Iran: राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत पर ईरान में जश्न क्यों? क्यों कहे जाते हैं 'तेहरान का कसाई'
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

Iran: राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत पर ईरान में जश्न क्यों? क्यों कहे जाते हैं ‘तेहरान का कसाई’

ऐसा कहा जाता है कि 5,000 से 6,000 लोगों को चुन-चुनकर मारा गया था, मगर यह संख्या लोग काफी कम बताते हैं। कुछ साइट्स का कहना है कि यह संख्या 10,000 तक थी।

by सोनाली मिश्रा
May 21, 2024, 10:09 am IST
in विश्व
ईरान न्यूज, इब्राहिम रईसी हेलिकॉप्टर क्रैश, इब्राहिम रईसी की मौत, Iran News, Ibrahim Raisi helicopter crash, Ibrahim Raisi death,

इब्राहिम रईसी, ईरानी राष्ट्रपति

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

20 मई को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर की दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसे लेकर कई देशों ने सांत्वना व्यक्त की और भारत जैसे कई देशों ने एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी शोक व्यक्त करते हुए एक मिनट का मौन रखा। मगर जैसे ही यह समाचार वायरल हुआ, वैसे ही सोशल मीडिया पर इसका विरोध होना आरंभ हो गया। ईरान के कई नागरिकों ने लिखा कि उन्हें इस बात का बहुत दुख है कि उस रईसी जिसे कि तेहरान का कसाई कहा जाता है, उसे लेकर ऐसा सम्मान दिया गया।

राष्ट्रपति रईसी को तेहरान का कसाई क्यों कहा जाता है और क्यों उनके मरने पर ईरान में एक बहुत बड़ा वर्ग प्रसन्न है, वह आतिशबाजी कर रहा है। क्या ऐसे जख्म हैं, जो केवल ईरान के वे ही लोग देख पा रहे हैं, जो ईरान के राष्ट्रपति के अत्याचारों का शिकार हुए हैं? क्योंकि पिछले कुछ समय से ईरान में लड़कियों को लेकर जो आंदोलन चल रहे हैं। उनमें अभी तक लोगों को फांसी देना जारी है। मगर यह भी बात सत्य है कि तेहरान का कसाई केवल इस बात को लेकर नहीं कहते होंगे?

कसाई का अर्थ बहुत अलग होता है। कसाई का मतलब अपनी इच्छानुसार मारना। तो रईसी ने कैसे और कब लोगों को मारा और क्या आधिकारिक रेकॉर्ड्स कहते हैं? ईरान और ईराक के बीच आठ वर्षों तक चला युद्ध वर्ष 1988 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रेसोल्यूशन 598 को अपनाने के बाद समाप्त हुआ था। हालांकि युद्ध समाप्त होने की आधिकारिक घोषणा हुई थी, परंतु उसके बाद राजनीतिक कैदियों की मृत्यु का एक नया दौर ईरान ने देखा था। ईरान प्रीमियर वेबसाइट पर एंड्रू हन्ना का एक लेख यह विस्तार से बताता है कि कैसे रईसी ने तेहरान के कसाई की भूमिका निभाई थी।

ईरान और ईराक के आठ वर्ष के युद्ध समाप्त होने के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता खुमैनी ने एक फतवा जारी किया। जुलाई 1988 में उन्होंने यह हुकूम दिया कि विपक्ष को समर्थन देने वाले सभी लोगों को और “अल्लाह के खिलाफ युद्ध छेड़ने” वाले सभी को मौत की सजा दी जाए। उसके बाद कहा जाता है कि खुमैनी ने एक दूसरा फतवा जारी करते हुए कम्युनिस्ट एवं वाम दलों के सभी नेताओं पर ध्यान केंद्रित किया और उनपर अपना धर्म छोड़ने का आरोप लगाया।

27 वर्षीय रईसी उस समय उस “डेथ कमिटी” में चार सदस्यों में सबसे छोटे थे, जो खुमैनी के फतवे के बाद बनाई गई थी। इस फतवे में कहा गया कि “इस्लाम के दुश्मनों” का खात्मा किया जाए। ईरान की जेलें उस समय युवा वामपंथियों से भरी हुई थीं, जिनके विषय में कहा जाता है कि वे ईराक आधारित पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ ईरान या मुजाहिंदीन ए खलक के सदस्य थे। खुमैनी ने कहा कि इन सभी कैदियों को विशेष दंड दिया जाना चाहिए।

6000 लोगों की हत्या की

ऐसा कहा जाता है कि 5,000 से 6,000 लोगों को चुन-चुनकर मारा गया था, मगर यह संख्या लोग काफी कम बताते हैं। कुछ साइट्स का कहना है कि यह संख्या 10,000 तक थी। हयूमेन राइट वाच के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ ईरान या मुजाहिंदीन ए खलक ने ईरान सरकार को गिराने का प्रयास किया और फिर ईरान की सेना ने इसका विरोध किया, सत्य प्रतीत नहीं होता है क्योंकि कई लोगों का मानना है कि यह पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ ईरान या मुजाहिंदीन ए खलक के पहले से ही बंदी बने हुए सदस्यों को मारने के लिए एक बहाना था।

इसे भी पढ़ें: इब्राहिम रईसी की मौत के एक दिन बाद ईरान में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान

इसके अनुसार वर्ष 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही राजनीतिक विरोधियों का दमन चालू हो गया था, मगर 1988 में कत्लेआम किया गया। जैसे ही ईरान और ईराक के बीच आठ वर्षीय युद्ध समाप्त हुआ वैसे ही इन कैदियों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाने लगा और उन्हें अकेला किया जाने लगा। कमिटी ने कई प्रश्न तैयार किए थे।

usatoday की स्टोरी के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल के ईरान के विशेषज्ञ एलिस औरबछ के अनुसार तेहरान में काम कर रहे रईसी उन ऐसे लोगों में से थे, जिन्होंने इन हत्याओं को अंजाम दिया था। ये हत्याएं इस सीमा तक की गई थीं, कि खुमैनी के डेप्यूटी ग्रांड अयातुल्ला हुसैन अली मोंटेजेरी ने यह कहते हुए आपत्ति व्यक्त की थी कि इन लोगों को पहले ही सजा दी गई है, इसलिए हत्याएं क्यों करना। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार रईसी ने इन हत्याओं को ईरान सरकार की “सबसे महान उपलब्धियों” में से एक बताया था। हालांकि, इस कत्लेआम को अभी तक ईरान की सरकार ने माना नहीं है और वह इनकार करती है कि इतने लोग मारे गए थे। उसका कहना है कि मात्र एक हजार राजनीतिक बंदियों की हत्याएं उसने कराई थीं।

लेकिन ऐसे कई लोगों के वक्तव्य हैं, वर्ष 2000 में प्रकाशित अयातुल्ला हुसैन अली मोंटेजेरी के संस्मरण, सरकारी दृष्टिकोण से सामूहिक फांसी/कत्लेआम का सबसे विश्वसनीय विवरण प्रस्तुत करते हैं। मोंटेज़ेरी, 1988 में, ईरान में सर्वोच्च रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों में से एक थे, सर्वोच्च नेता के रूप में अयातुल्ला खुमैनी के नामित उत्तराधिकारी थे, और सर्वोच्च रैंकिंग वाले ऐसे अधिकारी थे जिन्होनें इस सरकारी कत्लेआम का विरोध किया था।
इसके बाद उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया था और खुमैनी की वर्ष 1989 में मौत के बाद अली खमैनी के हाथ में सत्ता आ गई थी। रईसी को खमैनी का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जा रहा था।

तेहरान का कसाई अर्थात बुचर ऑफ तेहरान के मारे जाने का जश्न कई लोग मना रहे हैं। और सोशल मीडिया पर लोग यह प्रश्न भी कर रहे हैं कि आखिर ऐसे व्यक्ति के मारे जाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कैसे शोक व्यक्त कर सकती है?

Topics: तेहरान के कसाई की मौतdeath of butcher of Tehraninternational newsIbrahim RaisiईरानIrandeathइस्लामिक कट्टरपंथमौतIslamic fundamentalismअंतरराष्ट्रीय न्यूजइब्राहिम रईसी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ईरान से निकाले गए अफगान शरणा​र्थी   (फाइल चित्र)

‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ के परखच्चे उड़ा रहे Iran-Pakistan, अफगानियों को देश छोड़ने का फरमान, परेशानी में ​Taliban

Iran hanged 21 amid Israel war

ईरान-इजरायल युद्ध: 12 दिन में 21 को फांसी, सुनवाई मात्र 10 मिनट

Turkish plan against india

तुर्की का भारत विरोधी एजेंडा: बांग्लादेश और पाकिस्तान के सहारे घेरने की साजिश, निशाने पर ये राज्य

Kolakata Law College gangrape case

9 दिनों में 24 रेप: बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की महामारी

Israel strike kills new iranian commander

इजरायल का ईरान पर ताबड़तोड़ हमला: इविन जेल में 71 की मौत, कहा-ट्रंप और नेतन्याहू को जीने का हक नहीं

PFI NIA Islam

PFI की खौफनाक साजिश का NIA ने किया पर्दाफाश: जज से लेकर नेता तक, निशाने पर हिन्दू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies