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फिर चीन परस्ती दिखाई WHO ने, ड्रैगन के दबाव में ताइवान को आमसभा से रखा बाहर

चीन ने ताइवान को 'एक अलग देश' के नाते आम सभा में बुलाए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस वार्षिक बैठक से ताइवान को बाहर रखा गया है

by WEB DESK
May 24, 2023, 12:00 pm IST
in विश्व
जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की सालाना आम सभा

जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की सालाना आम सभा

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विश्व स्वास्थ्य संगठन पर दबाव समूहों और कुछ देशों की थानेदारी चलने के उदाहरण पहले भी अनेक अवसरों पर मिलते रहे हैं। विशेष रूप से कोविड—19 महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ ने वही वही कहा और किया जिसकी तरफ चीन ने छुपे तौर पर संकेत किया था। ‘महामारी इंसान से इंसान में नहीं फैलती’, ‘यह घातक नहीं है’, ‘इससे जान नहीं जाएगी’, ‘इसकी उत्पत्ति चीन से होने से कोई सबूत नहीं हैं’, आदि अनेक बयान सिर्फ और सिर्फ चीन को ‘खुश’ रखने की मंशा से ही किए गए। अब एक बार फिर साफ हुआ है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन किस कदर चीन के दबाव में फैसले लेता है। इस बार ताइवान को संगठन की आम सभा में आने का न्योता ही नहीं भेजा गया है।

जिनेवा के 21 से 30 मई तक आयोजित की जा रही विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस आम सभा में ताइवान को बाहर रखने की संगठन की मंशा के पीछे क्या है, इससे कोई जानकार अनभिज्ञ नहीं है। दरअसल चीन ने ताइवान को ‘एक अलग देश’ के नाते आम सभा में बुलाए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस वार्षिक बैठक से ताइवान को बाहर रखा गया है।

बीजिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनी आम सभा से ताइवान को बाहर रखने के निर्णय का स्वागत किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि ,यह दिखाता है कि ‘वन चाइना पॉलिसी’ को लोग समर्थन देते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी जानता है कि इस सिद्धांत को चुनौती देना संभव नहीं है।

उधर ताइवान का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की वार्षिक सभा में उसके शामिल होने को लेकर कई देशों को उसे समर्थन प्राप्त है। लेकिन उसकी यह दलील चीन को कनखियों से ताकते विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस के कानों तक नहीं पहुंची! उधर बीजिंग अड़ा था कि ताइवान को नहीं न्योता जाएगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सालाना आम सभा जिनेवा में 21 मई से चल रही है। यह बैठक 30 मई तक चलने वाली है। न्यूज एजेंसी रायटर्स ने इस बारे में जारी की अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि चीन ही नहीं, उसके पिट्ठू पाकिस्तान ने भी ताइवान को आम सभा में न बुलाए जाने की दलील दी थी। उधर एस्वातिनी तथा मार्शल आइलैंड्स ने ताइवान को बुलाए जाने की वकालत की थी।

उल्लेखनीय है कि बीजिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनी आम सभा से ताइवान को बाहर रखने के निर्णय का स्वागत किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर एक बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है, यह दिखाता है कि ‘वन चाइना पॉलिसी’ को लोग समर्थन देते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी जानता है कि इस सिद्धांत को चुनौती देना संभव नहीं है।

चीनी दुष्प्रचार के लिए मशहूर विदेश मंत्रालय का बयान कहता है कि जिनेवा में आम सभा के उद्घाटन से पहले ही करीब सौ देशों ने ‘वन चाइना पॉलिसी’ को अनुमोदित किया और बेशक, इस सभा में एक-चीन सिद्धांत का पालन किया और विधानसभा में ताइवान को न बुलाए जाने का समर्थन किया। अपने इस बयान के जरिए कम्युनिस्ट ड्रैगन ने अपनी वही धमकी भी दोहराई की ‘कुछ देश ताइवान मुद्दे की आड़ में चीन के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करें’।

Topics: PakistanबीजिंगtaiwanxiचीनWHOUNChinacpcgenevajinpingcommunistcovid19onechinaपाकिस्तानpressure
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