लंबे समय से चीन के चालबाजी भरे दबाव को धता बताते हुए, आखिरकार फिलिपीन ने मन बना लिया है कि वह ताइवान से सटकर चार सैन्य ठिकाने अमेरिकी सेना के लिए निर्धारित करेगा। चीन को इसी बात पर आपत्ति थी और उसने फिलिपीन को ‘ऐसा न करने’ देने की कई कोशिशें की थीं, लेकिन अब जब ऐसा होने का रास्ता साफ हो गया है जो बीजिंग का बौखलाना स्वाभाविक ही है।
फिलीपीन की मार्कोस सरकार ने ऐसे चार सैन्य इलाकों को चिन्हित किया है कि जहां अमेरिकी सैनिक छावनी बनाकर रह सकेंगे। ये इलाके उस ताइवान के निकट ही हैं जिसे चीन अपना बताते हुए उस पर धौंस जमाता आ रहा है। चीन की शुरू से यही आपत्ति थी कि अमेरिका ताइवान के निकट फिलिपीन को अपने सैनिक ठिकाने की तरह न बना ले। लेकिन फिलीपीन सरकार की ताजा घोषणा यही दिखाती है कि उसे चीन की धमकियों की रत्ती भर परवाह नहीं है।
फिलीपीन सरकार ने कल जिन चार नए सैन्य इलाकों को अमेरिकी सैनिकों के अड्डे बनाने के लिए निर्धारित किया है उनमें सांता एना शहर स्थित फिलीपीन का नौसैनिक अड्डा तथा उत्तरी कागायन प्रांत के लाल-लो शहर में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी सम्मिलित है। अन्य दो ठिकाने हैं उत्तरी इसाबेला प्रांत और पश्चिमी प्रांत पलावन में बलाबाक टापू पर। यहां जो सुविधाएं बनाई जाएंगी वहां अमेरिका के सैनिक अपने तमाम हथियारों, उपकरणों के साथ रहेंगे। बताया जाता है कि इन ठिकानों पर अमेरिका के सैन्यकर्मी एक तय अवधि के लिए क्रमश: रह सकेंगे। फिलिपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर की तरफ से फिलिपीन और अमेरिका के बीच 2014 में हुई रक्षा संधि के अंतर्गत अमेरिकी सैनिकों के लिए चार सैन्य ठिकानों को मंजूरी दे दी गई है।
चीन फिलिपीन में विशेष रूप से सांता एना शहर के नौसैनिक अड्डा तथा उत्तरी कागायन प्रांत के लाल-लो शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को सैन्य ठिकाना बनाने को लेकर खासा नाराज है। कारण यह कि ये दोनों इलाके अमेरिकी सेना के लिए दक्षिणी चीन सागर तथा ताइवान के पास तक पहुंच सुलभ करा देंगे
अमेरिकी को सैन्य ठिकाने दिए जाने को मंजूरी देने के बाद, राष्ट्रपति मार्कोस ने जोर देकर कहा कि उनके इस कदम से फिलीपीन के सागर तटों की सुरक्षा और पुख्ता होगी। फिलिपीन की राजधानी मनीला में राष्ट्रपति कार्यालय ने चारों प्रस्तावित सैन्य ठिकानों पर मुहर लगा दी है।
चीन फिलिपीन में विशेष रूप से सांता एना शहर के नौसैनिक अड्डा तथा उत्तरी कागायन प्रांत के लाल-लो शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को सैन्य ठिकाना बनाने को लेकर खासा नाराज है। कारण यह कि ये दोनों इलाके अमेरिकी सेना के लिए दक्षिणी चीन सागर तथा ताइवान के पास तक पहुंच सुलभ करा देंगे। ताइवान को चीन अपनी ‘मुख्य भूमि से बिछड़ा हिस्सा’ मानता है जिसे उसे ‘अपने में मिलाना है’। चीन को खतरा यह भी है कि प्रस्तावित पलावन का ठिकाना दक्षिण चीन सागर के निकट है। यह उसके दुनिया के साथ कारोबार का एक महत्वपूर्ण रास्ता है। इतना ही नहीं, इस पूरे हिस्से को भी चीन अपना बताता है।
इस नए घटनाक्रम के बाद, फिलिपीन स्थित चीन के दूतावास ने साफ चेतावनी जारी की थी कि ‘अमेरिका के साथ सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग करने की वजह से फिलीपीन भू-राजनीतिक टकराव की दलदल में फंस जाएगा’, इतना ही नहीं, उसके ‘आर्थिक विकास पर तगड़ी चोट लगेगी’।
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