हरियाणा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस इकोसिस्टम के पत्रकार बहुत ही गुस्से में हैं। उनका क्षोभ कई प्रकार से सामने आ रहा है। अशोक वानखेड़े ने कथित निष्पक्ष पत्रकारों के साथ चर्चा में केसी वेणुगोपाल पर प्रश्न उठाए और कहा कि आखिर केसी वेणुगोपाल को अपनी महिला मित्र को टिकट क्यों दिलवाना था? उन्होंने कथित निष्पक्ष पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा के साथ बात करते हुए कहा कि केसी वेणुगोपाल संगठन महासचिव हैं। उन्होंने यह तक नहीं देखा कि वहां पर संगठन खड़ा नहीं है। केसी वेणुगोपाल की महिला मित्र का उल्लेख करते हुए उन्होनें प्रश्न किया कि क्या “हरियाणा चुनाव उनकी अय्याशियों का अड्डा बन गया है?”
इसी बात को लेकर भाजपा नेता और पूर्व में कांग्रेस की नेत्री राधिका खेड़ा ने भी एक्स पर लिखा कि कांग्रेस की ये गंदगी सिर्फ हरियाणा तक सीमित नहीं है, हर प्रदेश में अपने पैर पसार चुकी है। कास्टिंग काउच कांग्रेस की बेशर्म हकीकत है, जो किसी एक नेता तक सिमटी नहीं है। ये गंध एनएसयूआई-आईवाईसी राष्ट्रीय अध्यक्षों तक गहरी धंसी हुई है। कांग्रेस की अंदरूनी सड़ांध व नैतिक पतन अब खुलकर बाहर है।
राधिका खेड़ा ने भी अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के कारण कांग्रेस छोड़ी थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में महिला नेताओं के साथ सही व्यवहार नहीं होता है। उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के कारण उनका विरोध हो रहा था और कैसे उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया चेयरमैन सुशील आनंद सुखा ने शराब ऑफर की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि उनके साथ अभद्रता हुई थी और कमरे में भी बंद कर दिया गया था।
राधिका खेड़ा ने जयराम रमेश और सचिन पायलट जैसे नेताओं को अपने साथ हुई इस अभद्रता के विषय में बताया था, परंतु उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया था। यही कांग्रेस का चरित्र दिखाई देता है। कांग्रेस पार्टी अपनी महिला कार्यकर्ताओं और नेत्रियों के साथ पार्टी में हो रहे शोषण पर चुप रहती है, जिसका एक उदाहरण अभी हरियाणा चुनावों में मिला था। हरियाणा से दो बार की विधायक शारदा राठौड़ ने आरोप लगाया था कि हरियाणा चुनाव में टिकट “चमड़ी और दमड़ी” के आधार पर बांटे जा रहे हैं और इसी कारण उन्हें टिकट नहीं मिला। उन्होंने फिर निर्दलीय पर्चा भरा था।
कांग्रेस में महिला नेताओं के साथ यौन शोषण पर सुनवाई नहीं होती है, बल्कि कास्टिंग काउच की बात करने वाली नेत्रियों को बाहर का रास्ता दिया दिया जाता है। अभी हाल ही में केरल की कांग्रेस नेता सिमी रोज बेल को पार्टी ने केवल इसलिए बाहर का रास्ता दिखा दिया था क्योंकि उन्होंने यह स्वीकारा था कि कांग्रेस में कास्टिंग काउच होता है। अब अशोक वानखेड़े की बात को लेकर भी सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज हैं।
अशोक वानखेड़े का गुस्सा किस पर है?
इस पूरे वीडियो में अशोक वानखेड़े गुस्से में दिखाई देते हैं। अब यह गुस्सा बहुत ही हैरान करने वाला है। क्योंकि यदि यह गुस्सा एक कांग्रेस समर्थक होने का है तो एक हद तक जायज ठहराया जा सकता है, मगर यदि यह गुस्सा एक पत्रकार होने के नाते है तो यह बात तो उन्हें पहले भी पता रही होगी कि केसी वेणुगोपाल की वह महिला मित्र कौन हैं? और कब कोई अय्याशी कर रहा है? मगर वे तब चुप रहे और एक पार्टी की हार के लिए महिला पर ठीकरा फोड़ना कहां तक सही है ? यदि यह मामला अशोक वानखेड़े जैसे कथित निष्पक्ष और महिलाओं के लिए आवाज उठाने वाले पत्रकारों के संज्ञान में था तो उन्होंने पहले क्यों नहीं आवाज उठाई कि कांग्रेस में महिलाओं का शोषण हो रहा है? जो बातें अभी बताई जा रही हैं, यदि वह सच हैं तो महिलाओं के लिए बात करने वाले तमाम ऐसे पत्रकारों पर प्रश्न तो उठते ही हैं कि आखिर वे चुप क्यों थे? सोशल मीडिया पर अब ये प्रश्न पूछे जा रहे हैं।
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