कमाल की है अग्नि-5 की पिनप्वाइंट एक्यूरेसी : ‘मिशन दिव्यास्त्र’ भारत का नया ब्रह्मास्त्र
May 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम रक्षा

कमाल की है अग्नि-5 की पिनप्वाइंट एक्यूरेसी : ‘मिशन दिव्यास्त्र’ भारत का नया ब्रह्मास्त्र

अग्नि-5 मिसाइल को देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है।

by योगेश कुमार गोयल
Mar 12, 2024, 05:52 pm IST
in रक्षा, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत ने ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के साथ ही रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक और बड़ी सफलता हासिल की। मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल) क्षमता है। एमआईआरवी तकनीक वह तकनीक है, जिसमें किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है और इन हथियारों से दुश्मन के अलग-अलग लक्ष्यों को भेदा जा सकता है। एडवांस्ड एमआईआरवी तकनीक के साथ भारत ने 11 मार्च को स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया। ‘मिशन दिव्यास्त्र’ ऐसा मिशन है, जिसमें एक ही मिसाइल को विभिन्न युद्ध स्थलों को निशाना बनाने के लिए तैनात किया जा सकता है। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति की प्रतीक है। एमआईआरवी प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से लैस है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुनः प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें। एमआईआरवी तकनीक की विशेषता यह भी है कि इसे सड़क मार्ग से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इससे पहले की अग्नि मिसाइलों में यह सुविधा मौजूद नहीं थी लेकिन अब अग्नि-5 मिसाइल इस तकनीक से जुड़ गई है। न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया है, जो भारत की पहली और एकमात्र इंटर परमाणु-सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है।

डीआरडीओ द्वारा विकसित अग्नि-5 अपनी श्रृंखला में भारत का अब तक का सबसे आधुनिक हथियार है, जिसमें नौवहन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियां हैं और परमाणु सामग्री ले जाने की इसकी क्षमता अन्य मिसाइल प्रणालियों से काफी ज्यादा है। अग्नि-5 मिसाइल को देश की दीर्घकालिक सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए विकसित किया गया है। यह बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है, जो डेढ़ टन तक परिमाणु हथियार अपने साथ ले जा सकती है और एमआईआरवी से लैस होने के कारण एक साथ मल्टीपल टार्गेट के लिए लांच की जा सकती है। आमतौर पर किसी मिसाइल में केवल एक ही वॉरहेड ले जाया जा सकता है जबकि अग्नि-5 में मल्टीपल वॉरहेड एक साथ ले जाए जा सकते हैं। भारत द्वारा हालांकि अग्नि-5 की मारक क्षमता 5400 किलोमीटर बताई गई है लेकिन चीन का दावा है कि अग्नि-5 की मारक क्षमता 8000 किलोमीटर तक है और इस मिसाइल की जद में पूरे एशिया और यूरोप के 70 फीसद हिस्से हैं। भारत के नए ब्रह्मास्त्र अग्नि-5 की पिनप्वाइंट एक्यूरेसी बहुत कमाल की बताई जा रही है।

वैसे तो भारत 1989 से ही अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों पर काम कर रहा है लेकिन देश की लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्रि-5 पर डीआरडीओ द्वारा 2008 में काम शुरू किया गया था। पहले इसे अग्नि-3+ नाम दिया गया था लेकिन 2010 में इसे अग्नि-10 नाम दिया गया और बाद में इसका नाम अग्नि-5 कर दिया गया। उड़ीसा में रेल मोबाइल लांचर से इसका पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को किया गया था। उसके बाद 2013, 2015, 2016, 2018, 2021 और 2022 में भी इसके सफल परीक्षण किए गए। इसे डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई), एडवांस्ड सिस्टम लेबोरेटरी (एएसएल) तथा डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट लेबोरेटरी (डीआरडीएल) ने मिलकर तैयार किया है। अग्नि-5 के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद भारत दुनिया के उन एलीट देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास परमाणु हथियारों से लैस ‘आईसीबीएम’ है। फिलहाल दुनिया के चुनिंदा देशों (रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन, चीन और उत्तर कोरिया) के पास ही अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल हैं और अब भारत इस विलक्षण ताकत से लैस होने वाला दुनिया का आठवां देश होगा। करीब 50 हजार किलोग्राम वजनी, 1.75 मीटर लंबी और 17 मीटर ऊंची अग्नि-5 का व्यास 2 मीटर है, जो अपने साथ डेढ़ टन वॉरहेड ले जाने में समर्थ है और सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम तथा लंबी दूरी की भारत की अब तक की सबसे घातक मिसाइल है, जिसकी स्पीड मैक 24 यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा है। इस मिसाइल को सड़क तथा रेल प्लेटफॉर्म से भी छोड़ा जा सकता है और पनडुब्बी से भी लांच किया जा सकता है। रोड़ मोबाइल लांचर से भी लांच किए जाने की क्षमता के कारण इससे दुश्मन पर तत्काल हमला करना संभव है। मौसम की परिस्थितियों का भी इस पर कोई असर नहीं होता।

अग्नि-5 के अलावा भारत के पास इसी श्रृंखला की 700 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-2 और 2500 से 3500 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-3 मिसाइलें हैं, जिन्हें पाकिस्तान के खिलाफ बनाई गई रणनीति के तहत तैयार किया गया है। 4000 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-4 और 5000 किलोमीटर रेंज वाली अग्नि-5 को चीन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। अग्नि-1 का पहला परीक्षण 22 मई 1989 को, अग्नि-2 का 11 अप्रैल 1999 को, अग्नि-3 का 9 जुलाई 2006 को, अग्नि-4 का 10 दिसम्बर 2010 को और अग्नि-5 का 19 अप्रैल 2012 को किया गया था। अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल अपने पिछले प्रारूपों की तुलना में हल्की है, जिसमें तीन स्टेज में संचालित होने वाला सॉलिड फ्यूल इंजन लगाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-5 को विकसित करने का आधार इसी श्रृंखला की अग्नि-3 मिसाइल बनी, जिसमें पहले और दूसरे स्टेज के मोटर एक जैसे ही लगे हैं लेकिन अग्नि-5 में तीसरे स्टेज का मोटर बदल गया है, जिसने इसे बाकी मिसाइलों से अलग बना दिया है। अग्नि-5 एक ही वार में दुश्मन देश पर कई मिसाइलों की बौछार करने की अद्भुत क्षमता से लैस है। अग्नि-5 की विशेषता यह है कि इससे न्यूक्लियर अटैक किया जा सकता है और यह मिसाइल अकेली उड़ते हुए भी कई टारगेट को तबाह करने में पूरी तरह सक्षम है। फिलहाल बताया जा रहा है कि भारत अग्नि-6 पर भी काम शुरू कर चुका है, जिसकी मारक क्षमता 8000 किलोमीटर से भी ज्यादा होगी।

चीन भारत द्वारा अग्नि-5 का परीक्षण करने का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव 1172 में नियमों का हवाला देते हुए यह कहकर विरोध करता रहा है कि भारत परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास नहीं कर सकता। दरअसल यूएनएससी का प्रस्ताव ‘1172’ जून 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण के बाद लागू किया गया था, जिसमें भारत तथा पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को बंद करने और दोनों देशों से और परमाणु परीक्षणों से परहेज करने को कहा गया था। इसमें दोनों देशों से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास को रोकने का आग्रह भी किया गया था। हालांकि भारत इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अग्नि-5 को लेकर चीन के परेशान होने की सबसे बड़ी वजह यही है कि अभी तक चीन के प्रमुख शहर भारतीय मिसाइलों की जद में नहीं थे लेकिन परमाणु हथियारों से लैस अग्नि-5 5000 किलोमीटर से भी आगे तक के टारगेट को निशाना बना सकती है और रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक यह मिसाइल चीन के बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझाउ, हांगकांग सहित पूरे चीन को निशाना बनाने में सक्षम है। अग्नि-5 का निशाना अचूक है, जो अपने लक्ष्य को भेदने में बेहद कारगर है। परमाणु बम गिराने में सक्षम यह मिसाइल चीन के प्रमुख औद्योगिक शहरों को जलाकर राख कर सकती है।

चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोग्राम को देखते हुए भारत द्वारा अग्नि श्रृंखला की पांचवीं मिसाइल ‘अग्नि-5’ पर फोकस करना बेहद जरूरी हो गया था। दरअसल चीन के पास फिलहाल भारत के मुकाबले ज्यादा रेंज और आधुनिक तकनीक की मिसाइल हैं। चीन की डीएफ-41 मिसाइल की रेंज 12000 किलोमीटर तथा डीएफ-31 मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर है। दूसरी ओर यदि पाकिस्तान की मिसाइलों पर नजर डालें तो पाकिस्तान की शाहीन-2 मिसाइल की रेंज 2500 किलोमीटर तथा गौरी-2 मिसाइल की रेंज 2300 किलोमीटर है और पाकिस्तान 2700 किलोमीटर रेंज वाली शाहीन-3 पर भी काम कर रहा है। जहां तक हमारी अग्नि-5 मिसाइल की बात है तो रक्षा सूत्रों का कहना है कि यदि आवश्यकता हुई तो इस मिसाइल की मारक क्षमता और बढ़ाई जा सकती है। अग्नि-5 के लांचिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किए जाने की वजह से इसे कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है। भारत के इस ब्रह्मास्त्र को एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम से भी इंटरसेप्ट कर पाना मुश्किल है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)

Topics: अग्नि-5 मिसाइल की विशेषताएंअग्नि-5 मिसाइल की एक्यूरेसीभारत का नया ब्रह्मास्त्रFeatures of Agni-5 MissileAccuracy of Agni-5 MissileIndia's new BrahmastraAgni 5 missileअग्नि-5 मिसाइल
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाञ्चजन्य ब्रेकिंग न्यूज

मेड-इन-इंडिया Agni-5 मिसाइल की पहली परीक्षण उड़ान सफल, PM मोदी ने की घोषणा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तानी Air Force की कमांडो, लश्कर की आतंकी : NIA ने किया PAK ARMY और आतंकी गठजोड़ का खुलासा

Neeraj Chopra Olympics

कपिल देव और धोनी के बाद नीरज को मिली सेना में बड़ी उपलब्धि, भाले के साथ संभालेंगे बड़ी जिम्मेदारी

टुकड़ों में पति की हत्या : सिर नदी में, धड़ कुएं में, पैर 38KM दूर… 19 साल छोटे प्रेमी संग पत्नी ने रची खौफनाक साजिश

लखनऊ : सपा विधायक सहित चार को 3 महीने की जेल, 1300 का जुर्माना भी लगा

बूंद-बूंद को मोहताज पाकिस्तान गिड़गिड़ाया, कहा- सिंधु जल संधि पर विचार करे भारत, हमारी फसलें हो रहीं बर्बाद

भारत के स्वदेशी हथियार

ऑपरेशन सिंदूर में गरजा स्वदेशी पराक्रम, दुनिया ने देखा आत्मनिर्भर भारत का दम!

दिल्ली आबकारी घोटाला : AAP नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह कोर्ट में पेश हुए

तुर्किये को एक और झटका : JNU ने तुर्की यूनिवर्सिटी के साथ MOU किया निलंबित

मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेते जस्टिस बीआर गवई

देश के 52वें चीफ जस्टिस बने भूषण रामकृष्ण गवई, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ

‘जहां कभी था लाल आतंक, वहां लहरा रहा तिरंगा’ : 21 दिनों में 31 कुख्यात नक्सली ढेर, अमित शाह ने दी जवानों को बधाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies