वक्फ बोर्ड की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने पहला कदम उठाते हुए गुरुवार (8 अगस्त 2024) को वक्फ अधिनियम-1995 संशोधन विधेयक-2024 पेश किया। कथित तौर पर यह विधेयक राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण और अतिक्रमणों को हटाने से संबंधित प्रभावित ढंग से मुद्दों का समाधान करने का प्रयास करता है।
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विरोध पर उतरी कांग्रेस
केंद्र सरकार आज जैसे ही वक्फ बोर्ड अधिनियम को लोकसभा में पेश किया गया, कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडि अलायंस ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल और हिबी ईडन ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले में संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किए जाने का करने के लिए नोटिस दिया था। वेणुगोपाल ने इसे बहुत ही कठोर कानून बताते हुए इसे संविधान पर हमला बताया।
ईडन ने ये भी कहा कि वह विधेयक को पेश करने का विरोध करते हैं, क्योंकि यह असंवैधानिक है और कहा कि यह संपत्ति के अधिकार अनुच्छेद 300A के साथ टकराव में है। कांग्रेस का तर्क है कि विधेयक संभावित रूप से व्यक्तियों और धार्मिक संस्थानों के संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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कांग्रेस सरकार ने दिए थे व्यापक अधिकार
गौरतलब है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्डों को अधिक व्यापक अधिकार प्रदान किए गए थे। कांग्रेस की इसी मेहरबानी के चलते वक्फ बोर्ड बहुत अधिक शक्तिशाली हो गया और इसी के साथ बोर्ड और संपत्तियों के मालिक के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है।
बता दें कि वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर लगाम लगाने के लिए हाल ही में केंद्र सरकार की कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 से अधिक 40 से अधिक संशोधनों को लेकर चर्चा की थी।
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