Uttarakhand News: 25 नवम्बर को श्रीपुर बिछुआ निवासी धर्मानंद भट्ट जी को फोन आता है कि हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल मे एक लावारिस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। जिसकी जेब से मिले कागज पर नवीन भट्ट आपके पुत्र कि जानकारी मिल रही है। घर में मृत्यु का समाचार सुनते ही कोहराम मच जाता है।
परिजन व्यक्ति की जेब से मिले कागज से उसकी पहचान करते हैं और घर ले आते हैं। लखनऊ में रहने वाले नवीन के पत्नी-बच्चे और रुद्रपुर जिस छोटे भाई की दुकान से नवीन पिछले 1 वर्ष से गायब था वह सभी खबर सुनते ही घर पहुंच गए। सनातन परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार से पहले देर रात परिवार के सभी सदस्य उनके मुंह में पानी डालते हैं और फूल चढ़ाते हैं। विवाहित स्त्री का सुहाग उतारा जाता है, चूड़ियाँ तोड़ दी जाती है, यह सब रीति-रिवाज के अनुसार किया जाता है।
बालिग पुत्र द्वारा पिता का पिंड दान व ग्रामवासी शव को पंचतत्त्व मे विलीन करके घर लौट जाते हैं। नवीन की आत्मा की शांति के लिए पुत्र व भाई घर में ज्योति जलाकर 12 दिवसीय क्रिया शुरुआत की। ठीक पांचवे दिन नवीन के छोटे भाई को रुद्रपुर से परचित का फोन आता है कि कहां हो? 3-4 दिन से दुकान बंद दिख रही है? वह बताता है कि यार घर हूं, नवीन की मृत्यु हो गई है। उसका अंतिम संस्कार चल रहा है।
परिचित व्यक्ति आश्चर्यचकित होकर कहता है, मैं अभी नवीन से मिला था। जो शोकाकुल परिवार उसका अंतिम संस्कार कर रहा हो और कोई उन्हें बताए कि वे अभी-अभी उस व्यक्ति से मिले हैं, तो आश्चर्यजनक होगा। ये सुनकर घर में हंगामा मच जाता है। परिचित व्यक्ति ने वीडियो कॉल कर नवीन को दिखाया कि वह सकुशल है।
मृतक व्यक्ति के शरीर कि कद काठी, चेहरे मोहरे बिल्कुल नवीन की तरह मिल रहे थे सिर्फ रंग थोड़ा काला पड़ गया था। पिछले एक साल से उसका कोई अता-पता नहीं था। जब नवीन की जेब से उसके कागजात आदि मिले तो गम में डूबे बुजुर्ग मां-बाप को लगा कि वह व्यक्ति नवीन ही है, जिसने ऐसा किया है, यह भी अजीब बात है।
पत्नी-बच्चे जब लखनऊ से पहुंचे होंगे तब उसका मुहं ढका हुआ होगा, घर में सभी रोना-धोना कर रहे होंगे कि नवीन चला गया। तो फिर उन्हें इसकी जांच क्यों करनी पड़ी कि यह नवीन है या नहीं? वैसे भी उनकी पत्नी और बच्चे 8-10 साल से उनसे मिले भी नहीं थे।
कुछ सवाल जो हमेशा रहेंगे
कुछ सवाल हमेशा बने रहेंगे कि आखिर वह शख्स कौन था जिसका अंतिम संस्कार नवीन के परिवार ने किया? उसकी जेब मे नवीन की फोटो व कागज कहां से आये ? क्या पोस्टमार्टम से डीएनए का पता लगाया जा सकता है? यह बात हमेशा एक रहस्य ही रहेगी, लेकिन नवीन के परिवार ने अनजाने में एक लावारिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर पुण्य कमाया।
टिप्पणियाँ