उत्तर कोरिया में सनकी तानाशाह किम जोन उन के राज में अमेरिका को दुश्मन नंबर एक माना जाता है। वहां आम लोग यही मानते हैं कि तानाशाह किम जितनी भी मिसाइलें बना रहा है वे सब की सब ‘अमेरिका पर चोट’ करने के लिए बनाई जा रही हैं। 25 जून को उसने हजारों लोगों को राजधानी प्योंगयोंग में अमेरिका विरोधी रैली में जुटने को मजबूर की दिया।
हालांकि वहां की सरकारी भोंपू मानी जाने वाली समाचार एजेंसी की रिपोर्ट है कि इस रैली में करीब एक लाख 20 हजार से ज्यादा लोग जुटे थे। एक अन्य समाचार एजेंसी रायटर्स का कहना है कि रैली में उत्तर कोरिया के नागरिकों ने हाथों में तख्तियां ली हुई थीं। इन तख्तियों पर यही नारा लिखा था कि ‘पूरी अमेरिकी मुख्य भूमि हमारे गोलों की पहुंच में है, साम्राज्यवादी अमेरिका शांति को भंग करने वाला है’। उत्तर कोरिया में बचपन से ही अमेरिका विरोध सिखाया जाता रहा है।
उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग में हुई इस रैली की ‘सफलता’ का तानाशाह के हुक्म पर खूब दुष्प्रचार किया जा रहा है और संख्या भी लाख से ज्यादा बताई जा रही है। इसमें संदेह नही है कि सनकी तानाशाह अमेरिका विरोध पर ही सांस लेता है जबकि उसके देश में भुखमरी से आएदिन लोग दम तोड़ रहे हैं।
रैली के आयोजन के पीछे वजह बताई गई कोरियाई युद्ध की शुरुआत की 73वीं वर्षगांठ। इस दिन को उत्तर कोरिया बड़े जोश से मनाता आ रहा है। जंग की याद में जाहिर है तानाशाह जंग की बात ही करता है और अमेरिका तो उसके खास निशाने पर रहता है।
अमेरिका विरोधी मार्च में तानाशाह को बढ़—चढ़कर अपनी ‘वफादारी’ दिखाने के लिए लोग जोर—जोर से अमेरिका की बर्बादी के नारे लगा रहे थे। लोगों ने इसे ‘बदले की जंग’ की तरह लिया और इस जंग में उतरने की ‘कसमें’ खाते हुए नारे लगाए गए। इस रैली के आयोजन के पीछे वजह बताई गई कोरियाई युद्ध की शुरुआत की 73वीं वर्षगांठ। इस दिन को उत्तर कोरिया बड़े जोशोखरोश से मनाता आ रहा है। जंग की याद में जाहिर है तानाशाह जंग की बात ही करता है और अमेरिका तो उसके खास निशाने पर रहता है।
कोरियाई युद्ध 1950-53 के दौरान उत्तर कोरिया के हमले से शुरू हुआ था। रैली में लोगों ने उस अमेरिका को जी भरके कोसा जिसे वे युद्ध की आग भड़काने का दोषी मानते हैं, जिसने कोरिया के लोगों को कभी नहीं भरने वाले ‘घाव’ दिए थे। तबसे ही उत्तर कोरिया अमेरिका के विरुद्ध मंसूबे रचता आ रहा है। उत्तर कोरिया में वर्तमान तानाशाह के दादा किम इल सुंग को इस ‘युद्ध का हीरो’ बताया जाता है और हीरो ही नहीं, उन्हें उत्तर कोरिया के ‘अस्तित्व को बचाने वाले’ के तौर पर पेश किया जाता है।
किम परिवार ने खुद को वहां ‘ईश्वर’ की तरह स्थापित किया हुआ है। उस परिवार के अलावा किसी बाहर वाले को सत्ता में आने का सपना तक देखने की इजाजत नहीं है। बच्चों की किताबें किम परिवार के गुणगान से भरी पड़ी हैं। हर एक नागरिक को किम परिवार के प्रति अपनी वफादारी हर दम बनाए रखने का अलिखित फरमान जैसा रहता है।
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