेह इस सम्मेलन की उपलब्धि है।(बातचीत के आधार पर)24
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