‘विरासत’ में मिली घातक सोच!
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

‘विरासत’ में मिली घातक सोच!

यदि मनुष्य के द्वारा अर्जित संपत्ति को सरकारें किसी कानून के बल पर छीनती हैं तो यह राज्य प्रायोजित लूट एवं तानाशाही का ही रूप है। इस प्रकार की सोच समाज के लिए घातक

by डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष
May 8, 2024, 07:17 am IST
in भारत, विश्लेषण
सैम पित्रोदा

सैम पित्रोदा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विदेश में बसे कांग्रेस के वरिष्ठ ‘मार्गदर्शक’ एवं सहयोगी सैम पित्रोदा का एक बयान आजकल चर्चा में है जो उन्होंने अमेरिका में लगाए जाने वाले ‘इन्हेरिटेंस टैक्स’ यानी विरासत कर पर दिया है। इसे पढ़कर मुझे बृहदारण्यक उपनिषद् की एक कथा याद आ गई। एक बार देव, मनुष्य और असुर, तीनों ने प्रजापति से प्रार्थना की तो प्रजापति ने तीनों को जो उपदेश दिया वह मात्र एक अक्षर का था।

रोचक बात यह है कि तीनों के लिए इसके अर्थ भिन्न-भिन्न थे। और यह अक्षर था, ‘द’। देवों के लिए ‘द’ का अर्थ था ‘दम्यत’ अर्थात् दमन करो। अपनी कामनाओं को वश में रखो। मनुष्यों के लिए ‘द’ का अर्थ था ‘दत्त’ अर्थात् दान करो। असुरों के लिए ‘द’ का अर्थ था ‘दयध्वम्’ अर्थात् प्राणियों पर दया करो। स्वर्गिक सुखों में डूबे हुए देवों को भोग-विलास से दूर रखने के लिए, सांसारिक सुख-सुविधाओं के लिए संघर्षरत मनुष्यों को लोभ, लालच, धन संचय आदि से दूर रखने के लिए तथा अत्याचारी दानवों को हिंसा और क्रूरकर्म से दूर रखने के लिए प्रजापति ने एक ही अक्षर-बीज से क्रमश: दम, दान और दया का उपदेश दे दिया।

‘त्रया: प्राजापत्या: प्रजापतौ पितरि ब्रह्मचर्यमूषु:।
देवा: मनुष्या: असुरा:। तेभ्यो हैतदक्षरमुवाच द इति।
…दम्यतेति …दत्तेति …दयध्वमिति। दम्यत दत्त दयध्वमिति। एतत्त्रयमिति शिक्षेद्दमं दानं दयामिति।’
(बृहदा. उप./अध्याय 5/ ब्राह्मण 2/ 1,2,3)

यदि यहांं देव का तात्पर्य देवोपम (श्रेष्ठ कोटि के) मनुष्य और असुर का तात्पर्य असुरोपम (निकृष्ट कोटि के) मनुष्य समझा जाए, और ऐसा संकेत आचार्य शंकर अपने भाष्य में देते हैं, तो यह तीनों प्रकार के उपदेश- दम, दान और दया, सभी मनुष्यों के लिए हैं।

इसका आमूल तात्पर्य यह हुआ कि मनुष्य को दान करते रहना चाहिए तथा जो मनुष्य देवत्व सम्पन्न हैं उन्हें अपने उपभोगों तथा अपनी कामनाओं को सीमित करना चाहिए। जो मनुष्य आसुरी कर्म में संलग्न हैं उन्हें करुण एवं दयालु भी होना चाहिए। अर्थात् संपूर्ण चराचर के प्रति संवेदनापूर्ण दृष्टि रखते हुए अपने भौतिक उपभोगों को सीमित करना और दूसरों में बांंटना ही सच्चा मानवीय धर्म है। यही मानवीय मूल्यों का सार है।

अकारण नहीं है कि पुराणों और स्मृतियों में दान को कलियुग में महत्वपूर्ण धर्म कहा गया है। ‘दानमेकं कलौयुगे’।
मानस के उत्तरकांड में तुलसीदास कहते हैं कि धर्म के चार पदों में कलियुग में दान ही प्रमुख कल्याणकारी धर्म है।

‘प्रगट चारि पद धर्म के कलि महुं एक प्रधान।
जेन केन बिधि दीन्हें दान करइ कल्यान॥’
इस दान का वास्तविक उद्देश्य भौतिक संसाधनों का वितरण अंतिम छोर पर खड़े हुए व्यक्ति तक करवाना तो है ही, यह मनुष्य के चित्त में धन को अपनी छाती से छुड़ाने का अभ्यास भी डालता है।

समाज में विषमता और अमीरी-गरीबी की खाई सदैव रहती आई है। यह व्यक्तियों के आचार, विचार, प्रकृति, प्रवृत्ति आदि पर निर्भर है। इसे दूर करने के लिए एक दृष्टि वह है जो बृहदारण्यक की यह कथा और हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं। एक दृष्टि वह है जो पश्चिम के देशों ने अपनाई जाती है तथा जिसकी बात सैम पित्रोदा कर रहे हैं। सैम पित्रोदा अमेरिका में लगने वाले विरासत कर के बारे में कहते हैं कि, ‘यह काफी दिलचस्प कानून है। यह कहता है कि आप अपने दौर में संपत्ति जुटाओ और अब जब आप जा रहे हैं तो आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी होगी। सारी नहीं, लेकिन उसकी आधी, जो मेरी नजर में अच्छा है।’

यहांं सैम पित्रोदा इस कानून की प्रशंसा करके प्रकारांतर से उसे भारत में भी लागू करवाने की भूमिका बनाते नजर आते हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका एवं कई देशों में लागू यह कानून व्यक्ति के मरने के बाद उसकी संपत्ति का बहुत बड़ा अंश वहांं की सरकारों को हड़प लेने का अधिकार दे देता है।

यदि मनुष्य के द्वारा अर्जित संपत्ति को सरकारें किसी कानून के बल पर छीनती हैं तो यह राज्य प्रायोजित लूट एवं तानाशाही का ही रूप है। ऐसा विश्व के अनेक देशों में साम्यवादी सरकारों ने किया, इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल में हमारे देश में किया गया और अंतत: उन्हें मुंंह की खानी पड़ी।

जबकि भारतीय परंपरा में मनुष्यों के लिए दान का जो निर्देश किया है वह धर्मप्रेरणा से समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता दूर करने के लिए है। अन्नक्षेत्र, लंगर, गुरुद्वारा, मंदिर आदि धर्मभावना के कारण ही प्रतिदिन लाखों, करोड़ों लोगों का पेट भरते हैं। मन्दिरों और धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित विद्यालय, चिकित्सालय, गौशाला, अन्य सेवा केन्द्रों में कोटि कोटि अभ्यर्थियों को नि:शुल्क सेवा प्रदान की जाती है।

साथ ही लोककल्याणकारी सरकारों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वे स्वयं आगे होकर पिछड़ों की चिन्ता करें, उनके न्यूनतम उपभोग की व्यवस्था करें। किन्तु यह किसी तरह न्यायोचित नहीं कि वे किसी व्यक्ति की सम्पत्ति छीन कर या कानून के बल पर अधिग्रहीत करके यह कार्य करें। यदि सरकारें कोई ऐसा नियम बनाती हैं जैसा कांग्रेस पार्टी के सलाहकार सैम पित्रोदा कह रहे हैं तो यह सरकार के लूटतन्त्र का उदाहरण होगा।

सैम ने यह बात बहुत योजनापूर्वक ऐसे समय में कही है जब उनकी पार्टी द्वारा देश के संसाधनों को अल्पसंख्यक पर न्योछावर करने की आतुरता दिखाई जा रही है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र के माध्यम से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का राग अलापते हुए आर्थिक सर्वेक्षण की जो बात कही है तथा उसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए सैम ने जो रणनीतिक भूमिका बनाई है, वह वाकई चिंताजनक है।

ये सारी कड़ियां जुड़कर एक भयावह आशंका को जन्म देती हैं कि यदि कांग्रेस पार्टी किसी भी तरह सत्ता में आ जाती है तो वह मुस्लिम तुष्टीकरण की किसी भी सीमा तक जा सकती है। यद्यपि कांग्रेस पार्टी के लिए यह सब नया नहीं है, वह पहले भी ऐसा कर चुकी है। उसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का घोषित कर चुके हैं।

सच्चर कमेटी की आड़ में वह मुस्लिम आरक्षण की पुरजोर कोशिश कर चुकी है। किंतु इस बार राहुल गांधी ने चुनावी घोषणापत्र में आर्थिक दृष्टि से जनगणना का संकल्प व्यक्त कर सम्पत्ति के पुनर्वितरण के लिए ‘क्रांतिकारी फैसला’ लेने की घोषणा की है, वह निश्चित ही सांप्रदायिकता को भड़काने वाला कदम सिद्ध होगा। ऐसा प्रतीत होता है कि इस सारे घटनाक्रम के पीछे किसी अर्बन नक्सली समूह अथवा भारत को खण्डित करने के मंसूबे पालने वाली विदेशी शक्तियों का बुना जाल है जिसमें सत्ता के भूखे ये नेता फंस गए हैं।

इस पूरे प्रसंग में दीनदयाल उपाध्याय याद आते हैं, जो कहते थे कि दूसरों को बांंट कर खाना संस्कृति है, दूसरों का छीनकर खाना विकृति है। अब यह जनता-जनार्दन को तय करना है कि यह देश संस्कृति के पथ पर चलेगा अथवा विकृति के।

Topics: Dayadhwamइंदिरा गांधीआपातकालIndira GandhiEmergencyपाञ्चजन्य विशेषSam Pitrodaसैम पित्रोदाइन्हेरिटेंस टैक्सदयध्वम्Inheritance Tax
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

महाराणा प्रताप और इस्लामिक आक्रांता अकबर

महान प्रताप हैं, अकबर नहीं : इस्लामी आक्रांता को लेकर जानिये कैसे फैलाया गया झूठ

रा.स्व.संघ की सतत वृद्धि के पीछे इसके विचार का बल, कार्यक्रमों की प्रभावोत्पादकता और तपोनिष्ठ कार्यकर्ताओं का परिश्रम है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : विचार, कार्यक्रम और कार्यकर्ता-संगम

कृषि : देश की अर्थव्यवस्था में तो समृद्धि के लिए ‘क्रांति’ नहीं, शांति से सोचिए

वीरांगना रानी दुर्गावती

NCERT विवाद के बीच यह लेख पढ़ें : रानी दुर्गावती की बहादुरी, अकबर की तिलमिलाहट और गोंडवाना की गौरव गाथा

क्रूर था मुगल आक्रांता बाबर

“बाबर का खूनी इतिहास: मंदिरों का विध्वंस, हिंदुओं का नरसंहार, और गाजी का तमगा!”

उज्जैन में मुहर्रम पर उपद्रव मचाती मजहबी उन्मादी भीड़ को काबू करती पुलिस

मुहर्रम : देश के विभिन्न राज्यों में उन्मादियों ने जमकर हिंसा और उन्माद मचाया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies