इस क्रांति को ‘आपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी जाना जाता है। इसने दूध की कमी झेल रहे देश को दुनिया में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना दिया
भारत में 1970 में ‘श्वेत क्रांति’ की शुरूआत हुई। दुनिया के सबसे बड़े डेयरी विकास कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. वर्गीज कुरियन ने किया। इस क्रांति को ‘आपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी जाना जाता है। इसने दूध की कमी झेल रहे देश को दुनिया में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना दिया। ग्रामीण भारत में रह रहे लाखों लोगों के लिए डेयरी फार्मिंग (दुग्ध कृषि) रोजगार और आय का सबसे बड़ा स्रोत बन गई।
पहला चरण 1970 से 1980 तक चला। इस दौरान 15 लाख किसान परिवारों ने 10 राज्यों के 27 मिल्कशेड (दूध इकट्ठा कर, उसे बेचने के लिए तैयार करने वाली जगह) को दूध की आपूर्ति शुरू की। ग्रामीण स्तर पर 1960 के दशक में रोजाना 4.6 लाख लीटर की खरीद हो रही थी, जो बढ़कर 22 लाख लीटर प्रतिदिन हो गई। अगले चरण में, 1981 और 1985 के बीच, 43,000 गांवों के 42.5 लाख दूध उत्पादक इस आॅपरेशन से जुड़ गए। इस समय तक 136 मिल्कशेड सक्रिय हो गए थे, जो 290 शहरी बाजारों में दूध बेचने लगे। जैसे-जैसे उत्पादकों की सहकारी संस्थाएं सीधे दूध बेचनी लगीं, उनका फायदा बढ़ता गया।
1990 के दशक के मध्य तक चले आखिरी चरण में, आंदोलन से जुड़ने वाले किसान परिवारों की संख्या एक करोड़ तक पहुंच गई। अब जानवरों के स्वास्थ्य की देखभाल और बेहतर प्रजनन तरीकों पर जोर दिया जाने लगा। जल्द ही आत्मनिर्भरता नजर आने लगी।
भारतीय डेयरी की सूरत बदलने में महिला डेयरी किसानों की बड़ी भूमिका थी और अब भी बनी हुई है। करीब 17 लाख महिलाएं आपरेशन फ़्लड का हिस्सा थीं और ऐसी कई सहकारी संस्थाएं भी शुरू हुईं जिनकी सदस्य सिर्फ़ महिलाएं हैं। कुछ अनुमानों के मुताबिक करीब 7.5 करोड़ भारतीय महिलाएं, डेयरी से जुड़े काम करती हैं।
कश्मीरी हिंदुओं का विस्थापन
1989-90 के दौरान कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने हिंदुओं को चुन-चुन कर मारना शुरू किया, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इस कारण कश्मीर घाटी से करीब 5,00,000 हिंदुओं को पलायन करना पड़ा। इनमें से बहुत सारे हिंदू आज भी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उनमें एक आस जगी है।
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