जमीन जिहाद में लगे तत्व किस हद तक का काम करते हैं, इसका एक उदाहरण मुम्बई से आया है। यहां के धारावी में एक पुलिस चौकी को गायब कर मदीना मस्जिद ट्रस्ट ने वहां अपना दफ्तर बना लिया है। दफ्तर के नीचे अब शफीना गारमेंट्स के नाम से एक दुकान भी चल रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार उस दुकान का किराया मदीना मस्जिद ट्रस्ट वसूल रहा है।
यह मामला थोड़ा पुराना है, लेकिन इस पर एक बार से जांच शुरू हो गई है। इसलिए यह एक बार फिर से चर्चा में है। बता दें कि धारावी एक झुग्गी बस्ती है और मुम्बई शहर के बीचोंबीच स्थित है। हालांकि अब यहां बड़ी संख्या में पैसे वाले भी रहने लगे हैं। यहां बड़े पैमाने पर उ़द्योग धंधेे भी चल रहे हैं। इसलिए धारावी की जमीन बहुत ही महंगी है। कभी यह बस्ती हिंदू—बहुल हुआ करती थी, लेकिन अब यहां तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। इसमें बांग्लादेशी घुसपैठिए भी बड़ी संख्या में हैं। इस कारण यहां अनेक तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इनमें एक है जमीन जिहाद। धारावी में रहने वाले और विश्व हिंदू परिषद, मुम्बई शहर विभाग के सह मंत्री राजीव चौबे का कहना है कि स्थानीय समस्याओं को देखते हुए धारावी के केेलाबखार में 1992 में एक पुलिस चौकी बनाई गई थी। धारावी पुलिस थाने की इस चौकी का नंबर था—एक। यहां पुलिस वाले बैठा करते थे। यह चौकी 2012 तक रही।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2012 में ही मदीना मस्जिद ट्रस्ट ने इस चौकी की जगह पर कब्जा कर लिया। इसके बाद धीरे—धीरे उसने वहां अपना दफ्तर बना लिया और नीचे एक दुकान भी बना दी गई। आश्चर्य की बात यह हुई कि यह सब पुलिस के सामने हुआ। वहां के लोग बताते हैं कि पुलिस ने अपनी चौकी को बचाने के लिए कुछ भी नहीं किया। इसके बाद राजीव चौबे ने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ इसकी शिकायत 20 अक्तूबर, 2012 को संबंधित अधिकारियों से की। उन्होंने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से लिखा है कि एक पुलिस चौकी पर कब्जा कर दफ्तर बना लिया गया, लेकिन प्रशासन सोया रहा। उन्होंने यह मांग भी की कि उस कब्जे को हटाकर वहां 26/11 के बलिदानी तुकाराम ओंबले के नाम से एक स्मारक बनाया जााए।
लेकिन न जाने किस मजबूरी में पुलिस ने राजीव की शिकायत पर कुछ नहीं किया, उल्टे राजीव और अन्य नौ कार्यकर्ताओं के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 353 केे तहत एक फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया। इन लोगों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया गया।
इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुम्बई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह से भेंट कर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी। सत्यपाल सिंह ने एक जांच समिति गठित कर उसे इसकी जांच करने का आदेश दिया। इसी बीच सत्यपाल सिंह ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और मामला एक तरह से दब गया। दूसरी ओर कुछ लोगों ने इस मामले की पूरी जानकारी लेने के लिए आरटीआई का सहारा लिया। आरटीआई से पता चला कि मदीना मस्जिद ट्रस्ट ने जिस जगह पर अपना दफ्तर बनाया है, वहां पहले पुलिस चौकी होती थी और वहां बिजली का कनेक्शन लगाने की प्रक्रिया भी चली थी, लेकिन किसी कारणवश बिजली नहीं लग पाई। इसका फायदा मदीना मस्जिद ट्रस्ट ने उठाया और उसने वहां अपना दफ्तर बना दिया। इस बात को स्थानीय मुसलमान भी मानते हैं। उल्लेखनीय है कि बगल में ही मदीना मस्जिद भी है।
2020 में भी इस मामले को विश्व हिंदू परिषद ने उठाया। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि उस समय भी इस मामले को सरकार ने दबा दिया।
अब एक बार फिर से पुलिस चौकी को मुक्त कराने के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं। महाशिवरात्रि के दिन धारावी के लोगों ने पुलिस चौकी के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया है। हजारों लोगों ने हस्ताक्षर कर मांग की कि पुलिस चौकी को मुक्त कराया जाए। जन—दबाव और बदलते राजनीतिक माहौल को देखते हुए पुलिस विभाग भी इस मामले को लेकर हरकत में है। अब पुलिस ने महानगरपालिका को मामले की जांच करने को कहा है। अब तक महानगरपालिका ने मदीना मस्जिद ट्रस्ट को एक बार नोटिस जारी किया है। उससे कहा गया है कि जिस जगह पर आपने दफ्तर बनाया है, उसके कागज दिखाओ, लेकिन वह जवाब देने से कतरा रहा है। सूत्रों ने बताया कि जल्दी ही दूसरा नोेटिस भी मदीना मस्जिद ट्रस्ट को दिया जाएगा।
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