1984 सिख विरोधी दंगा: सीबीआई ने जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध किया, कहा- गवाहों पर पड़ सकता है असर
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1984 सिख विरोधी दंगा: सीबीआई ने जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध किया, कहा- गवाहों पर पड़ सकता है असर

सीबीआई ने कहा कि गवाह बहुत साहस करके आगे आए हैं। टाइटलर की अग्रिम जमानत से उन्हें प्रभावित किया जा सकता है

by WEB DESK
Aug 2, 2023, 03:40 pm IST
in भारत, दिल्ली
जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राउज एवेन्यू कोर्ट में 1984 के सिख विरोधी दंग मामले में कांग्रेस के नेता जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध किया। सीबीआई ने कहा कि गवाह बहुत साहस करके आगे आए हैं। टाइटलर की अग्रिम जमानत से उन्हें प्रभावित किया जा सकता है। सीबीआई की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने पुल बंगश में हत्याओं के मामले में जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत पर आदेश सुरक्षित रख लिया। कोर्ट 4 अगस्त को फैसला सुनाएगी।

सीबीआई ने सरकारी वकील अमित जिंदल के माध्यम से जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि गवाह बहुत साहस दिखाते हुए आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। नये गवाहों के बयान के अनुसार प्रथमदृष्टया इसमें जगदीश टाइटलर की भूमिका प्रतीत होती है। मामले का फैसला मेरिट के आधार पर हुआ है, अब संदेह के आधार पर राहत नहीं मांगी जा सकती।

पीड़ितों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने कहा कि यह देश का पहला ऐसा मामला है जहां तीन बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई और अदालत ने हर बार इसे खारिज कर दिया।

फुल्का ने कहा कि अदालत मामले में मेरिट के आधार पर फैसला करेगी कि अधिकतम मौत की सजा दी जानी चाहिए या नहीं, यह मुकदमे का विषय है। यह सिर्फ 3 सिखों की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि सिखों के नरसंहार से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में दिनदहाड़े 3000 लोगों की हत्या कर दी गई और जिन लोगों ने सिख महिलाओं के साथ बलात्कार किया और उनकी हत्या की, उन्हें सम्मानित किया गया। फुल्का ने कहा कि आजादी के समय विभाजन के दौरान हुई हत्याओं का वही पैटर्न सिख विरोधी दंगों के साथ-साथ गुजरात, मुजफ्फरनगर और अन्य स्थानों पर भी देखा गया था। इस मामले में न केवल गवाहों बल्कि वकीलों को भी धमकी दी गई।

बहस के दौरान टाइटलर के वकील मनु शर्मा ने कहा कि जांच एजेंसी ने घटना (दंगों) का सही समय कभी पता नहीं लगाया। नानावती आयोग की रिपोर्ट के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। दिल्ली पुलिस ने दो बार और सीबीआई ने एक बार कहा कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ कुछ नहीं मिला और सीबीआई ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल की थी। सीबीआई ने विरोध याचिका का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने 2007 और 2014 में आरोप पत्र दाखिल कर क्लीन चिट दे दी थी। टाइटलर के वकील ने कहा कि सीबीआई ने मई 2023 में आरोप पत्र दाखिल किया और आरोपी बनाया। इस मामले में चार दशक बाद गवाह सामने आए हैं। यह देखना होगा कि जांच एजेंसी ने पहले क्या किया है। टाइटलर की उम्र 79 वर्ष है और उन्हें चिकित्सीय समस्याएं हैं। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है और वह दो बार कोविड से भी पीड़ित हो चुके हैं। उनका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है।

जगदीश टाइटलर ने 1984 में पुल बंगश इलाके में हुई हत्याओं के मामले में मंगलवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले हफ्ते कांग्रेस नेता के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद उन्हें समन जारी किया था और उन्हें 5 अगस्त को अदालत के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। अदालत ने टाइटलर की आवाज के नमूने की एफएसएल रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में लिया। इसी मामले में पहले फुल्का ने कहा था कि यह नरसंहार का मामला है और पीड़ित 39 साल से न्याय का इंतजार कर रहे हैं। सीबीआई ने 20 मई को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में टाइटलर के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था। यह मामला 1 नवंबर 1984 को पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या से संबंधित है।

Topics: सीबीआईcbiराउज एवेन्यू कोर्टजगदीश टाइटलर1984 सिख विरोधी दंगा1984 riots caseTytler
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