'ईशनिंदा के नाम पर Minorities को प्रताड़ित मत करो', पाकिस्तानी मानवाधिकार संस्था ने की कानून बदलने की मांग
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‘ईशनिंदा के नाम पर Minorities को प्रताड़ित मत करो’, पाकिस्तानी मानवाधिकार संस्था ने की कानून बदलने की मांग

कई अल्पसंख्यक परिवारों को झूठे आरोपों में फंसाकर उनके साथ बुरा सलूक किया जाता रहा है। ईशनिंदा के फर्जी आरोप लगाकर उनसे 'बदला' लिया जाता है

by WEB DESK
May 27, 2024, 12:15 pm IST
in विश्व
एक मौलवी ने हिंसक भीड़ को ऐसा उकसाया कि भीड़ नजीर के घर पर टूट पड़ी

एक मौलवी ने हिंसक भीड़ को ऐसा उकसाया कि भीड़ नजीर के घर पर टूट पड़ी

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भारत के पड़ोसी जिन्ना के कंगाल देश में मजहबी कट्टरवाद किस कदर हावी है यह वहां के ईशनिंदा कानून से पता चलाता है। इस आसुरी कानून की आड़ लेकर पाकिस्तान में हिन्दुओं और ईसाइयों सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को हद से ज्यादा प्रताड़ित किया जाता रहा है। किसी पर भी ईशनिंदा का आरोप लगा भर देने से वहां की पुलिस हरकत में आ जाती है और 8 साल के बच्चे तक को हवालात में बंद करने की जुर्रत करती है। ऐसे अमानवीय कानून के विरुद्ध पाकिस्तान के लिए मानवाधिकार आयोग ने आवाज उठाई है। आयोग ने कानून और नीति में बदलाव की मांग की है।

पंजाब के सरगोधा में गत शनिवार को जिस प्रकार एक ईसाई परिवार पर मजहबी उन्मादियों की भीड़ ने हमला बोला और घर में आगजनी करके एक 70 वर्षीय बुजुर्ग को मार—मार जान ले ली, उसके संदर्भ में मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान नाम की संस्था ने कहा है कि जूता फैक्ट्री के ईसाई मालिक और उनके पुत्र पर कुरान के पन्ने फाड़ने का आरोप लगाकर जिस प्रकार से हिंसा का कहर बरपाया गया वह निंदनीय है। आगे इस संस्था ने ईशनिंदा के नियमों में बदलाव की मांग उठाई।

मजहबी उन्मादियों ने ईसाई परिवार के घर में आग लगा दी

25 मई को पाकिस्तानी पंजाब के सरगोधा की मजाहिद कॉलोनी में एक ईसाई परिवार पर मजहबी उन्मादियों ने तब हमला बोल दिया जब किसी ने अफवाह उड़ा दी कि जूता फैक्ट्री के मालिक नजीर मसीह और उनके बेटे सुल्तान मसीह ने कुरान की बेअदबी की है। एक मौलवी ने हिंसक भीड़ को ऐसा उकसाया कि भीड़ नजीर के घर पर टूट पड़ी और वहां आग लगा दी। हिंसक भीड़ में उन्मादी युवा भी बड़ी संख्या में शामिल थे।

मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नवीद ने इस मौके पर ईशनिंदा के कानून में बदलाव की मांग करते हुए कहा कि मारपीट करने से पहले पुलिस को खबर क्यों नहीं दी जाती? आरोप की सही से जांच क्यों नहीं की जाती? भीड़ को हिंसा करने का मौका क्यों मिल जाता है? नवीद ने ईशनिंदा कानून के पीड़ितों को सुरक्षा देने की मांग की।

उधर मसीह परिवार का कहना है कि किसी ने कुरान के पन्ने फाड़कर योजनाबद्ध तरीके से उनकी फैक्ट्री के आगे डाल दिए थे। बस इसी की आड़ लेकर कुछ लोगों ने भीड़ जुटा ली और उन पर हमला बोल दिया। उन्मादियों ने नज़ीर मसीह, सुल्तान मसीह तथा अन्य परिजनों को बेरहमी से पीटा। उन्हें अस्पताल ले जाने के वक्त भीड़ एंबुलेंस पर भी टूट पड़ी। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, एक 70 वर्षीय बुजुर्ग ईसाई की पीटने से मौत हो गई।

इस घटना की तहकीकात और मदद के लिए जब मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान का दल वहां पहुंचा। दल ने बताया कि उस ईसाई परिवार ही नहीं, कई अल्पसंख्यक परिवारों को झूठे आरोपों में फंसाकर उनके साथ बुरा सलूक किया जाता रहा है। ईशनिंदा के फर्जी आरोप लगाकर उनसे ‘बदला’ लिया जाता है। सरगोधा में तो ऐसी घटनाएं रह—रहकर होती हैं। मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान ने मसीह परिवार व अन्य अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और इंसाफ देने की मांग की है।

मानवाधिकार फोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नवीद ने इस मौके पर ईशनिंदा के कानून में बदलाव की मांग करते हुए कहा कि मारपीट करने से पहले पुलिस को खबर क्यों नहीं दी जाती? आरोप की सही से जांच क्यों नहीं की जाती? भीड़ को हिंसा करने का मौका क्यों मिल जाता है? नवीद ने ईशनिंदा कानून के पीड़ितों को सुरक्षा देने की मांग की। नवीद के अनुसार, नजीर और सुल्तान मसीह पर ईशनिंदा के झूठे आरोप लगाए गए। ऐसा न हो, इसके लिए नीति में बदलाव होना बहुत आवश्यक है।

Topics: sargodha#hinduपाकिस्तानPakistanमानवाधिकारhuman rightschristianminorityblasphemy law
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