‘पाञ्चजन्य’ का ‘साबरमती संवाद’ कार्यक्रम आज गुजरात में अहमदाबाद स्थित उद्यमिता विकास संस्थान में हो रहा है। इसके दूसरे चरण में प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी और सामाजिक कार्यकर्ता द्रुमि भट्ट शामिल हुईं। इस दौरान प्रख्यात लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि गुजरात सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से उतना ही जुड़ा है जितना पूर्वज थे। बापू से लेकर, सरदार पटेल से लेकर मोदी जी तक सामाजिक तानाबाना विश्व को दिखाया है। पहला सफल मॉडल कोऑपरेटिव का था। 1964 में लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे, कुरियन जी कहते हैं कि आप आएं हैं तो स्वयं प्लांट का निरीक्षण करें। मैं एक किसान के गांव में समय व्यतीत करना चाहता हूं। वह जब खेड़ा आते हैं तो उस समय उन्होंने देखा कि कोई कहीं से दूध ला रहा, सब मिलकर पी रहे हैं। कोई किसी से कुछ नहीं पूछ रहा था। सामाजिक समरसता था। अमूल के रूप में बड़ा मॉडल हमारे सामने है।
मालिनी अवस्थी ने कहा कि भारत, अमेरिका की अब अनिवार्यता है। भारत ने दम खम के साथ अपनी जगह बनाई है। तीन दिन पहले इस तरह की घटना हुई जो पूरे विश्व में असर होगा। बिना देर किए प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया, उन्होंने इजरायल को समर्थन दिया। मुझे बतौर कलाकार वही बुलाएगा जो अपने संस्कार से जुड़ेगा। मुझे वही बुलाएगा जो परंपरा से जुड़ा है। मेरी यात्राएं प्राइवेट हैं। आप सोच सकते हैं कि अपने देश पर अभिमान करना पूरे वैश्विक संदर्भ में दिखता है।
मालिनी अवस्थी ने कहा कि 1558 की बात है अकबर के दरबार में तानसेन के बारे में प्रचलित था कि वे दीपक राग गाते थे दीपक जल जाते थे। अकबर ने अनुरोध किया। तानसेन ने राग शुरू किया। दीपक जलते हैं, आग लगती है, तानसेन स्वयं झुलस जाते हैं। नरसी मेहता के परिवार में दो बेटियां हैं। ताना और रीरी। मल्हार गाकर वर्षा कर सकती हैं। दोनों बहने मल्हार गाती हैं और तानसेन को राहत मिलती है। अकबर ने बुलाया तो लड़कियों ने जाने से मना कर देती हैं। अकबर सेना भेजती है, लेकिन उससे पहले दोनों बेटियां जलसमाधि ले लेती हैं। ताना रीरी की आज भी पूजा होती है। नरेंद्र मोदी ने 2010 में तानारेरी में भव्य मंदिर का निर्माण करते हैं। अपनी कहानी हम विश्व को बताएंगे, ये गुजरात है। गरबा शक्ति का उत्सव है। तीन तालियों से जो आवाज निकलती है, वह ब्रह्मा विष्णु महेश का प्रतीक है। गरबा में पूरा भारत एक हो जाता है।
वहीं, इस दौरान द्रुमि भट्ट ने कहा कि वाइब्रेंट गुजरात को आप ऐसे देख सकते हैं कि जहां-जहां बसे गुजराती, वहां बसे गुजरात। गुजराती के ब्लड में है रिस्क लेकर नफा-नुकसान को लेकर आगे चलते हैं। द्रुमि भट्ट ने कहा कि 90 प्रतिशत स्टार्टअप सफल होते हैं, लेकिन उसे चलाना होगा, सोचने से नहीं होगा। ये एक जर्नी है। परिश्रम, प्लानिंग, मेंटर और मार्केट की समझ जरूरी है। मार्केट की समझ रिसर्च से आती है। क्या स्टार्टअप दस साल में रिलेवेंट रहेगा कि नहीं, ये भी सोचें। मेंटर की सलाह मानें। जो आपके प्रॉडक्ट समझता है। निराश होकर इसे नहीं चला सकते। प्रयत्न, प्रयास और संचालन पर ध्यान देना होगा।
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