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प्रोटीन की गुणवत्ता पर निर्भर है स्वस्थ शरीर

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन में आवश्यक मात्रा में प्रोटीन का होना अनिवार्य है। यह भी देखना होगा कि प्रोटीन की गुणवत्ता अच्छी हो

by रूपाली करजगीर
Aug 18, 2023, 02:55 pm IST
in जीवनशैली
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स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने लगते हैं तो वे प्रोटीन लेने लगते हैं। परंतु प्रोटीन क्या है? इसे कितना लेना चाहिए? कौन-सा प्रोटीन हमारे लिए ज्यादा अच्छा होता है? प्रोटीन ज्यादा लेने के दुष्परिणाम क्या-क्या हैं? इनके बारे में जानकारी बहुत ही कम है।

जब लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने लगते हैं तो वे प्रोटीन लेने लगते हैं। परंतु प्रोटीन क्या है? इसे कितना लेना चाहिए? कौन-सा प्रोटीन हमारे लिए ज्यादा अच्छा होता है? प्रोटीन ज्यादा लेने के दुष्परिणाम क्या-क्या हैं? इनके बारे में जानकारी बहुत ही कम है।
प्रोटीन मुख्यत: अमीनो एसिड से मिलकर बना एक पदार्थ है।

20 प्रकार के अमीनो एसिड अलग-अलग तरीके से आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं। हमारे शरीर में मांसपेशियां, हड्डी, त्वचा, नाखून, बाल, रक्त, शरीर के हार्मोन्स तथा एंजाइम प्रोटीन से ही बनते हैं। 20 अमीनो एसिड में से 11 को तो शरीर खुद बना सकता है। परंतु बचे 9 अमीनो एसिड का निर्माण शरीर में नहीं होता, उन्हें आहार में लेना अनिवार्य होता है। भोजन में इन्हीं की उपस्थिति के आधार पर हम भोजन में प्रोटीन की गुणवत्ता का निर्धारण करते हैं।

प्रोटीन मानव शरीर में रखरखाव तथा विकास के लिए आवश्यक तत्व हैं। इसलिए इन्हें शरीर का बुनियादी बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। यदि शरीर को चोट लगी है, कहीं कुछ जख़्म है, संक्रमण या बुखार के कारण भी शरीर में टूट-फूट हुई है, तो इन सभी को ठीक करने का दायित्व प्रोटीन पर आता है। यदि भोजन से पर्याप्त मात्रा में वसा व ऊर्जा न ली जाए तो शरीर में जमा प्रोटीन से ही हमें ऊर्जा मिलती है। इसलिए हमारे भोजन में हर रोज प्रोटीन का होना अनिवार्य है।

हमारे भारतीय भोजन में प्रोटीन सामान्यत: कम ही मात्रा में होता है। बहुत से घरों में भोजन में दाल या फिर सब्जी बनाने का चलन है। इसे बदलिये तथा भोजन में सब्जी व दाल, दोनों को शामिल करिये। इन दोनों के शरीर में अलग-अलग काम हैं तथा आवश्यकता भी अलग-अलग है। जागरूक होकर भोजन का चयन करें तो हम नि:संदेह हमेशा स्वस्थ रहेंगे।

प्रोटीन वैसे तो सभी भोज्य पदार्थों में उपस्थित होता है, परंतु मांसाहारी भोजन और दाल, मेवा, सूखे बीजों आदि में अच्छी मात्रा में पाया जाता है। इनमें लगभग 20% तक प्रोटीन होता है। इसलिए इन पदार्थों को प्रोटीन के अच्छे स्रोत में गिना जाता है। इनमें से सोयाबीन में लगभग 40% तक प्रोटीन पाया जाता है।

अनाज तथा मोटे अनाजों में लगभग 7% तक ही प्रोटीन होता है। परंतु यह प्रोटीन अच्छी गुणवत्ता वाला होता है। इसलिए यदि कोई मोटा अनाज या अनाज रोज भरपूर मात्रा में ले, तो उसे भी इससे पर्याप्त प्रोटीन मिल सकता है। इन सभी के विपरीत फलों तथा सब्जियों में बहुत ही कम 2% तक ही प्रोटीन होता है। इस हिसाब से हम सभी को दिन के मुख्य भोजन में दालों को या अच्छी मात्रा में अनाज को जरूर शामिल करना चाहिए। खाने में प्रोटीन शामिल करने से ज्यादा जरूरी उसकी गुणवत्ता होती है जिससे लिये गये प्रोटीन से शरीर से कुछ निष्कासित न हो, बल्कि सभी प्रोटीन शरीर अवशोषित कर ले।

इसके साथ ही, आज की युवा पीढ़ी में व्यायाम के साथ ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेने का चलन बढ़ गया है। शरीर में प्रोटीन की जरूरत व्यक्ति के वजन, उम्र, शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करती है। यदि हम ज्यादा व्यायाम के साथ बहुत लंबे समय तक प्रोटीन के कुछ सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, तो उसे कुछ नियमित अंतराल के बाद बंद करना आवश्यक होता है। इन्हें लंबे समय तक लिया जाए तो इसके विपरीत परिणाम हमारे गुर्दों पर पड़ते हैं जिससे उनके खराब होने से लेकर डायलिसिस कराने तक की नौबत आ सकती है। इसलिए आवश्यकता से अधिक प्रोटीन सेवन से बचना जरूरी है।

हमारे भारतीय भोजन में प्रोटीन सामान्यत: कम ही मात्रा में होता है। बहुत से घरों में भोजन में दाल या फिर सब्जी बनाने का चलन है। इसे बदलिये तथा भोजन में सब्जी व दाल, दोनों को शामिल करिये। इन दोनों के शरीर में अलग-अलग काम हैं तथा आवश्यकता भी अलग-अलग है। जागरूक होकर भोजन का चयन करें तो हम नि:संदेह हमेशा स्वस्थ रहेंगे।

Topics: Non-vegetarian foodअमीनो एसिडहार्मोन्स तथा एंजाइम प्रोटीनप्रोटीन मानवAmino AcidsHormones and Enzymes ProteinProtein HumanHealthy body depends on the quality of proteinमांसाहारी भोजन
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