देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। बुधवार (9 अक्टूबर 2024) की रात उन्होंने अंतिम सांस ली। रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे और 86 वर्ष की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। रतन टाटा का सादगी भरा व्यवहार उन्हें अन्य बड़ी हस्तियों से अलग करता है वो जमीन से जुड़े शख्सियत थे और हर समय दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। रतन टाटा भले ही आज न हों लेकिन उनकी यादें ताउम्र लोगों के दिलों में बनी रहेगी। रतन टाटा के जीवन में भी उतार चढ़ाव वाले समय आए थे। ये 90 के दशक का आखिरी समय था जब रतन टाटा ने टाटा इंडिया लांच की थी और इसमें उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। रतन टाटा इससे इतने हतोत्साहित हुए कि उन्होंने अपना कार प्लांट बेचने का फैसला कर लिया था। इसके लिए उन्हें अपमानित भी होना पड़ा था लेकिन उन्होंने अपने काम के दम पर उस अपमान का भी शानदार बदला लिया था।
रतन टाटा भले ही बाहर से बहुत ही शांत और सरल स्वभाव के दिखाई देते रहे हों लेकिन, वो बहुत ही मजबूत शख्सियत थे। 1999 में इंडिका के फ्लॉप हो जाने के बाद वो अपने कार प्लांट को बेचने के लिए अमेरिका की फोर्ड कंपनी पहुंचे थे। फोर्ड कार के चेयरमैन बिल फोर्ड ने जब उनकी इस कहानी को सुना तो उन्होंने रतन टाटा को अपमानित करते हुए कहा, ‘जब आप लोगों को ऐसी कार बनाने का अनुभव नहीं है तो फिर आप लोग ऐसे बिजनेस में हाथ क्यों डालते हैं?’ इतना ही नहीं बिल फोर्ड ने टाटा को अपमानित करते हुए आगे कहा, ‘वैसे तो ये एक फ्लॉप कार है लेकिन, हम आपसे ये कंपनी खरीदकर आपके ऊपर एक बहुत बड़ा एहसान करेंगे।’
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रतन टाटा ने बदल दिया फैसला
अमेरिका में हुई फोर्ड कार के चेयरमैन के साथ हुई इस बैठक में रतन टाटा ने खुद को काफी अमानित महसूस किया और भारत आकर अपना इरादा बदल दिया। अब वो पैसेंजर मोटर कार कंपनी को बेचने का इरादा त्यागकर उस पर काम करने जुट गए। टाटा ने ये फैसला किया कि वो इसे किसी भी सूरत में चलाकर दिखाएंगे। इसी विचार के साथ टाटा ने भारत आकर एक नए जोश से टाटा कार कंपनी पर समय दिया। समय बीता और रतन टाटा की मेहनत रंग लाई। अगले 7-8 सालों में टाटा कार देश की लोकप्रिय ब्रांड्स में शामिल हो चुकी थी, और टाटा की इस सफलता की चर्चा फोर्ड कार चेयरमैन तक सहित पूरी दुनिया में गूंज रही थी।
टाटा कार ने बाजार में जमाए पैर तो फोर्ड को हुआ काफी नुकसान
रतन टाटा ने अमेरिका में फोर्ड कंपनी से लौटने के बाद जोरदार मेहनत की और कार बाजार में अपनी धाक जमाई। ये वही समय था जब टाटा कार बाजार में अपनी सफलता की इबारत लिख रही थी तो दूसरी ओर फोर्ड लगातार नुकसान के चलते अपनी लाज बचाने को आतुर था। धीरे-धीरे वो समय भी आ चुका था जब टाटा कार बिजनेस की दुनिया में देश का सबसे सफल और लोकप्रिय ब्रांड बन चुका था। वहीं फोर्ड मोटर्स की कई कारें फ्लॉप हुईं और मार्केट में लगातार वो गिरावट की ओर थे। उसके प्रोडक्ट्स एक के बाद एक करके लगातार फ्लॉप होते जा रहे थे।
पूरा हुआ रतन टाटा का बदला, शरण में पहुंचे फोर्ड कार चेयरमैन
इधर फोर्ड कार के चेयरमैन ने लगातार हो रहे नुकसान के बाद रतन टाटा की सफलता की कहानियां सुनीं तो उनसे मिलने का मन बनाया। साल 2008 में आखिरकार वो मुबारक दिन भी आ ही गया जब फोर्ड खुद चलकर रतन टाटा से मिलने के लिए भारत आए। साल 1999 के बाद साल 2008 तक टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस पर जोरदार मेहनत की और इन 9 सालों के दौरान रतन टाटा कभी अमेरिका नहीं गए बल्कि फोर्ड की टीम रतन टाटा से मिलने के लिए भारत आई। फोर्ड के चेयरमैन ने रतन टाटा के सामने डील रखी कि वो उनके ब्रैंड्स को खरीद लें। रतन टाटा ने उनका ये ऑफर स्वीकार कर लिया। साल 2008 में टाटा ने फोर्ड की सबसे लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। इस तरह से रतन टाटा ने 9 साल पहले हुए अपमान का बदला उसी अंदाज में लिया।
बिल फोर्ड ने दिया था रतन टाटा को धन्यवाद
रतन टाटा ने बिल फोर्ड की इस बिजनसे डील को स्वीकार कर उनका सबसे बेहतरीन और लोकप्रिय ब्रांड जैगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया। जब रतन टाटा और बिल फोर्ज के बीच ये डील पूरी तरह से फाइनल हो गई तब बिल फोर्ड ने रतन टाटा को धन्यवाद देते हुए कहा था, ‘आपने फोर्ड कार की जैगुआर और लैंड रोवर सीरीज को खरीदकर हमारे ऊपर बड़ा एहसान किया है।’
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