दिल्ली पाञ्चजन्य की हीरक जयंती : पत्रकारिता की तीसरी आंख खुलने पर नए समाज का होता है सृजन – राजनाथ सिंह
भारत इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई पाञ्चजन्य की फिल्म, दर्शकों ने महसूस किया “विभाजन की विभीषिका” का दर्द